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Published 29-04-2024

मधुमेह के लिए सही चुनाव: बिना किसी साइड इफेक्ट के दवा का महत्व

DIABETES

मधुमेह के लिए सही चुनाव: बिना किसी साइड इफेक्ट के दवा का महत्व

Dr. Shivani Nautiyal

Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.

मधुमेह या diabetes को भारत में मधुमेह का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है, जैसी कि दुनिया भर में इसके मरीज बढ़ रहे है। मधुमेह के मरीजों की सांख्य भारत में बहुत अधिक है और ये सांख्य दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत में मधुमेह के करीब 7-8 करोड़ से अधिक रोगी हैं, लेकिन ये संख्या बढ़ती ही जा रही है। ये सांख्य प्रति वर्ष बढ़ रही है, जिसे ये समास्या एक गंभीर समास्या बन रही है। आयुर्वेद में मधुमेह को " प्रमेह " कहते है। मधुमेह एक प्रकार का प्रमेहा रोग है, जो मेद (Bone Marrow) रोगो में से एक है। आयुर्वेद के अनुसर, मधुमेह शरीर में अधिक ग्लूकोज (रक्त ग्लूकोज) होने की स्थिति है, जो कि आम तौर पर इंसुलिन के शरीर से कम निकलने और बिल्कुल न बनने के कारण होती है। मधुमेह पुरषों और महिलाओं दोनों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है |

महिलाओ में मधुमेहा के लक्षण मर्दो से थोड़ा अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं में, गर्भकालीन मधुमेह या गर्भधारण के समय मधुमेह होने की स्थिति हो सकती है। ये समस्त गर्भस्थ महिलाओ को प्रभावित करती है और इसमे महिला और बच्चे दोनो को खतरा होता है। पुरषों में मधुमेह  के लक्षण अक्सर प्यास, भूख में अधिकता, थकन और सुस्ती के रूप में प्रकट होते हैं। ये समस्या पुरुषो को काई प्रकार के रोगो से प्रभावित कर सकता है, जैसे की दिल के रोग, न्यूरोलॉजिकल समस्या, और यूरोलॉजिकल समस्या।  

मधुमेह होने के आयुर्वेदिक करण और लक्षण

आयुर्वेदिक कारण :

1.  दोष : आयुर्वेद के अनुसार, मधुमेह दोष से उत्पन्न होता है, जिसमें वात, पित्त और कफ दोष असमान्य गति में होते हैं। ये दोष-दुःशित्व शरीर के प्रकृति और विकृति को प्रभावित करके मधुमेह का कारण बन सकता है।

2. धातु दुष्ष्टि: धातुओं का दुषित होना भी मधुमेह का करण हो सकता है, जिसमें मूलाधार (अग्न्याशय), मेद (वसा), मांस  (मांसपेशी), रक्त (रक्त), और शुक्र (वीर्य) धातु शामिल होते हैं।

3. अग्नि मांद्य: अग्नि (पाचन अग्नि) का काम होना भी मधुमेह का कारण हो सकता है। जब अग्नि मंदता होती है, तो अन्न-रस का ठीक से पाचन नहीं होता है और ग्लूकोज का सेवन बढ़ जाता है।

4.  वायु दोष: वायु दोष का प्रकोप भी मधुमेह के कारण हो सकता है, जिसके शरीर में वात दोष अधिक हो जाता है और ग्लूकोज़ का प्रवाह बढ़ जाता है।

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आयुर्वेदिक लक्षण:

1. ज्यादा  प्यास (पॉलीडिप्सिया): व्यक्ति को अति प्यास का अनुभव होता है, जिसमें वो बार-बार पानी पीते हैं।

2. ज्यादा भूख (पॉलीफेगिया): अति भूख का अनुभव होता है, जिसकी व्यक्ति बार-बार कुछ खाना चाहता है।

3. अधिक मूत्र (पॉलीयूरिया): अति मुथरा का अनुभव होता है, जिसकी व्यक्ति बार-बार मुथरा करता है।

4. शरीर में सुस्ती और कामजोरी: व्यक्ति को थकन और सुस्ती का अनुभव होता है, जिसके शरीर में सुस्ती और कामजोरी महसूस होती है।

5. चक्कर आना और खुजली: चक्कर आना, खुजली और त्वचा संक्रमण का अनुभव भी मधुमेह के लक्षण हो सकते हैं।

6. वजन घटना: कुछ शब्दों में मधुमेहा के होने पर वजन घटने लगता है, जबकी कुछ में वजन बढ़ सकता है।

आयुर्वेद में मधुमेह का इलाज

मधुमेह के आयुर्वेदिक उपचार के लिए, पहला कदम आमतौर पर आहार योजना और जीवनशैली में बदलाव होता है। अपने पोषण स्तर और चयापचय में सुधार के लिए अपने आहार में ढेर सारी हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल करें। इनके अलावा, अपने आहार में कुछ हर्ब्स भी शामिल करें। मधुमेह के लिए प्राकृतिक औषधि के रूप में काम करने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में हल्दी, करेला, गुड़मार की पत्तियां, बेल, मेथी और कई अन्य शामिल हैं।  मधुमेह के आयुर्वेदिक उपचार के अलावा, आप योग का अभ्यास भी कर सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो मधुमेह को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में मदद कर सकते हैं:

1. करेले का जूस: आप प्रतिदिन सुबह-सुबह 30 मिलीलीटर करेला/कड़वे तरबूज का ताजा रस का सेवन कर सकते हैं। बीज अलग कर लें और फलों को मिक्सर में मिला लें. -थोड़ा सा पानी डालकर ब्लेंडर में मिक्स कर लें. जूस निकालने के लिए छलनी का प्रयोग करें. करेले के छोटे और पतले टुकड़े काट लिये जाते हैं, इन्हें थोड़े से सरसों के तेल और आवश्यक मात्रा में नमक के साथ भूनें। पैन में हरी मिर्च और प्याज डालें और मिश्रण को 10-15 मिनट तक गर्म करें और इसका सेवन करे |

2. एलोवेरा और पिसा हुआ तेज़ पत्ता: प्रभावी हाइपरग्लाइसेमिक नियंत्रण के लिए एलोवेरा जेल (1 बड़ा चम्मच), पिसी हुई तेजपत्ता (1/2 चम्मच), और हल्दी (1/2 चम्मच) का मिश्रण दोपहर के भोजन और रात के खाने से पहले दिन में दो बार लेने की सलाह दी जाती है।

3. मेथी के बीज: मेथी के बीज, जिसे मेथी के बीज के रूप में भी जाना जाता है, जब अकेले या अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के साथ लिया जाता है, तो मधुमेह के लक्षणों को कम करने के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में कार्य कर सकता है। कुछ मेथी के बीज और हल्दी को एक साथ पीस लें और इसे एक गिलास दूध के साथ दिन में कम से कम दो बार लें। मेथी के दानों को रात भर गर्म पानी में भिगो दें और सुबह इसे चबाकर खाएं। इसके आलावा 4 बड़े चम्मच मेथी के दानों को लगभग 300 मिलीलीटर पानी में रात भर भिगोएँ और अगली सुबह इसे चबाएँ।

4. जामुन के बीज: यूजेनिया जाम्बोलाना के बीजों का चूर्ण (लगभग 1 चम्मच) दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए। जामुन में भोजन में मौजूद स्टार्च को चीनी में परिवर्तित नहीं होने देने का लाभकारी गुण होता है।

5. आंवला: मधुमेह के रोगी के लिए आंवले का रस (एम्बेलिका ऑफिसिनैलिस) (20 मिली) दिन में दो बार लेना फायदेमंद होता है। आप आंवला पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं और दिन में दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।

6. बरगद के पेड़ की छाल: बरगद के पेड़ की छाल का काढ़ा (50 मिलीलीटर) दिन में दो बार लिया जाता है। 20 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल को 4 गिलास पानी में उबालें। पानी को तब तक वाष्पित करें जब तक कि लगभग एक गिलास काढ़ा शेष न रह जाए और गर्म होने पर इसे पी लें।

7. दालचीनी : एक लीटर पानी में 3-4 बड़े चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और इसे लगभग 20 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छान लें और ठंडा कर लें. इसे हर दिन सेवन करने की सलाह दी जाती है। अगर आप किसी खास समस्या के बारे में चर्चा करना चाहते हैं तो आयुर्वेद से सलाह ले सकते हैं।

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निष्कर्ष

आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग मधुमेह के उपचार में मददगार हो सकता है। गुड़मार, विजयसार, जामुन बीज, नीम, त्रिफला, और शिलाजीत जैसी प्राकृतिक आयुर्वेदिक दवाएं ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और वजन घटाने में सहायक होते हैं। ये दवाएं प्राकृतिक तौर पर शरीर को स्वस्थ और स्थिर रखती हैं और अधिकार के साइड इफेक्ट्स का खतरा कम होता है। लेकिन हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए किसी भी नई दवा का इस्तेमाल शुरू करने से पहले एक चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श लेना उचित है। आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार का भी महत्व है मधुमेह को नियंत्रित करने में। किसी भी आयुर्वेदिक या उनानी चिकित्सक से बात करने के लिए विजिट करे healthybazar. 

Last Updated: Nov 18, 2024

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