Published 06-10-2022
GENERAL
दीपावली, या रोशनी का त्योहार, पूरे भारत में मनाया जाता है। रोशनी का त्योहार कार्तिक के महीने में पांच दिनों तक चलता है, जो धनतेरस से शुरू होता है और नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजन (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ जारी रहता है, दिवाली को बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय से जोड़कर देखते हैं।
दीवाली को मनाने के पीछे धार्मिक कारण ।
दीपावली यानि दीपों की अवली या कह सकते है दीपों की पंक्ति। दीपावली को मनाने का अलग-अलग घर्मों में अलग-अलग मान्यताएँ और घार्मिक कारण हैं । लेकिन बहुत सी घार्मिक मान्यताएं और त्योहार वैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ी होती हैं ।
हिन्दु धर्म में माना जाता है कि दीपावली के दिन यानि कार्तिक मास कि अमावस्या को अयोध्या के राजा भगवान श्री राम चन्द्र जी अपने चैदह वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्या वासियों नेे दीया जला कर उनका स्वागत किया। तब से आज तक इस परम्परा को पुरे भारत में धूम-धाम से मानाया जा रहा हैं। यह हिन्दुओं का सबसे पुराना/प्राचीन और बड़ा मनाया जाने वाला त्यौहार है।
जनै घर्म के अनुसार चैबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी जी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैन घर्म के लोग इसे महावीर स्वामी के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं और इसी दिन उनके प्रथम शिष्य 'गौतम गणघर' को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
सि्ख घर्म के अनुसार इसी दिन अमृतसर में 577 में स्वर्ण मन्दिर (Golden Temple) की नींव रखी गई थी । और 69 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे 'गुरू हरगोबिन्द सिंह' जी को जेल से रिहा किया गया था। इसलिए सिख धर्म को मानने वाले लोग इसे 'बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनाते है ।
मानसून के मौसम के बाद दिवाली आती है। मानसून के दौरान, हवा नम होती है और बैक्टीरिया से भरी होती है। बरसात के मौसम में पानी जगह-जगह जमा हो जाता, नमी के साथ-साथ तापमान में गिरावट के कारण हमारे आसपास खतरनाक कीड़े-मकोड़े पैदा हो जाते हैं और कुछ जहरीले कीड़े-मकोड़े जमीन से बाहर निकल आते हैं। ये कीड़े हमारे वातावरण और घरों में कहीं भी पनप सकते हैं जो भयानक बीमारियों का कारण बनते हैं जैसे डेंगू, मलेरिआ, चिकनगुनिया आदि। इसलिए दिवाली के पहले हम अपना घर साफ़ करते है फिर दीपावली के दिन दिया जलाते है, जिससे वातावरण के जहरीले कीड़े-मकोड़े आग में जल के ख़तम हो जाते है और हम खुद को और अपने आस-पास के फसलों को भी ख़राब होने से बचाते हैं I
दिया जलाने से कोई ऐसा तत्व या केमिकल नहीं निकलता जिससे वातावरण को नुकसान पहुंचे। दीपक से निकलने वाली गर्मी हवा को साफ करने में मदद करती है। तेल में मौजूद मैग्नीशियम हवा में मौजूद सल्फर और कार्बन ऑक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करके सल्फेट और कार्बोनेट बनाता है। ये भारी तत्व जमीन पर गिरते हैं, जिससे हवा हल्की हो जाती है। साथ ही जहरीले कीड़े-मकोड़े दियों की रौशनी से आकर्षित हो कर दिए के पास इकठ्ठा होने लगते है और दिये की गर्मी और आग से मारे जाते हैं ।
दिवाली के बाद ठंढ बढ़ने लगती है जिससे शर्दी-जुखाम होने का खतरा भी बढ़ता है इसलिए दिवाली में घी से बने पकवान खाते है, घी हमारे शरीर को गर्म रखने में मदद करता है और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है जिससे हमारा पाचन तंत्र साफ रहता है। कब्ज और पेट की अन्य कई समस्याओं को ठीक करने के लिए भी इसे बहुत ही प्रभावी माना जाता है। घी ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जीसकी वजह से हम Blood pressure की दिक्कतों से बचते है।
- अब आप बताओ क्या आपको लगता है की हम ये त्योहार यूही मनाते हैं ?
इतना ही नहीं हमारे जीवन में उत्साह, उल्लास और उमंग भी भरता है त्योहार, जैसे स्कूल, कॉलेज, और ऑफिस से हमें आराम करने के लिए छुट्टियां मिलती है बिलकुल वैसे ही त्योहार हमारे जीवन का वो पल है जो हमें खुस होने और खुशियाँ बाटने का मौका देता है, हर चिंता भूल के ज़िंदगी जीने का और ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है ये महसूस करने का वक्त देता हैं ।
“ तो इस दिवाली अपने घर के साथ अपने मन को भी साफ़ करना, दिया जला कर सिर्फ घर नहीं अपने अंदर के अन्धकार को भी खतम करना और मिठाइयों की मिठास थोड़ा अपने जीवन में भी भरना, आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। Happy Diwali ! ”