Published 27-01-2023
PCOS/PCOD
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (pcos) सबसे आम जीवनशैली विकार (Lifestyle Disorder) है जो महिलाओं को उनकी प्रजनन आयु (Reproductive age) के दौरान प्रभावित करता है। यह आगे चल कर विभिन्न रोगों का एक प्रमुख कारण हो सकता है। पीसीओएस एक एंडोक्राइन डिसऑर्डर (हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली बीमारी) है जिसमें एण्ड्रोजन का अत्यधिक उत्पादन होता है (एण्ड्रोजन को आमतौर पर पुरुष हार्मोन के रूप में माना जाता है, लेकिन महिला शरीर भी अंडाशय द्वारा प्राकृतिक रूप से एण्ड्रोजन की एक छोटी मात्रा का उत्पादन करता है) यह वह स्थिति है जिसमें अंडाशय (Ovary) में कई सिस्ट (द्रव से भरी थैली) बन जाते हैं। इसलिए इसे पॉलीसिस्टिक कहा जाता है और यह अंडाशय (Ovaries) को उनके सामान्य कामकाज से रोकता है। PCOS के कारन बहुत से हेल्थ प्रोब्लेम्स जैसे मासिक धर्म की अनियमितता (Irregular Menstruation), मोटापा (Obesity), बांझपन (Infertility) आदि की ओर जाता है।
पीसीओएस में, फीमेल ओवरी से एग का समय से निकलना नहीं हो पाता है या एग्स निकलते ही नहीं है, जिससे अनियमित और लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र होता है। इस अनियमित मासिक धर्म चक्र (irregular menstruation) की वजह से होता है:
- पीसीओएस महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। आज भी बहुत सी महिलाएं आयुर्वेद के माध्यम से पीसीओएस का इलाज करना पसंद करती हैं। बंद माहवारी को खोलने के उपाय के लिए आयुर्वेदिक उपचार में जीवनशैली (Lifestyle) में बदलाव, जड़ी-बूटियां, आयुर्वेदिक उपचार और आहार में बदलाव शामिल हैं।
1. दालचीनी: मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करती है और इंसुलिन प्रतिरोध (Resistance) को प्रभावित करती है, जो पीसीओएस वाली महिलाओं में ओव्यूलेशन में मदद करती है।
2. अश्वगंधा: तनाव (Stress) और पीसीओएस के लक्षणों में सुधार के लिए कोर्टिसोल के स्तर को संतुलित करता है।
3. हल्दी: हल्दी हार्मोन को नियमित करने में मदद कर सकता है, खासकर महिलाओं में। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कई रोगों के इलाज के लिए सबसे अच्छा पॉलीफेनोलिक यौगिकों में से एक है। हल्दी का दैनिक सेवन ओवेरियन सिस्ट के सिकुड़ने और ओवेरियन कैंसर को कम करने में मदद करता है।
4. नीम: नीम और तुलसी के पत्तों का पेस्ट, हर सुबह एक बार लेने से महिलाओं को इंसुलिन प्रतिरोध कम करने में मदद मिल सकती है।
5. अशोक: इसमें सूजन-रोधी (Anti-inflammatory) यौगिक होते हैं जो एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की आंतरिक परत) की मरम्मत करते हैं और एस्ट्रोजन के स्तर को नियंत्रित करते हैं। पीसीओएस वाली महिलाओं में एस्ट्रोजन का उच्च स्तर होता है जो अंडाशय में अंडे (Egg) के विकास और रिलीज को बाधित करता है।
6. शतावरी : यह आयुर्वेदिक herb मुख्य रूप से ओवेरियन फॉलिकल्स के सामान्य विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह मासिक धर्म को भी नियंत्रित करता है और प्रजनन (Reproduction) करने में सहायता करता है। शतावरी अपने फाइटोएस्ट्रोजन या प्राकृतिक पौधों पर आधारित एस्ट्रोजन के स्तर के कारण पीसीओएस के कारण होने वाले इंसुलिन के उच्च स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।
7. गुडुची: पीसीओडी समस्या के आयुर्वेदिक उपचार में, गुडूची एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। हम जानते हैं कि शरीर के ऊतकों (Tissue) में सूजन महिलाओं में इंसुलिन असंतुलन और ओवेरियन सिस्ट का मूल कारण है। यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी शरीर के ऊतकों (Tissue) को बनने और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करती है।
8.त्रिफला: पीसीओडी समस्या के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि त्रिफला है, जो विटामिन सी से भरपूर है- एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट (Natural Antioxidant) है जो सूजन को कम करने में मदद करता है।
9. एलो वेरा : एलोवेरा एक और आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो पीसीओएस के इलाज में बेहद फायदेमंद है क्योंकि यह मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और सामान्य मासिक धर्म को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह हार्मोनल असंतुलन को भी सामान्य करता है।
पीसीओएस के लिए इन घरेलू उपचारों में, आप घर पर पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार का विकल्प चुन सकते हैं। आयुर्वेद उपचार के रूप में प्राकृतिक जड़ी बूटियों का उपयोग करता है। HealthyBazar के डॉक्टर आम तौर पर एक से तीन महीने की अवधि के लिए इसके इलाज शुरू करते हैं और दवाई के प्रभावों का निरीक्षण करते हैं। किसी भी दवा का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें।