बर्स (यूनानी नाम ) सफ़ेद दाग, सफ़ेद धब्बे, सफेद कुष्ठ, फुलेरी जैसे कई नामों से इसको जाना जाता है । यह एक त्वचा का रोग है जिसके परिणामस्वरूप त्वचा का विरूपण (डिपिगमेंटेशन/Depigmentation) होता है। यह रोग मरीज़ के आत्म-सम्मान, लोगो से साथ उठना बैठना और इंसान के जीवन की गुणवत्ता (Quality of life) को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
यह शरीर के किसी भी हिस्से पर सिंगल या मल्टीपल डिपिगमेंटेड पैच के रूप में दिखाई देता है। ये पैच धीरे-धीरे आकार में बढ़ते हैं और रोगी को बहुत अधिक मनोवैज्ञानिक तनाव देते हैं। आखिरकार, यह पूरे शरीर में फैल जाता है जिसके परिणामस्वरूप बार्स-ए-मुंतशिर (Extended vitiligo) नामक स्थिति होती है।
यह तब होता है जब त्वचा की कोशिकाएं मर जाती हैं या काम करने में असमर्थ होती हैं। ये पैच आमतौर पर धूप के संपर्क में आने वाले हिस्सों जैसे, हाथ, पैर, चेहरे और होंठों में देखे जाते हैं। शरीर के अन्य हिस्से जहां यह आमतौर पर देखा जाता है, वे हैं बगल और कमर, मुंह के आसपास, आंख, नाक, नाभि और जननांग भी।
यूनानी चिकित्सा के अनुसार, विटिलिगो कफ यानि बलगम मिज़ाज (Phlegmatic humour) के बैलेंस बिगड़ जाने से होता है। इसके अलावा ये खून की अशुद्वि (फसाद-उद-दम/ Blood impurities) लिवर और त्वचा में Nourishment कमी की वजह से भी होता है l याद रखें सफ़ेद दाग एक दूसरे से लग कर फैलने वाली बीमारी नहीं है l यह बीमारी से ज्यादा सामाजिक कलंक है। यूनानी में दवा से पहले ग़िज़ा यानि खाने पिने से बीमारियों तो ठीक करने की कोशिश की जाती है , सफ़ेद दाग में भी युन्नाई में नुस्खों और दवाओं से पहले कुछ परहेज़ बताये है, आये देखते है l
सफ़ेद दाग के इलाज में खान पान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूनानी चिकित्सा अनुसार इस में सभी ठंडी और कफ पैदा करने वाले खानो से दूर रहना चाहिए जैसे अंडे, मछली, बीफ, बैंगन और भारी और हल्के भोजन का मिश्रण एक साथ, दूध, दही, छाछ, नींबू, इमली, संतरा और अन्य खट्टे फल, अजमोद, कस्टर्ड सेब, टमाटर (अगर खट्टा), आंवला अचार, चटनी आदि ।
गेहूं, बाजरा, दालें (विशेषकर बंगाल चना), मक्खन से प्राप्त शुद्ध घी, बीन्स, फ्रेंच बीन्स, पालक, करेला, तुरई, प्याज, चुकंदर, गाजर, काली मिर्च आदि।
1- 2 चम्मच गाय का घी लें, इसे हलकी आंच पर उबालें और 5-7 पीस काली मिर्च डालें। कुछ मिनट बाद काली मिर्च को घी में से निकाल दें और घी को रोजाना खाने के साथ प्रयोग करें। इससे खून साफ़ होगा, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और त्वचा संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
2. बकरी के दूध को गर्म करके 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-सुबह सेवन करें। इससे त्वचा की रंजकता (vitiligo) 40 से 100 दिनों में ठीक हो जाती है।
3- हल्दी 100 ग्राम, (हल्दी के टुकड़े कर के सुखा लें और बारीक चूर्ण बना लें)। 100 ग्राम, मजीठ पाउडर 100 ग्राम, सफेद सरसों का पाउडर 100 ग्राम (सरसों को भूनें) हल्के से 2 बूंद घी डालकर पाउडर बना लें, गाय का घी डालकर सभी को अच्छे से मिला के एक महीन कपड़े में छानकर किसी बोतल में रख लें। इसको 2 से 3 चम्मच पाउडर में थोड़ा सा घी मिलाकर प्रभावित हिस्से पर गाढ़े पेस्ट के रूप में लगाएं। इसे सूखने दें और बाद में धो लें l
1- सफूफ बर्स (हमदर्द)- सफूफ 1 चम्मच ले के को रात भर 1 cup मिली पानी में भिगोकर रख दीजिये, सुबह उठकर साफ हिस्से को पी लीजिये और जो नीचे पाउडर बचा है उसको दाग के लगा लीजिये l इससे 4 -5 महीनो में दाग हलके पड़ने लगेंगे l
2- रोगन बाबची (हमदर्द)- सफ़ेद दाग की जगह हलके हाथो से लगाए l
आज हमने जाना की कैसे यूनानी चिकित्सा के पास सफ़ेद दाग जैसी ला इलाज बीमारी का इलाज है , चाहे वो नुस्खे हो दवा हो या खाना पीना हो, ये पूरी तरह से सफ़ेद दाग को ठीक करता है, जिसको होलिस्टिक अप्प्रोच कहते है, अक्सर लोग इस बीमारी की वजह से समाज से कट जाते है और सही इलाज नहीं करवा पाते, इसके सही इलाज के लिए आप हमारे Healthybazar के डॉक्टर्स से ऑनलाइन कंसल्टेशन ले सकते हैं l
A graduate from Hamdard University, Dr Asfiya is dedicated to providing natural treatments and comfort to every patient through her extensive knowledge and experience. In addition to medical practice, she has a passion for playing volleyball and chess.