Published 15-04-2024
LIFESTYLE DISEASES
गिलोय एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो टिनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया के नाम से जानी जाती है। इसका पोधा लछिला होता है और लंबा दिखने में अधिक समय तक पहुंचने वाला होता है। उसकी डंडी मोटी होती है और उस पर छोटे-छोटे धागे होते हैं। गिलोय के पत्ते छोटे और हरा-भरा होते हैं, और उनका आकर्षण शक्ति कम होती है। उसका फूल छोटा होता है और पीले रंग का होता है। इसके बीज छोटे और सुरक्षित होते हैं। गिलोय का पौधा गरमी और नमी के मौसम में अच्छी तरह से उगता है और जंगल में भी पाया जाता है। गिलोय का पोधा प्रकृति में विशेष रूप से लम्बा होता है। आइए गिलोय के विभिन्न अंगों और उनके उपयोग पर चर्चा करें:
1. जड़ें
गिलोय के जड़ गोलकर होती है और अधिकाँश रूप में बाहर की तरफ निखार होती है।
ये जध का रूप मूल्यवान होता है और इसमें काई छोटी-छोटी शाखाएं होती हैं जो मिट्टी में फेल होती हैं।
2. तना
गिलोय का तना मध्यम से लंबा होता है, जो क्रमाशाह ऊपर की तरफ बढ़ता है।
डंडी मोटी होती है और फटी हुई बनावट की होती है।
इसके तने पर छोटे-छोटे धागे होते हैं जो दिखने में सूखे पत्ते की तरह होते हैं।
3. पत्ते
गिलोय के पत्ते छोटे और हरा-भरा होते हैं।
इनके पत्ते हृदय पटल के साथ मिलते-जुलते हैं।
पत्ते चिकनी होते हैं और उनकी आकर्षण शक्ति कम होती है।
4. फूल
गिलोय के फूल छोटे होते हैं और अधिक रूप में पीले रंग के होते हैं।
ये फूल छोटे होते हैं जो डंडी के आस-पास लगे होते हैं।
5. बीज
गिलोय के बीज छोटे होते हैं और सफेद रंग के होते हैं।
इनका आकार छोटा होता है और गोलाकर होता है।
गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तमाल अनेक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए होता है। नीचे कुछ मुख्य गुणो का विस्तार से वर्णन किया गया है:
1- इम्यूनोमॉड्यूलेटरी: गिलोय का सबसे प्रमुख गुण है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम को मॉड्यूलेट करता है, अर्थट उसे बढ़ाता है या काम करता है, जिस शरीर की बीमारी से लड़ने की शामता बढ़ती है।
2- एंटीइंफ्लेमटरी : इसमे मोजुद रसायनिक तत्व दर्द और सुजान को काम करते हैं। ये गठिया, गठिया, और अन्य प्रतिरोधक रोगो में फ़ायदेमंद होता है।
3- एंटीऑक्सीडेंट: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालते हैं, जिसके उम्र के प्रभाव कम होते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
4- एंटीपयारेटिक : ये शरीर के ज्वर को काम करता है और बुखार को नियंत्रित करता है। इस्का इस्तेमल सर्दी-जुखम और अन्य प्रतिरोधक रोगो में बुखार को काम करने के लिए किया जाता है।
5- डीटॉक्स : गिलोय शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और शरीर की सफाई करता है। इस शरीर की विषहरण होती है।
6- डाईजेस्टिव : गिलोय पेट के रोगो को दूर करता है और पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। इसका सेवन पेट दर्द, पेट की गैस, और अन्य पांच संबंध समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।
7- मधुमेह विरोधी: गिलोय मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है और इंसुलिन की प्रभावकारिता को बढ़ाता है, जिसे रक्त शर्करा के स्टार को नियंत्रित किया जा सकता है।
8- लिवर स्वास्थ्य: इसका सेवन लिवर के लिए फ़ायदेमंद होता है और लिवर के रोगो को दूर करता है। गिलोय लीवर को साफ और स्वस्थ रखता है।
9- हृदय स्वास्थ्य: गिलोय का सेवन दिल के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और रक्त चाप को नियमित करता है। ये दिल के रोगो को रोकने में मददगार होता है।
10- तनाव से राहत: गिलोय का सेवन मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है, जिसे मानसिक संतुलन बना रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
गिलोय (टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया) का इस्तेमामल अनेक बिमारियों के इलाज में फ़ायदेमंद होता है। यहां कुछ मुख्य बिमारियां और उनमें गिलोय का इस्तेमल करने से होने वाले फायदे का विस्तार से वर्णन किया गया है:
1 - ज्वर (बुखार): गिलोय ज्वरनाशक गुणों से भरपूर होता है, जिसके ज्वर को काम करता है। ये सर्दी, जुकम, मलेरिया, डेंगू जैसे ज्वार को दूर करने में सहायक होता है।
2- पचन तंत्र संबंधि समास्या (पाचन विकार): गिलोय पेट दर्द, पेट की गैस, एसिडिटी, कब्ज़, और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसका सेवन पेट के रोगो को डर करने में फ़ायदेमंद होता है।
3- मधुमेह (मधुमेह): गिलोय एंटी-डायबिटिक गुणों से भरपूर होता है और रक्त शर्करा के स्टार को नियमित करने में मदद करता है। इसका सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक हो सकता है।
4- विषम ज्वर ( आतंरिक बुखार): गिलोय का इस्तमाल विषम ज्वार या रिलैप्स वाले ज्वार को डर करने में फ़ायदेमंद होता है। ये शरीर को बुखार से लड़ने की शक्ति देता है |
5- रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना (डाईबटिस ): गिलोय के मधुमेह रोधी गुण रक्त शर्करा के स्टार को नियंत्रित करते हैं, जिसे मधुमेह के रोगियो के लिए फ़ायदेमंद होता है।
6- जिगर रोग (यकृत विकार): गिलोय लीवर के लिए फायदेमंद है और लीवर के रोगो को दूर करता है। इसका सेवन फैटी लीवर, हेपेटाइटिस और अन्य जिगर समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
7- हड्डियों और मस्तिष्क का स्वास्थ्य : गिलोय कैल्शियम और फास्फोरस का स्त्रोत है, जो हड्डियों की ताकत बढ़ाता है। इसका सेवन ब्रेन की शामता को भी बढ़ता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग जैसे कि पार्किंसंस और अल्जाइमर को रोकने में सहायक होता है।
8- रक्त संचार (रक्त परिसंचरण): गिलोय का सेवन रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है और रक्त चाप को नियंत्रित करता है, जिसके दिल के रोगो को रोकने में मददगार होता है।
गिलोय एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो अनेक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसका नियम इस्तमाल ज्वार, पचन तंत्र संबंधि समास्या, मधुमेह, यकृत विकार, और अन्य रोगो के इलाज में फ़ायदेमंद है। गिलोय के सेवन से रक्त शरकरा के स्टार को नियंत्रित किया जा सकता है, पेट के रोगो को दूर किया जा सकता है, और दिल के स्वास्थ्य को भी सुधारा जा सकता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के कारण, गिलोय शरीर को रोग प्रतिरोधक शामता प्रदान करता है और शरीर के विशक्त पदार्थ को बाहर निकालता है। ये एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक डॉक्टर आपको शारीरिक स्थिति को समझाएंगे, आपको सही उपाय और खुराक बताएंगे। इसलिए, गिलोय या किसी भी आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करने से पहले, हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर या विशेष की सलाह लेनी चाहिए, healthyBazar पर जाएं। वे सही परामर्श प्रदान करेंगे जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते है।