लिवर के मरीजों की संख्या भारत में 25-30 मिलियन तक हो सकती है, क्योकि लिवर से जुड़े रोगो की संख्या भारत में अधिक है। लीवर के रोग, जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और लीवर कैंसर, भारत में लिवर से जुडी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसलिए, लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखना और लीवर रोग से बचने के लिए समय पर उपचार और उच्च चिकित्सा महत्तवपूर्ण है। जिगर एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में काई प्रकार का कार्य करता है।
1. विसर्जन कार्य (Detoxification): लीवर शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालने का काम करता है। ये विशेष पदार्थ जैसे शराब, दवाइयाँ , विषाक्त पदार्थ, और अन्य अवशेष पदार्थ को बाहर निकाल कर शरीर को स्वच्छ रखता है।
2. खाना पचाने का कार्य (पाचन): लीवर पचाने की प्रक्रिया में भी महत्तवपूर्ण भूमिका निभाती है। ये पाचन शक्ति को बढ़ाने और खाना पचाने में मदद करता है।
3. ग्लूकोजोजेनेसिस: जब शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है, तब लिवर ग्लूकोजोजेनेसिस के द्वार ग्लूकोज को उत्पन्न करके शरीर को ऊर्जा प्रदान की जाती है।
4. रक्त संचलन : लिवर रक्त में ग्लूकोज, प्रोटीन, गुड कोलेस्ट्रॉल, और कोई भी अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को बैलेंस करता है। इसके अलावा, ये रक्त में वासा को भी नियंतृत करता है।
5. प्रोटीन उत्पादन (प्रोटीन संश्लेषण): लिवर शरीर में उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करता है, जैसे कि प्लाज्मा प्रोटीन, क्लॉटिंग कारक, और एल्ब्यूमिन।
6. पित्ताशय से रसायनिक पदार्थ का निर्माण: लीवर पित्ताशय द्वार निर्मित रसायनिक पदार्थ (Pitta Rasa) का उत्पादन करता है जो पाचन प्रक्रिया (Disgestion) में मदद करता है।
7. वसा का चयापचय: लिवर वसा का चयापचय (Metabolism) करता है और उन्हें उपयोग या भंडारण के लिए नियंत्रित करता है।
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लिवर की बीमारी होने के कारण :
1. शराब : अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है और लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है।
2. हेपेटाइटिस वायरस संक्रमण: हेपेटाइटिस बी, सी, और डी वायरस के संक्रमण लीवर की बीमारी का प्रमुख कारण है। ये वायरस शरीर में प्रतिरोधक प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं और हेपेटाइटिस, लीवर की क्षति, और सिरोसिस का कारण बन सकते हैं।
3. फैटी लिवर रोग: अधिक वसा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, या किसी इन्फेक्शन के कारण, शरीर में फैट का जमा हो जाना लिवर की समस्याओं का कारण बन सकता है।
4. ऑटोइम्यून विकार: ऑटोइम्यून रोग जैसे कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, प्राइमरी बिलीरी सिरोसिस, और प्राइमरी स्केलेरोजिंग कोलेंजाइटिस, शरीर में अपने ही लिवर को नुकसान पहुंचाता हूं।
5. आनुवंशिक कारक: कुछ लिवर रोग पारिवारिक हो सकते हैं, जैसे कि हेमोक्रोमैटोसिस, विल्सन रोग, और अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी।
6. दवाओं का अत्यधिक उपयोग: कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से भी लीवर की बीमारी हो सकती है, जैसे कि एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) का अधिक सेवन करना।
लिवर की बीमारी होने के लक्षण :
1. थकन और कामजोरी: लीवर की समस्या होने पर व्यक्ति में थकन और कामजोरी का अनुभव होता है।
2. पिलिया : पिलिया का रंग बदलना, जलन और दर्द का पीला होना, लीवर की समस्या का संकेत हो सकता है।
3. पेट दर्द: लीवर की बीमारी होने पर पेट में गैस और असहनीय दर्द होता है।
4. वजन कम होना: बीमारी के कारण वजन कम हो सकता है और शरीर में सुस्ती महसूस होती है।
5. पेट में सुजान : लीवर की बीमारी के कारण पेट में सुजन और भारीपन का अनुभव होता है।
6. चक्कर आना : लीवर की समस्या होने पर चक्कर आना, बुखार, और सिर दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
7. पेशाब का रंग बदलना: लीवर की समस्या होने पर पेशाब का रंग गाढ़ा पीला, झागदार हो सकता है और चिकना होने लगता है।
लीवर की बिमारियों के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ कई प्रकार की होती हैं। ये दवाएँ लीवर के रोग को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं और लीवर के स्वास्थ्य को बनाने में मदद करती हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएँ और उनके फ़ायदे दिए गए हैं:
1. दिव्या लिव डी 38 सिरप एवम टेबलेट : ये सिरप लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखें और लीवर विकार जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और पिलिया (पीलिया) का इलाज करने में मदद करता है। इसमे मौजुद जड़ी-बूटियाँ लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने और लीवर को डिटॉक्सिफाई करने में सहायक होती हैं।
2. दिव्य यकृत प्लिहंतक चूर्ण : ये चूर्ण लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है और लीवर विकार जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, और सिरोसिस को नियंत्रित करने में सहायक है। इसमें मौजुद जड़ी-बूटियां लीवर की रक्षा, पुनर्जीवन क्रियाशिल्पता को बढ़ाना, और पिलिया का इलाज करने में सहायक होती हैं।
3. दिव्य कसीस भस्म : ये भस्म लीवर की समस्यों जैसे कि हेपेटाइटिस, पिलिया, और एनीमिया का इलाज करने में उपयोगी है। इसका सेवन लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और लिवर की क्रियाशीलता को सुधारने में सहायक होता है।
4. दिव्य सर्व-कल्प क्वाथ : ये क्वाथ लिवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और पिलिया के इलाज में उपयोगी है। इसमें मौजुद जदी-बूटियां लीवर को स्वस्थ रखने और उसकी क्रियाशीलता को सुधारने में मदद करती हैं।
5. दिव्य पुनर्नवादि मंडूर : ये लीवर की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और लीवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, पिलिया, और एनीमिया का इलाज करने में मदद करता है। इसमें मौजुद रसायनिक तत्व लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
6. लिव.52 (हिमालय ड्रग कंपनी) : लिव.52 एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है जो लिवर के स्वस्थ को बनाए रखने में मदद करती है। इसमें काई जड़ी बूटी का मिश्रण होता है जो लीवर को डिटॉक्सिफाई करके लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने में मदद करता है। Liv.52 लीवर के रोग जैसे फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, और सिरोसिस में उपयोगी है।
7. आरोग्यवर्धिनी वटी: आरोग्यवर्धिनी वटी एक प्राचीन आयुर्वेदिक दवा है जो लीवर की बिमारियों में उपयोगी है। इसमें बहुत सी जड़ी-बूटियां होती हैं जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं और लिवर की क्रियाशीलता को सुधारने में सहायक होती हैं।
8. कुटकी (पिक्रोरिजा कुर्रोआ) : कुटकी एक प्रकार की जड़ी-बूटी है जो लीवर के लिए प्रसिद्ध है। इसमे मौजुद रसायनिक तत्व लिवर की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं और लिवर की क्रियाशिल्टा को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
9. त्रिफला चूर्ण : त्रिफला चूर्ण पेट की सफाई और पाचन को सुधारने में मदद करता है, जो लीवर की बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले रसायनिक तत्व लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
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लीवर की बिमारियों के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं का महत्व उचित रूप से है, और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के दवाइयाँ उपचार के माध्यम से लीवर की बीमारियों का उपचार करने में सहायता मिल सकती है। ये दवाएं लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने में और लीवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, पिलिया, सिरोसिस और फैटी लीवर का इलाज करने में मदद करती हैं। इस प्रकार, आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करके, सही आहार और व्यायाम के साथ, लीवर की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है और लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।Healthybazar पर जाएं और अपनी हर समस्या का समाधान प्राकृतिक तरीकों और समस्या को जड़ से ख़तम करने का उपाए हमारे डॉक्टर्स से ले । हमेशा ये याद रखें कि किसी भी दवा का इस्तेमाल शुरू करने से पहले एक वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।हमारे विशेषज्ञ डॉ. अजय सक्सेना से संपर्क करें।
A graduate from Hamdard University, Dr Asfiya is dedicated to providing natural treatments and comfort to every patient through her extensive knowledge and experience. In addition to medical practice, she has a passion for playing volleyball and chess.
One of the most important elements determining someone’s physical appearance is hair. Men and women worldwide constantly seek the best Ayurvedic treatment for hair fall to enhance the appearance and health of their hair.
However, due to various causes such as a poor diet, environmental factors, hormonal imbalance, or stress, we often suffer from hair issues. These issues include hair fall, premature greying, and thinning. Moreover, many commercial hair care products use many chemicals that damage not only the hair but also, potentially, the body's nervous system and endocrine system too.
Also, the products we use to treat our damaged hair often have only a superficial effect and leave the underlying causes unanswered. This is why we should consider home remedies and herbal products to take care of our hair from its roots.
A study on Chennai based population on hair fall with hair related problems among males of age 18-50 revealed the following:
Common symptoms of hair loss can vary in men and women. In women, the primary symptom of hair fall is hair loss in the parting of the head and the mid-frontal area of the scalp. For men, hair thinning on the top of the head, along with noticeable bald spots in the front, are clear indications of male pattern hair loss.
Additionally, if you find more hair than usual on the hairbrush after you brush or after washing your hair and on your pillow in the morning, these are also signs of hair loss. You may consider herbal treatment of hair fall to stop hair fall in the initial level to avoid severe loss.
There are various causes of hair fall that may vary from person to person.
Here are some common causes of hair fall:
These factors can lead to excess toxic substances in the body and cause hair fall.
According to Ayurvedic treatment for hair fall, the hair is a direct by-product of your bone tissue (marrow). It is also linked to the central nervous system and gut. This means any weakness in the bone tissue, nervous system, and digestive system’s health will naturally result in hair loss or diminishing hair growth.
In other words, the imbalance in your unique constituency or ratio (Prakriti) of Vata, Pitta, and Kapha Doshas (physical forces) will lead to the underlying issues in bone marrow, nervous and digestive systems. This, in turn, reflects in your scalp and hair.
You can understand your underlying Dosha imbalance or physiological imbalance by assessing your hair texture and the type of hair problems you have.
For example:
The Ayurvedic system is wholly based on balancing the three dosha levels – Vatta, Pitta, and Kapha. According to Ayurveda texts, hair fall occurs when a Dosha imbalance occurs. Thus, it is necessary to know the patient's Prakriti to regrow hair. Diet and lifestyle are also significant factors in promoting hair growth.
There are various home remedies that not only help to control hair fall but also help to keep your hair shiny and beautiful. In addition, these remedies can be performed at home quickly due to the easy availability of the ingredients.
An egg has many ingredients like Sulphur, Phosphorus, Zinc, Iodine, etc., that control hair fall and promote hair growth.
To prepare an egg mask, follow these instructions:
This herb prevents hair loss and maintains hair sustainability. In addition, it helps soothe the scalp and eliminate any dry flakes/dandruff.
The protein and essential fats in coconut milk promote hair growth and prevent hair loss.
To prepare the milk, follow these instructions:
Green tea is rich in antioxidants, which help boost hair growth and prevent hair loss.
Eating healthy and living a balanced lifestyle is essential to keeping your hair healthy. According to Ayurvedic treatment for hair fall, a wholesome and balanced diet enriched with vitamins and minerals helps grow hair.
Following are some diet and lifestyle changes you should adopt in your life to regain your hair:
Along with diet and lifestyle changes, a few herbs help to prevent and control hair fall. These herbs enhance hair quality and make hair shiny. You can use their extracts or powders as hair masks or add them while washing your hair.
Following are the herbs to prevent hair fall:
Shikakai is a magical herb that is very beneficial for hair. It can be considered a natural hair cleanser or shampoo due to its cleansing properties. In addition, it helps to promote hair growth naturally and nourishes hair with its antioxidant properties.
How to use-
Brahmi is a very powerful herb to promote hair growth and hair quality. It is useful in preparing herbal oil that is beneficial to make your hair strong and efficient to relieve stress hormones called ‘cortisol’ and lighten your mood. It is also effective for dry and damaged scalp.
How to use-
Amla is enriched with Vitamin C, an essential element to keep hair and scalp healthy and refreshing. In addition, it is rich in fatty acids and antioxidants that help strengthen hair follicles, and it helps to remove dandruff, dissolve grease and dirt from follicles.
Massaging the scalp with Amla oil can increase blood circulation. It provides essential nutrients to hair follicles to promote hair growth.
How to use-
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In modern medicine, health issues like hair fall, greying hairs, and dandruff are treated symptomatically for months of application. Ayurveda relieves these head disorders in Siraveda at the forehead region to clear obstruction channels. There are various herbs and home remedies available in Ayurveda that help to cleanse the scalp, circulate blood in hair and promote hair growth. Along with Ayurvedic treatment for hair fall, you should also consider healthy diet and lifestyle modifications to ensure speedy hair growth and nourishment. Find lifestyle tips and Ayurvedic products at HealthyBazar. All the products on-site are genuine. To treat hair fall problems and get healthier hair, one can also consult with Dr. Shivani, an Ayurvedic Consultant, and Practitioner with 3 years of experience.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
Kidney stones are one of the most common lifestyle diseases people are suffering from these days. However, the good news is that, with the help of some home and herbal remedies, you can treat it naturally!.
In the western world, the annual incidence of Kidney Stone is about 0.5%, where a lifetime risk of developing it is about 10-15%, and it increases by 20-25% in the Middle East. In the Indian population, about 12% are expected to have urinary stones and out of which, 50% may end up with a loss of kidney functions.
Kidney stone is made of hard minerals and salt deposits that form inside the kidneys. They are also known as Urolithiasis or Nephrolithiasis. It has been a global problem affecting human beings since ancient times. It is a condition in which the crystals of uroliths/stones are present in the urinary tract and form uneven calculi.
Kidney stone is also known as calculi. These calculi can differ in size and shape, found anywhere in the urinary tract from the kidney to the bladder. Kidney stone is a significant problem in India and other developing countries. Kidney stones have generally affected 10-12% of the industrialized population.
The Patient does not identify whether he is suffering from kidney stones. After leaving the stone through the kidney, it passes to the bladder with the help of ureters. At the same time, some of the stones remain in the ureters. Further, they block the urine flow out of the kidneys and make it swell; this condition is called Hydronephrosis.
Some of the common symptoms of kidney stones are as follows:
The common causes of kidney stones include:
A slight reduction in urinary oxalate is associated with a significant decrease in the formation of calcium oxalate stones. Hence, one should avoid oxalate-rich foods like Cucumber, Green Peppers, Beetroot, Spinach, Soya Bean, Chocolate, Popcorn, and Sweet Potato. Mainly kidney stones affect the parts of the body like the kidney ureters and urethra.
More critical, kidney stone is a recurrent disorder with lifetime recurrence risk reported as high as 50%. Therefore, there is a higher chance of developing heart diseases due to kidney stones. In addition, kidney stones reduce the formation of minerals and essential elements for bone formation.
In Ayurveda, we can compare this disease with "Ashmari." Ashmari (calculi) comprises two words, i.e., 'Ashma' (stone) and 'Ari' (enemy). Ashman (calculi), called Moothrashmari (Urolithiasis), is a disease of Moothravahasrotas (urinary tract) and involves the formation of a stone. Kidney stone resulting in severe pain as given by an enemy.
Charaka, Sushrut, and Vagbhata describe it in Ashmari Vyadhi. In Asanshodhil (regular not doing Panchkarma) and Adhikari (Unwholesome Diet), person aggravated Kapha dosha mix up with Mutra (urine), enter in Basti (Kidney, Ureter, Bladder), obstruct the urinary tract, and create Ashmari. Sushrut has mentioned that those who do not undergo Panchkarma Treatment regularly, take an unhealthy diet, and follow a faulty lifestyle, are prone to recurrent kidney stones.
Ashmari is one of the diseases under Asthamahagad, i.e., challenging to cure. Ashmari is Vyadhi of Mutravaha Strotas. As Basti comes under Trimarma (three-fold of life).
There are 4 types of Ashmari described in Ayurveda:
1) Vataj Ashmari (Calcium Oxalate Stone): Vataj Ashmari is blackish, hard, irregular, rough structure, and like Kadamb flower, full of a spike. The symptoms of this kind of Ashmari are intense pain in the abdomen and anal region. In addition, they cause burning in the penis, making it difficult to excrete Vata, Mutra, and stool.
2) Pittaj Ashmari (Uric Acid Stone): Pittaj Ashmari looks like Bhallatak. Its symptoms are burning micturition and yellow urine.
3) Kaphaj Ashmari (Oxalate/ Phosphate stone): It is slimy, big, and looks Light green or white in colour. The symptoms are pain in the Urinary bladder and thighs. Acharya Sushruta, the world-first surgeon, described various types of treatment in Ashmari like Ghrut (Ghee/ Clarified butter), Kashaya (Decoction), and Kshara Bhedan (Scratching).
4) Shukra Ashmari (Spermolith) – This stone develops in the seminal vesicle due to the suppression of semen. If semen flow (Shukra Vega) is suppressed, it takes transit movement (Vimargagamana) and lodges in between penis (Medhra) and testis (Vrushana).
Ayurvedic treatment of renal stones has various therapies, including plant-based medicine, diet, and lifestyle changes.
Here are the Ayurvedic home remedies and diet recommendations to treat Kidney stones naturally:
Some Home Remedies for Kidney Stones
Include any fluid such as water, coffee, and lemonade in your diet except for grapefruit juice and soda. They are known to have a beneficial effect. This will help produce less concentrated urine and ensure at least 2.5L/day a good urine volume.
It would be best if you eliminated spinach, berries, chocolate, wheat bran, nuts, beets, and tea from your diet.
Three servings of dairy per day will help lower the risk of calcium stone formation.
Take calcium supplements regularly but only after consulting with your physician and registered kidney dietitian.
High protein intake will cause the kidneys to excrete more calcium which may cause more stones to form in the kidney. So, one should eat a moderate amount of protein.
High sodium intake increases calcium in the urine, increasing the chances of developing stones. Therefore, it would help if one had a low salt diet, and it is also important to control blood pressure.
It is recommended to take 60mg/day of vitamin C because the excess amounts of Vitamin C helps produce more oxalate in the body.
Along with the diet and lifestyle changes, you should also consider some Ayurvedic medicines. These medicines will not only help you to treat kidney stones but also help to avoid recurrence.
The following are some medicines you may consider to treat kidney stones:
The active ingredients include Hajrul Yahud Bhasma (silicate of lime), Yavakshar, Shwet Parppati, and Pashanbhed Churna. Anupan of this Kwath is Kulthi Kadha which has Kaphahar and Bhedan properties.
Dosage– 2 tsp. twice a day with water.
The active ingredients included are Nagarmotha (Root), Sounth (Rhizome), Kali Marich (Seed), Pippali (Fruit), Haritaki (Fruit), Bibhitaki (Fruit), Amla (Fruit), Shudh Guggul, Gokharu (Panchang). In addition, Gokshuradi Guggulu acts as an Antispasmodic and an Antibiotic. It has a Diuretic (Mutral) property.
Dosage – 2 tablets twice a day with water.
Its active ingredients include Varun, Pashanbheda, Sunthi, and Gokshura. Varunadi Kwath is Diuretic in action. In addition, it has a penetration (Bhedan) activity. So, it helps to disintegrate the stone.
Dosage – 2 tsp thrice a day with a half cup of water.
Dos and Don'ts
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According to Ayurveda, lifestyle modification through diet, internal medicines, and Basti therapy is highly effective in managing renal stones. In addition, proper counseling and guidance should be provided to kidney stone patients, including Pathya – Apathya (dietary management) correlation with Ashmari management. Furthermore, home Remedies for Kidney Stones can help prevent further complications and recurrence of the disease. Find lifestyle tips and Ayurvedic products at HealthyBazar. All the products on-site are genuine, and one can also consult with the best Ayurvedic and Unani doctors.
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