Published 28-11-2022
LIVER AND KIDNEYS
लिवर के मरीजों की संख्या भारत में 25-30 मिलियन तक हो सकती है, क्योकि लिवर से जुड़े रोगो की संख्या भारत में अधिक है। लीवर के रोग, जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और लीवर कैंसर, भारत में लिवर से जुडी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसलिए, लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखना और लीवर रोग से बचने के लिए समय पर उपचार और उच्च चिकित्सा महत्तवपूर्ण है। जिगर एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में काई प्रकार का कार्य करता है।
1. विसर्जन कार्य (Detoxification): लीवर शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालने का काम करता है। ये विशेष पदार्थ जैसे शराब, दवाइयाँ , विषाक्त पदार्थ, और अन्य अवशेष पदार्थ को बाहर निकाल कर शरीर को स्वच्छ रखता है।
2. खाना पचाने का कार्य (पाचन): लीवर पचाने की प्रक्रिया में भी महत्तवपूर्ण भूमिका निभाती है। ये पाचन शक्ति को बढ़ाने और खाना पचाने में मदद करता है।
3. ग्लूकोजोजेनेसिस: जब शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है, तब लिवर ग्लूकोजोजेनेसिस के द्वार ग्लूकोज को उत्पन्न करके शरीर को ऊर्जा प्रदान की जाती है।
4. रक्त संचलन : लिवर रक्त में ग्लूकोज, प्रोटीन, गुड कोलेस्ट्रॉल, और कोई भी अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को बैलेंस करता है। इसके अलावा, ये रक्त में वासा को भी नियंतृत करता है।
5. प्रोटीन उत्पादन (प्रोटीन संश्लेषण): लिवर शरीर में उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करता है, जैसे कि प्लाज्मा प्रोटीन, क्लॉटिंग कारक, और एल्ब्यूमिन।
6. पित्ताशय से रसायनिक पदार्थ का निर्माण: लीवर पित्ताशय द्वार निर्मित रसायनिक पदार्थ (Pitta Rasa) का उत्पादन करता है जो पाचन प्रक्रिया (Disgestion) में मदद करता है।
7. वसा का चयापचय: लिवर वसा का चयापचय (Metabolism) करता है और उन्हें उपयोग या भंडारण के लिए नियंत्रित करता है।
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लिवर की बीमारी होने के कारण :
1. शराब : अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है और लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है।
2. हेपेटाइटिस वायरस संक्रमण: हेपेटाइटिस बी, सी, और डी वायरस के संक्रमण लीवर की बीमारी का प्रमुख कारण है। ये वायरस शरीर में प्रतिरोधक प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं और हेपेटाइटिस, लीवर की क्षति, और सिरोसिस का कारण बन सकते हैं।
3. फैटी लिवर रोग: अधिक वसा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, या किसी इन्फेक्शन के कारण, शरीर में फैट का जमा हो जाना लिवर की समस्याओं का कारण बन सकता है।
4. ऑटोइम्यून विकार: ऑटोइम्यून रोग जैसे कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, प्राइमरी बिलीरी सिरोसिस, और प्राइमरी स्केलेरोजिंग कोलेंजाइटिस, शरीर में अपने ही लिवर को नुकसान पहुंचाता हूं।
5. आनुवंशिक कारक: कुछ लिवर रोग पारिवारिक हो सकते हैं, जैसे कि हेमोक्रोमैटोसिस, विल्सन रोग, और अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी।
6. दवाओं का अत्यधिक उपयोग: कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से भी लीवर की बीमारी हो सकती है, जैसे कि एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) का अधिक सेवन करना।
लिवर की बीमारी होने के लक्षण :
1. थकन और कामजोरी: लीवर की समस्या होने पर व्यक्ति में थकन और कामजोरी का अनुभव होता है।
2. पिलिया : पिलिया का रंग बदलना, जलन और दर्द का पीला होना, लीवर की समस्या का संकेत हो सकता है।
3. पेट दर्द: लीवर की बीमारी होने पर पेट में गैस और असहनीय दर्द होता है।
4. वजन कम होना: बीमारी के कारण वजन कम हो सकता है और शरीर में सुस्ती महसूस होती है।
5. पेट में सुजान : लीवर की बीमारी के कारण पेट में सुजन और भारीपन का अनुभव होता है।
6. चक्कर आना : लीवर की समस्या होने पर चक्कर आना, बुखार, और सिर दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
7. पेशाब का रंग बदलना: लीवर की समस्या होने पर पेशाब का रंग गाढ़ा पीला, झागदार हो सकता है और चिकना होने लगता है।
लीवर की बिमारियों के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ कई प्रकार की होती हैं। ये दवाएँ लीवर के रोग को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं और लीवर के स्वास्थ्य को बनाने में मदद करती हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएँ और उनके फ़ायदे दिए गए हैं:
1. दिव्या लिव डी 38 सिरप एवम टेबलेट : ये सिरप लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखें और लीवर विकार जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और पिलिया (पीलिया) का इलाज करने में मदद करता है। इसमे मौजुद जड़ी-बूटियाँ लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने और लीवर को डिटॉक्सिफाई करने में सहायक होती हैं।
2. दिव्य यकृत प्लिहंतक चूर्ण : ये चूर्ण लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है और लीवर विकार जैसे कि फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, और सिरोसिस को नियंत्रित करने में सहायक है। इसमें मौजुद जड़ी-बूटियां लीवर की रक्षा, पुनर्जीवन क्रियाशिल्पता को बढ़ाना, और पिलिया का इलाज करने में सहायक होती हैं।
3. दिव्य कसीस भस्म : ये भस्म लीवर की समस्यों जैसे कि हेपेटाइटिस, पिलिया, और एनीमिया का इलाज करने में उपयोगी है। इसका सेवन लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और लिवर की क्रियाशीलता को सुधारने में सहायक होता है।
4. दिव्य सर्व-कल्प क्वाथ : ये क्वाथ लिवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और पिलिया के इलाज में उपयोगी है। इसमें मौजुद जदी-बूटियां लीवर को स्वस्थ रखने और उसकी क्रियाशीलता को सुधारने में मदद करती हैं।
5. दिव्य पुनर्नवादि मंडूर : ये लीवर की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और लीवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, पिलिया, और एनीमिया का इलाज करने में मदद करता है। इसमें मौजुद रसायनिक तत्व लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
6. लिव.52 (हिमालय ड्रग कंपनी) : लिव.52 एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है जो लिवर के स्वस्थ को बनाए रखने में मदद करती है। इसमें काई जड़ी बूटी का मिश्रण होता है जो लीवर को डिटॉक्सिफाई करके लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने में मदद करता है। Liv.52 लीवर के रोग जैसे फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, और सिरोसिस में उपयोगी है।
7. आरोग्यवर्धिनी वटी: आरोग्यवर्धिनी वटी एक प्राचीन आयुर्वेदिक दवा है जो लीवर की बिमारियों में उपयोगी है। इसमें बहुत सी जड़ी-बूटियां होती हैं जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं और लिवर की क्रियाशीलता को सुधारने में सहायक होती हैं।
8. कुटकी (पिक्रोरिजा कुर्रोआ) : कुटकी एक प्रकार की जड़ी-बूटी है जो लीवर के लिए प्रसिद्ध है। इसमे मौजुद रसायनिक तत्व लिवर की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं और लिवर की क्रियाशिल्टा को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
9. त्रिफला चूर्ण : त्रिफला चूर्ण पेट की सफाई और पाचन को सुधारने में मदद करता है, जो लीवर की बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले रसायनिक तत्व लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
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लीवर की बिमारियों के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं का महत्व उचित रूप से है, और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के दवाइयाँ उपचार के माध्यम से लीवर की बीमारियों का उपचार करने में सहायता मिल सकती है। ये दवाएं लीवर की क्रियाशीलता को सुधारने में और लीवर के रोग जैसे हेपेटाइटिस, पिलिया, सिरोसिस और फैटी लीवर का इलाज करने में मदद करती हैं। इस प्रकार, आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करके, सही आहार और व्यायाम के साथ, लीवर की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है और लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।Healthybazar पर जाएं और अपनी हर समस्या का समाधान प्राकृतिक तरीकों और समस्या को जड़ से ख़तम करने का उपाए हमारे डॉक्टर्स से ले । हमेशा ये याद रखें कि किसी भी दवा का इस्तेमाल शुरू करने से पहले एक वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।हमारे विशेषज्ञ डॉ. अजय सक्सेना से संपर्क करें।