युवाओ में शीघ्रपतन और स्तंभन दोष को समझाने का तरीका संवेदनाशील, प्यार और समझदारी से भरा होना चाहिए। ये सभी युवाओ के लिए चिंता का कारण हो सकता हैं, और इस पर खुलकर बात करना उन्हें सहायता प्रदान कर सकता है। उन्हें ये महसूस कराएं कि ये समस्याएं सामान्य हैं और इस पर खुल कर बात चीत करना उनके स्वास्थ्य के लिए महत्व पूर्ण है। युवाओं को ये समझाए की इस प्रकार की समस्याओं का सामना करना एक व्यक्ति के जीवन में आम बात है, और इसका समाधान संभव है। आप युवाओ को समझाएं की तनाव, चिंता और जीवनशैली के परिवर्तन से ये समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्हें सिखाये कि इस पर चर्चा करना एक शुरुआत है और इसे उनका मनोबल भी बढ़ेगा।
1.तनाव और चिंता: आजकल के युवाओं में अधिक तनाव, चिंता और मानसिक दबाव का कारण तनाव और चिंता हो सकता है।
2.स्वास्थ्य जीवन शैली: बुरी आहार आदतें, व्यायाम की कमी, धूम्रपान, और अधिक शराब पीना भी समस्य का कारण हो सकता है।
3.हस्तमैथुन: अतिधिक हस्तमैथुन करने से भी ज्यादा समय लगता है।
4.मानसिक समस्याएं: अवसाद, चिंता, और अन्य मानसिक समस्याएं भी अवसादग्रस्त हो सकती हैं।
5.हार्मोनल विकार: हार्मोनल असंतुलन, जैसे टेस्टोस्टेरोन की कमी, भी शिघ्रपतन का कारण हो सकती है।
6.तंत्रिका तंत्र विकार: तंत्रिका तंत्र विकार, जैसे कि न्यूरोपैथी, भी शिघ्रपतन को बढ़ा सकते हैं।
7.आनुवंशिक कारक: कुछ मामलों में, यदि किसी के परिवार में शीघ्रपतन की समस्या होती है, तो ये आनुवंशिक भी हो सकता है।
8.यौन अनुभवहीनता: युवाओं में यौन अनुभव की कमी भी हो सकती है।
9.प्रोस्टेट समस्याएँ: प्रोस्टेट के समस्याएँ भी शीघ्रपतन को प्रभावित कर सकती हैं।
10.मधुमेह: मधुमेह होने पर भी खतरा बढ़ जाता है।
1.समय से पहले वीर्य का निकलना: समय से पहले या बहुत जल्दी वीर्य का निकलना शिघ्रपतन का प्रमुख लक्षण है।
2.तनाव और चिंता: शीघ्रपतन के समय अधिक तनाव, चिंता, और मानसिक तनाव महसूस होता है।
3.कब्ज : कब्ज होने पर भी कब्ज हो सकती है।
4.शरीर में थकन: शरीर में अत्यंत थकन होने पर भी शीघ्रपतन होता है।
5.शीघ्रपतन के दौरन दर्द: कुछ युवाओं को शीघ्रपतन के दौरन या तुरंत बाद पेट में दर्द होता है।
6.ध्यान भटकाना: युवाओं में ध्यान भटकाना, या शिक्षा की कमी के प्रभाव से भी व्यक्ति शीघ्रपतन का शिकार हो सकता है।
7.व्यायाम में कमी: व्यायाम में कमी भी लक्षण में गिना जा सकता है।
8.कामज़ोरी : शीघ्रपतन के दौरन व्यक्ति को शारीरिक कामज़ोरी का अनुभव होता है।
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शीघ्रपतन को दूर करने के लिए युवाओं को दिनचर्या में कुछ सुधार करना जरूरी है। यहां कुछ आयुर्वेदिक सुझाव हैं जो दिनचर्या में शामिल किए जा सकते हैं:
1.उठना और सोने का समय: सूर्योदय के समय उठना शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। युवाओं को प्रतिदिन समय पर उठने की आदत डालनी चाहिए। रात को समय पर सोना भी जरूरी है। 10 बजे तक सोना, और सुबह जल्दी उठना, शरीर के ऋतुचर्या के अनुकूल है।
2.स्नायु अभ्यंग (तेल मालिश): नारियाल या सरसों के तेल से शरीर की मालिश करना, विशेष रूप से पीठ और पिंडलियों पर, शरीर को ठंडा और तनाव मुक्त रखा है।
3.व्यायाम और योगासन: नियमित व्यायाम, जैसे कि जॉगिंग, तैराकी, या अन्य एरोबिक व्यायाम, शरीर को सुडोल बनाये रखा है और तनाव को कम करता है। कुछ योगासन, जैसे कि अश्विनी मुद्रा, वज्रासन, और धनुरासन, शिघ्रपाटन के उपचार में मददगार हो सकते हैं।
4.प्राणायाम: अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से शरीर में प्राण शक्ति बढ़ती है और तनाव कम होता है। कपालभाति प्राणायाम भी तनाव को दूर करने में सहायक हो सकता है।
5.आहार के दिशानिर्देश: आहार में पोषक तत्व शामिल करना चाहिए। हरी सब्जी, फल, दूध, घी, और दाल का सेवन करना चाहिए।
6.तरल पदार्थ का सेवन: तरल पदार्थ का अधिक सेवन करना, जैसे पानी, शरीर को ठंडा रखा है और वीर्य की मात्रा को भी नियंत्रित किया जाता है।
7.निंद का समय: सामान्य व्यक्ति को 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। नियंत्रित नींद लेना शरीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखता है।
8.तनाव प्रबंधन: तनाव और चिंता से बचने के लिए तनाव प्रबंधन तकनीक, जैसे ध्यान और ध्यान, अपनाना चाहिए।
9.वाजीकरण चिकित्सा: वाजीकरण चिकित्सा के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाइयाँ भी ली जा सकती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से करना चाहिए।
1.अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा): अश्वगंधा एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है जो शरीर को तनाव से मुक्त करता है। ये हार्मोन संतुलन को सुधारने में मदद करता है और शिघ्रापटन के उपचार में भी सहायक हो सकता है।
2.शिलाजीत: शिलाजीत, एक प्राकृतिक पदार्थ है जो पहाड़ों के चट्टानों से प्राप्त होता है, वीर्य की मात्रा को नियत्रित करने में और स्तंभन दोष को दूर करने में मदद करता है।
3.सफेद मूसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम): सफेद मूसली, वीर्य वृद्धि और शक्ति वर्धन के लिए प्रसिद्ध है। इसका सेवन शिघ्रापटन को डर करने में किया जा सकता है।
4.गोक्षुरा (ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस): गोक्षुर वीर्य के प्रवाह को सुधारने में मदद करता है और स्तंभन दोष को दूर करने में भी सहायक हो सकता है।
5.कपिकच्छु (मुकुना प्रुरिएन्स): कपिकच्छु में लेवोडोपा होता है, जो डोपामाइन के उत्पादन में मदद करता है। ये शीघ्रपतन के उपचार में फ़ायदेमंद हो सकता है।
6.विदारीकंद- (पुएरारिया ट्यूबेरोसा): विदारीकंद, वीर्य की मात्रा को नियत्रित करने में और शीघ्रपतन के उपचार में मदद करता है।
7.बला (सिडा कॉर्डिफ़ोलिया): बला, जिसे शतावरी भी कहा जाता है, शरीर को शक्ति प्रदान करता है और तनव को काम करता है।
8.जातिफला (मिरिस्टिका फ्रेग्रेन्स): जातिफला, या जायफल, भी शीघ्रपतन के उपचार में उपयोगी है। इसके तेल का इस्तेमाल भी शीघ्रपतन को ठीक करने में भी होता है।
9.जयफल (जायफल): जयफल, या जायफल, भी शिघ्रापटन के उपचार में किया जाता है। ये तांत्रिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
10.तुलसी (पवित्र तुलसी): तुलसी के पत्तों का रस लेने से शरीर का तापमान घट जाता है और तनाव कम हो जाता है। ये शीघ्रपतन के उपचार में भी फ़ायदेमंद है।
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युवाओं में यौन समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो दोष संतुलन और व्यक्ति के स्वभाव के आधार पर आधारित है। आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है कि शरीर और मन एक दूसरे से जुड़े होते हैं, और किसी भी व्यक्ति की यौन समस्याओं का समाधान उसकी दोशिक स्थिति, प्रकृति और व्यवहार पर आधारित होता है। आयुर्वेदिक तौर पर, युवाओं में होने वाले यौन समस्याएं जैसे स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, या कम कामेच्छा का समाधान दोष स्थिति का निदान किया जाता है। ये समस्याएँ अधिकतर दोषो में असमानता , धातु क्षय, ये कुपोषण के करण उत्पन्न होती हैं।
आयुर्वेदिक में दोषो की असमान्ता को दूर करके, व्यक्ति को स्वस्थ और संतुलित स्थिति में लाने का प्रयास करते हैं। आयुर्वेद का इस तरह का दृष्टिकोण युवाओं में होने वाली यौन समस्याएं दूर करने में मदद करती हैं। ये एक सुरक्षित, प्राकृतिक, और समर्थक उपाय हो सकता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखे और व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन जीने में सहायक हो। आप HealthyBazaar की वेबसाइट पर आयुर्वेदिक डॉक्टर्स से संपर्क कर सकते है यह एक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म है जहां आप विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विशेषज्ञ आयुर्वेदिक डॉक्टर्स से मिल सकते हैं।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
शीघ्रपतन यौन बीमारियों से जुड़ी एक आम और गंभीर समस्या है। जब भी कोई पुरुष संभोग के दौरान दो या तीन मिनट के अंदर ही स्खलित हो जाता है, उसे शीघ्रपतन का रोगी माना जाता है। दुनिया में 30 से 40 % पुरुष इस बीमारी से ग्रसित है और यह भी माना जाता है कि प्रत्येक पुरुष अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी न कभी इस बीमारी का सामना अवश्य करता है। स्खलन व्यक्ति की इच्छाओं के खिलाफ होता है, जिसके दौरान यां तो कम उत्तेजना होती है यां फिर होती ही नहीं है। यह दोनों भागीदारों को असंतुष्ट और निराश महसूस करवा सकता है।
मानसिक और शारीरिक दोनों कारण शीघ्रपतन में भूमिका निभाते हैं। सामान्य तौर पर पुरुषों को इसके बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन शीघ्रपतन एक उपचार योग्य समस्या है। उचित दवाएं और परामर्श यौन स्खलन में देरी करके संभोग की चरम सीमा की प्राप्ति कराते है। अगर आप भी इस प्रकार की बीमारी से जूझ रहे है तो सबसे पहले इसके लक्षणों को पहचानें और संबंधित चिकित्सक से इलाज या सलाह ले।
अधिक समय के बाद पहली बार सम्भोग करने पर अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो यह सामान्य प्रक्रिया है परन्तु अगर हर बार आप सम्भोग के दौरान जल्दी ही स्खलित हो जाते है तो यह समस्या का विषय है। सम्भोग के अनुभव की कमी, शारीरिक कमी यां मानसिक तनाव शीघ्रपतन के मुख्य कारणों में से एक है। बहुत सी एलोपैथिक दवाओं के साइड-इफेक्ट्स से भी ऐसा हो सकता है। ऑफिस के काम के बोझ या अन्य किसी व्यावसायिक तनाव के कारण भी ऐसा हो सकता है।
निम्नलिखित अवस्थाएं मनोवैज्ञानिक कारणों में शामिल हैं:
कई जैविक कारण शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
इसके अलावा निचे दिए हुए अन्य कारण शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न कर सकते है :
आयुर्वेद शुक्र धातु की शुद्ध मखन से तुलना करता है। जैसे शुद्ध मक्खन गर्मी की उपस्थिति में पिघलता है, वैसे ही शरीर में पित्त (अग्नि) अधिक होने पर वीर्य अपनी स्थिरता खो देता है। बढ़ी हुई पित्त वीर्य ले जाने वाली प्रणाली के माध्यम से यात्रा करती है, जिससे वीर्य के बल में कमी आती है| यह समयपूर्व स्खलन, मनोवैज्ञानिक, जैविक और कुछ अन्य सामान्य कारणों से हो सकता है|
आयुर्वेद में इस स्थिति को शुक्र आवृत वात (वात द्वारा उत्पन्न शुक्राणु) के रूप में परिभाषित किया गया है। रोगी को शुक्रांग आवेग (खराब स्खलन), शुक्र अतिवेग (जल्दी / शीघ्र स्खलन) और निश्फाल्वम (संसेचन करने में असमर्थता) में परिभाषित किया जाता है।
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आयुर्वेद में शीघ्रपतन के कुछ घरेलू उपाय बताये गए है जो कि ना ही पुरुष को स्खलन को देर तक बनाए रखने में सहायक होते है बल्कि उसकी यौन उत्तेजना और कामेच्छा को भी बनाये रखते है। घरेलू उपाय कुछ इस प्रकार है :
केसर और बादाम: केसर कामेच्छा में सुधार करने में मदद करता है। रात भर दस बादाम पानी में भिगो दे। सुबह बादाम के छिलके हटा दे, बादाम को ब्लेंडर में रखें और एक चम्मच दूध, अदरक, इलायची, और केसर की एक चुटकी मिलाये और साथ में पीस लें। इसे सोने से पहले रात में एक गिलास दूध के साथ लें।
लहसुन: लहसुन शीघ्रपतन की समस्या को ठीक करने में एक टॉनिक के रूप में कार्य करता है। प्रतिदिन, लहसुन के 3-4 कलियाँ सुबह खाली पेट खाने से यह शीघ्रपतन की समस्या को दूर करता है।
गाजर और शहद: लगभग 150 ग्राम बारीक कटा हुआ गाजर, आधा उबला हुआ अंडा और शहद का एक बड़ा चमचा मिलाएं। यह समयपूर्व स्खलन के लिए एक आम घरेलू उपाय है। इस मिश्रण को 2-3 महीने के लिए दिन में एक बार लें।
शीघ्रपतन के इलाज के लिए आयुर्वेद का दृष्टिकोण अलग है। आयुर्वेद का सुझाव है कि रोगियों को बेहतर परिणाम के लिए कुछ जड़ी-बूटियों और उनके काढ़े के साथ-साथ उपचारों पर विचार करना चाहिए। यह जड़ी बूटियाँ पुरुषो की कमचा को बनाये रखने या बढ़ाने में मदद करती है।
आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटी है। इसका नाम इसकी जड़ों की गंध के कारण रखा गया है जो घोड़े के मूत्र की तरह है। परंपरागत रूप से यह दर्शाया जाता है कि अश्वगंधा घोड़े सी ताकत प्रदान कर सकता है और मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।
यह कामेच्छा को बढ़ावा देने, सहनशक्ति में सुधार करने और शीघ्रपतन को रोकने में मदद करता है। अश्वगंधा की जड़ो के पाउडर को सीमित मात्रा में लेने पर यह मानसिक तनाव को कम करता है, थकान, दीर्घायु को बढ़ावा देता है, और प्रभावी रूप से शीघ्रपतन का इलाज करता है।
खुराक
अश्वगंधा गोली – 1 गोली दिन में तीन बार दूध या गर्म पानी के साथ
शतावरी को ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ के रूप में पहचाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम एसपैरागस रेसमोसस (Asparagus racemosus) है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन स्वास्थ्य में सुधार के लिए उल्लेखनीय रूप से फायदेमंद है। शतावरी पाउडर जब नियमित रूप से लिया जाता है, तो यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और मन में शांति बनाए रखता है।
शतावरी शुक्राणु के निर्माण के उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, और महिलाओं में स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में लिया जाता है, क्योंकि यह रजोनिवृत्ति यानी अनियमित मासिक धर्म के लक्षणों का इलाज करते समय अंडे की परिपक्वता और ओव्यूलेशन (Ovulation) में सुधार करता है।
खुराक
शतावरी चूर्ण – 1 चम्मच दिन में दो बार दूध या गर्म पानी के साथ
इसे भारतीय वियाग्रा या ‘हर्बल वियाग्रा’ भी कहा जाता है और इसका उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में विभिन्न यौन समस्या और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। मूसली से प्राप्त यह पीला-सफेद जड़ जैसा पदार्थ एक शक्तिशाली वाजीकरण (पुनर्जीवित और यौन कल्याण बढ़ाने वाली) जड़ी बूटी है। सफेद मूसली का उपयोग टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन के निर्माण के लिए किया जाता है। यह तनाव का इलाज कर उससे बनने वाले कॉर्टिकॉस्टरॉन हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। क्युकी कॉर्टिकॉस्टरॉन हार्मोन के बढ़ने से टेस्टोस्ट्रोन हॉर्मोन का उत्पादन कम हो जाता है। इसलिए सफ़ेद मूसली तनाव को दूर कर टेस्टोस्ट्रोन के बनने में मदद करती है।
खुराक
मूसली पाक – 1/2 चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ
कपिकाचू या कौंच बीज आयुर्वेद की एक बहुत ही प्रसिद्ध बहुआयामी जड़ी बूटी है जिसमें अपार स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह व्यापक रूप से पुरुष यौन संबंधी विकारों के इलाज में उपयोग किया जाता है। कापिकाचू मस्तिष्क में डोपामाइन (एक प्रकार का रसायन) में सुधार करता है, और टेस्टोस्टेरोन के स्तर (पुरुष हार्मोन) को भी बढ़ाता है।
यह अपने शक्तिशाली कामोद्दीपक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह मुख्य रूप से शरीर में शुक्राणुओं की संख्या और शुक्राणु की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
खुराक
कौंच बीज पाउडर – गर्म दूध या पानी के साथ 1/2 से 1 बड़ा चम्मच
गोक्षुरा अपने पुरुष सेक्स पावर बढ़ाने की संपत्ति के कारण सबसे लोकप्रिय जड़ी बूटियों में से एक है। यह गोक्षुरा वृक्ष के सूखे फल से प्राप्त होता है, जो कि वनस्पति नाम ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस द्वारा जाना जाता है, एक ऐसा पौधा जो ठंडे और गर्म तापमान दोनों में पनपता है। गोक्षुरा का फल पुरुषों और महिलाओं में यौन रोगों और बांझपन के लिए उपयोग किया जाता है। गोक्षुरा ने काचीना शुक्रा (ओलिगोज़ोस्पर्मिया) के प्रबंधन में बेहतर परिणाम दिखाए हैं।
इसके चूर्ण में शक्तिशाली शुक्राणुजन्य गुण होते हैं जो शुक्राणु से संबंधित सभी मुद्दों के उपचार में उच्च महत्व रखते हैं क्योंकि यह शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करता है।
खुराक
गोखरू चूर्ण – 1/2 चम्मच दिन में दो बार गर्म दूध या पानी के साथ
“शीघ्रपतन का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार” पर इन्फोग्राफिक कृपया नीचे देखें। आप इस इन्फोग्राफिक का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन www.healthybazar.com पर हमारा उल्लेख करना ना भूले।
आयुर्वेद में, वात को जीवन और जीवन शक्ति के रूप में समझाया गया है, जो सभी मनुष्यों को बल देता है और लंबे जीवन को विकार से मुक्त रखता है। शुक्र शरीर का ऊतक तत्व है, जिसे अन्य सभी ऊतक तत्वों का सार माना जाता है और यह सर्वोच्च महत्वपूर्ण सार (ओजस) का पोषण होता है। दोनों अवधारणाओं को आयुर्वेद में बेहतर विचार प्राप्त हुए है।
आयुर्वेद में चिकित्सा की प्राचीन अनूठी प्रणाली का उद्देश्य न केवल इलाज करना है, बल्कि बीमारी को फिर होने से रोकना भी है। शीघ्रपतन के उपचार की रेखा वातहर चिकित्सा (वात शांत करने वाला उपचार), वाजीकरण (कामोत्तेजक) और शुक्रस्तम्भक की चिकित्सा (शीघ्रपतन में देरी) है।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
लिंग में सही से तनाव न बन पाने के रोग का प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार – लिंग का सही से तनाव न बन पाना एक बहुत ही सामान्य समस्या है। नपुंसकता जीवन शैली और तनाव संबंधी समस्याओं में से एक है। भारत में, 30 वर्ष से कम के लगभग 25% रोगी और 30 वर्ष से ऊपर के 60% रोगी लिंग के सही से तनाव न बन पाने के रोग से पीड़ित हैं।
इस लेख के साथ, हमारा उद्देश्य आपको न केवल इस रोग के प्रकारों, लक्षणों और कारणों से अवगत कराना है, बल्कि यह भी साझा करना है कि हम इस समस्या को कैसे स्वाभाविक रूप से प्रबंधित कर सकते हैं।
“सम्भोग एक बुनियादी जरूरत है, लेकिन यौन व्यवहार एक सीखी हुई क्षमता है।”
धर्म (नैतिक मूल्य), अर्थ (समृद्धि), मोक्ष (आध्यात्मिक मूल्य), और कामेच्छा (आनंद / सेक्स) आयुर्वेद में वर्णित चार पुरुषार्थों (जीवन के उद्देश्यों) में से हैं। इन उद्देश्यों की पूर्ति प्रत्येक मनुष्य की एक मूलभूत आवश्यकता है। यौन प्रतिक्रिया के विभिन्न चरण हैं, और उनमें से सबसे आवश्यक है लिंग का सही तनाव प्राप्त कर पाना। इसकी अनुपस्थिति संभोग के दौरान विफलता और असंतोष पैदा कर सकती है। इस स्थिति को आयुर्वेद में कालिब्या (नपुंसकता ) और आधुनिक लेखन में लिंग का सही से तनाव न बन पाने के रूप में वर्णित किया गया है।
प्राथमिक नपुंसकता एक ऐसा मुद्दा है जब संभोग के उद्देश्य से एक पुरुष लिंग का सही से तनाव नहीं बना पता है। माध्यमिक नपुंसकता में, एक आदमी को सही से तनाव बना पाने में मुश्किल होती है पर वह अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार संभोग में सफल हो पाता है।
तीव्र स्खलन लिंग का सही से तनाव न बन पाने का सबसे प्रचलित प्रकार है। इसके अंतर्गत, लिंग को योनि में प्रवेश करने के बाद 30 सेकंड से एक मिनट तक स्खलन करने में असमर्थता हो सकती है।
इस कठिनाई वाले पुरुष 30 मिनट से एक घंटे तक लिंग का सही से तनाव बनाए रख सकते हैं, लेकिन एक महिला के अंदर स्खलन के बारे में मनोवैज्ञानिक चिंताओं के कारण, वे संभोग सुख प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, ‘जीवन के तीन मुख्य आधार है – संतुलित आहार, उचित नींद और एक स्वस्थ यौन और वैवाहिक संबंध।’
एक स्वस्थ यौन संबंध के लिए, आयुर्वेद के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण पहलू अपान वायु (वायु का प्रकार) है। यह मानव शरीर के पांच प्रकार की वायु में से एक है और यह अंडकोष, मूत्राशय, शिश्न (खड़ा लिंग), नाभि, जांघों और कमर क्षेत्र में स्थित होता है। इसकी कार्यक्षमता में वीर्य का स्खलन और मूत्र एवं मल का उत्सर्जन शामिल है।
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इस अपान वायु में किसी भी तरह से कोई गड़बड़ी कई बीमारियों का कारण बन सकती है; लिंग का सही से तनाव न बन पाना उन बीमारियों में से एक है। अपान वायु की विकृति से जुड़े कारण, अनियमित या दोषपूर्ण दैनिक दिनचर्या से संबंधित है, उदाहरण के लिए, अनुचित आहार से कमर क्षेत्र की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और वायु को प्रभावित करती है।
आयुर्वेद सात महत्वपूर्ण ऊतकों को भी दर्शाता है, जिन्हें धातु कहा जाता है। ये पूरे शरीर को पोषण, विकास और संरचना प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। ये मानव शरीर के अंदर ठीक से काम करते हैं, जब वे उचित संतुलन में होते हैं; उनके संतुलन में किसी भी तरह की गड़बड़ी, बीमारियों का कारण बनता है।
ये सात धातु है, ऊतक प्लाज्मा (रस), रक्त, स्नायु (माँस), वसा (मेध), अस्थि, अस्थि मज्जा और नर्व (मज्जा), और वीर्य (शुक्र) है। शुक्र एक तत्व है जो मानव प्रजनन प्रणाली में मदद करता है और पूरे शरीर में मौजूद होता है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, शुक्र केवल स्खलन के साधनों के दौरान शरीर से बाहर निकलता है। शुक्र धातु के उत्पादन में कमी लिंग का सही से तनाव ना बन पाने का कारण बनती है।
आयुर्वेद ने दुनिया को प्राकृतिक उपचार का आशीर्वाद दिया है और आप चरक संहिता में लिंग का सही से तनाव न बन पाने के दोष का प्राकृतिक उपचार विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं से पा सकते हैं।
लिंग के आस-पास के हिस्सों में से किसी में चोट लगना जैसे नसों, धमनियों, चिकनी मांसपेशियों, रेशेदार ऊतक इतियादी लिंग का सही से तनाव न बन पाने के कारण हो सकते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्राथमिक पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) है। 40 वर्ष की आयु के बाद, एक आदमी का टेस्टोस्टेरोन स्तर धीरे-धीरे कम हो जाता है, जो लिंग का सही से तनाव न बन पाने का कारण बन सकता है।
दफ्तर के काम या व्यक्तिगत मुद्दों के कारण मानसिक तनाव, क्रोध, और अपर्याप्त नींद इस रोग के कारण बन सकते है। इस प्रकार, शोक (दुःख), चिंता (तनाव), और भय/आतंक लिंग का तनाव बनने को भी प्रभावित कर सकता है।
आपके साथी के साथ तनावपूर्ण संबंध या एक-दूसरे को नापसंद करना भी यह दोष के कारण हो सकते है।
आजकल, लोग जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों से पीड़ित हैं और ये बीमारियाँ लिंग का सही से तनाव न बन पाने के रोग को भी जन्म दे सकती है। कुछ मुख्य कारण मानसिक तनाव, मधुमेह, गठिया, एनीमिया, और हृदय संबंधी समस्याएँ होते हैं। हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)और पार्किंसंस (Parkinson’s) रोग को कुछ मामलों में इसका कारण भी माना जा सकता है।
ट्रैंक्विलाइज़र (Tranquilizer), एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressant) और एंटीहाइपरटेन्शन (Antihypertension) की गोलियों का अधिक समय तक उपयोग लिंग का तनाव ना बन पाने के रोग को जन्म दे सकता है। धूम्रपान, तंबाकू, शराब, कोकीन, हेरोइन और मारिजुआना की आदतें कुछ प्रमुख कारण हैं जो इस रोग को प्रभावित करती हैं।
यौन शोषण, मोटापा, यौवन अवस्था में की गयी गलतियां और वृद्धावस्था की बीमारियों को भी लिंग का सही से तनाव न बन पाने के कारणों के रूप में माना जाता है। आयुर्वेद बुढ़ापे के कारण नपुंसकता या स्तंभन दोष का कारण बताता है ऊतक तत्वों की कमी, शक्ति, ऊर्जा, जीवन की अवधि, स्वस्थ भोजन का सेवन करने में असमर्थता, शारीरिक और मानसिक थकान।
अचार्य चरक ने (चरक संहिता में) लिंग का सही से तनाव ना बन पाने के इलाज के लिए कई प्राकृतिक उपचार सुझाए हैं, जो पूर्ण रूप से हर्बल हैं और बिना किसी दुष्प्रभाव के उपचार करने में सक्षम है। ये लिंग के सही से तनाव बनाये रखने की अवधि को बढ़ाकर समय से पहले स्खलन को रोकती है और पुरुष प्रजनन प्रणाली को फिर से जीवित करती है। नपुंसकता के लिए संपूर्ण उपचार को आयुर्वेद में वाजीकरण चिकित्सा के रूप में जाना जाता है।
विभिन्न प्राकृतिक उपचार और जड़ी-बूटियां लिंग का सही से तनाव न बन पाने का इलाज कर सकती हैं, और यहां, हमने आपको जल्दी से प्रभाव करने वाले उपाय बताए हैं।
विथानिया सोमनीफ़ेरा (लैटिन नाम) को आमतौर पर अश्वगंधा या भारतीय जिनसेंग के रूप में जाना जाता है और इसे वाजीकरण की एक प्राथमिक दवा माना जाता है। अश्वगंधा में तनाव विरोधी (एंटी स्ट्रेस) या एडाप्टोजेनिक (Adaptogenic) गुण पाए जाते हैं, जो लिंग के तनाव को प्रेरित कर यौन रोगों में एक प्रभावी जड़ी बूटी के रूप में काम करता है।
अपने स्वास्थ्य चिकित्सक की सलाह से ही इस चूर्ण का सेवन करें।
काले डामरटम पुंजाबिनम को आमतौर पर शिलाजीत के रूप में जाना जाता है जो उच्च पर्वत चट्टानों, विशेष रूप से हिमालय के पहाड़ों से निकलता है। इसके गुण एंटी एजिंग (Anti-ageing), एंटीऑक्सीडेंट(anti-oxident), स्मरण शक्ति (memory power) बढ़ाने वाले और एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) हैं। यह यौन रोगों में इस्तेमाल होने वाली सबसे आम जड़ी बूटी है।
बिना डॉक्टर के परामर्श के इसका सेवन निषेध है।
क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम (Chlorophytum Borivilianum) को आमतौर पर सफेद मूसली के रूप में जाना जाता है। मूसली के कंद में सैपोनिन शामिल हैं और इसमें कामोद्दीपक (Aphrodisiac), एडाप्टोजेनिक (Adaptogenic), एंटीजिंग (Antiaging) और स्वास्थ्य प्रतिबंधक गुण हैं।
डॉक्टर के परामर्श से आप इसे दिन में एक बार गुनगुने पानी या दूध के साथ सफ़ेद मुसली चूर्ण लें सकते हैं।
ऐस्पेरेगस रेसीमोसस (Asparagus racemosus) को आमतौर पर शतावरी के रूप में जाना जाता है। यह प्राकृतिक जड़ी बूटी सैपोनिन (Saponin) में समृद्ध है जो एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) क्षमताओं से बना है। यह ऑक्सीडेटिव तनाव से भी लड़ता है जो लिंग के सही से तनाव न बन पाने का कारण बनता है।
अपने स्वास्थ्य चिकित्सक की सलाह से ही इस चूर्ण का सेवन करें।
● पोषण भरी खुराक, हरी सब्जियां, मीट, क्रस्टेशियंस (समुद्री भोजन), मसल्स, मछली, अंडा, दूध, घी, और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाएँ।
● अधिक फल और सब्ज़ियाँ खाएं जिनमें विटामिन बी 3 (B3), सी (C) और डी (D) हो जैसे खट्टे फल, सालमन (Salmon) मछली, और कुकुरमुत्ता हों।
● मसालेदार, खट्टा, और जंक फूड या चीनी से बने खाद्य पदार्थों जैसे कि मिल्कशेक, शक्कर युक्त पेय, और केक से बचें।
● अपने आहार में लहसुन, प्याज, अंजीर, मेवे, केसर, शहद, और बादाम दूध को शामिल करें।
● ज्यादा से ज्यादा पानी पिएँ।
लिंग का सही से तनाव न बन पाने का इलाज करने, यौन क्रिया को बढ़ाने और प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए आयुर्वेद में विभिन्न जड़ी-बूटियों का संयोजन हैं। यह जड़ी-बूटियां कई स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए जटिल रूप से कार्य करता है ।
आयुर्वेद में स्तंभन दोष की दवाएं लेने से, आसानी से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है, जिसका उल्लेख हमने उचित आहार और जीवन शैली में किया है।
फिर भी, यदि आपको लगता है कि आप अपने स्वास्थ्य की चिंता का विश्लेषण करने या व्यक्तिगत उपचार पर चर्चा करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहते हैं, तो आप विशेषज्ञ परामर्श के लिए ऑनलाइन हमसे परामर्श कर सकते हैं।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.