गिलोय, जिसे आयुर्वेद में 'अमृता' भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध औषधीय बेल है जिसका वैज्ञानिक नाम Tinospora Cordifolia है। यह बेल स्वभाव से लचीली होती है और आसानी से ऊँचाई तक फैल जाती है। इसकी डंडी मोटी होती है जिस पर महीन रेशे होते हैं। गिलोय के पत्ते हरे और हृदय आकार के होते हैं, जो देखने में सुंदर और ताजगी से भरे होते हैं। इसके फूल छोटे, पीले रंग के और सुगंधित होते हैं, जबकि बीज भी छोटे और मजबूत होते हैं। यह पौधा गर्म और नम वातावरण में अच्छी तरह उगता है और प्रायः जंगलों में भी देखने को मिलता है। गिलोय की यह बेल आयुर्वेद में अपनी बहुआयामी औषधीय खूबियों के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए, इसके विभिन्न हिस्सों और उनके लाभों के बारे में विस्तार से जानें।
1. जड़ें (Roots)
गिलोय की जड़ें गोल आकार की होती हैं और ऊपर की सतह पर हल्का उभार लिए होती हैं, जिससे इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। ये जड़ें जमीन में फैलती हैं और इनसे छोटी-छोटी शाखाएँ निकलती हैं। आयुर्वेद में गिलोय की जड़ों का उपयोग विशेष रूप से इम्युनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और शारीरिक बल प्रदान करने के लिए किया जाता है।
2. तना (Stem)
गिलोय का तना मध्यम से लंबा होता है और बेल की तरह ऊपर की ओर बढ़ता है। इसकी डंडी मोटी और फटी हुई बनावट की होती है, जिस पर सूखे धागों जैसे रेशे दिखाई देते हैं। यही तना गिलोय का सबसे औषधीय भाग माना जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
3. पत्ते (Leaves)
गिलोय के पत्ते छोटे, चिकने और हरे रंग के होते हैं, जिनका आकार दिल की आकृति से मेल खाता है। इन्हें छूने पर मुलायम अनुभव होता है। पत्तों में मौजूद औषधीय गुण शरीर में गर्मी को संतुलित करने, बुखार कम करने और त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में सहायक होते हैं।
4. फूल (Flowers)
गिलोय के फूल छोटे और पीले रंग के होते हैं, जो तने के पास गुच्छों में लगे रहते हैं। इनकी संख्या अधिक होती है पर ये अत्यंत सूक्ष्म होते हैं। फूलों में भी औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक माने जाते हैं।
5. बीज (Seeds)
गिलोय के बीज छोटे, सफेद और गोल आकार के होते हैं। ये देखने में चिकने होते हैं और इनमें जीवन शक्ति को संचित करने की क्षमता होती है। बीजों से नई बेलें उगाई जाती हैं और कुछ परंपरागत चिकित्सा विधियों में इनका भी उपयोग होता है।
गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तमाल अनेक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए होता है। नीचे कुछ मुख्य गुणो का विस्तार से वर्णन किया गया है:
1- इम्यूनोमॉड्यूलेटरी: गिलोय का सबसे प्रमुख गुण है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम को मॉड्यूलेट करता है, साथ ही उसे बढ़ाता है या काम करता है, जिससे शरीर की बीमारी से लड़ने की शामता बढ़ती है।
2- एंटीइंफ्लेमटरी : इसमे मोजुद रसायनिक तत्व दर्द और सुजान को काम करते हैं। ये गठिया, और अन्य प्रतिरोधक रोगो में फ़ायदेमंद होता है।
3- एंटीऑक्सीडेंट: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालते हैं, जिसके उम्र के प्रभाव कम होते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
4- एंटीपयारेटिक : ये शरीर के ज्वर को काम करता है और बुखार को नियंत्रित करता है। इसका इस्तेमल सर्दी-जुखम और अन्य प्रतिरोधक रोगो में साथ ही बुखार को काम करने के लिए किया जाता है।
5- डीटॉक्स : गिलोय एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है जो शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह रक्त को शुद्ध करता है, लिवर को स्वस्थ रखता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। नियमित सेवन से शरीर की संपूर्ण सफाई और ऊर्जा स्तर में सुधार होता है।
6- डाईजेस्टिव : गिलोय पेट के रोगो को दूर करता है और पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। इसका सेवन पेट दर्द, पेट की गैस, और अन्य पांच संबंध समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।
7- मधुमेह विरोधी: गिलोय मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद है। यह शरीर में इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ाकर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। गिलोय का नियमित सेवन करने से शुगर लेवल संतुलित रहता है और मधुमेह से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है।
8- लिवर स्वास्थ्य: गिलोय लिवर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखने में मदद करता है। यह लिवर की सूजन कम करता है, विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है और लिवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है। नियमित सेवन से पाचन सुधरता है और हेपेटाइटिस जैसे लिवर रोगों से बचाव में भी सहायता मिलती है।
9- हृदय स्वास्थ्य: गिलोय का सेवन दिल के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और रक्त चाप को नियमित करता है। ये दिल के रोगो को रोकने में मददगार होता है।
10- तनाव से राहत: गिलोय का सेवन मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है, जिसे मानसिक संतुलन बना रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
गिलोय, जिसे वैज्ञानिक भाषा में टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया कहा जाता है, आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली औषधीय जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका उपयोग प्राचीन काल से विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता रहा है।
यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, पाचन क्रिया को सुधारने और शरीर को विषमुक्त करने में सहायक होती है। गिलोय का नियमित सेवन कई तरह की बीमारियों जैसे बुखार, डायबिटीज, त्वचा रोग, जॉन्डिस, और पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह तनाव और चिंता को कम करने, और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में भी मदद करती है। नीचे कुछ प्रमुख बीमारियों और उनमें गिलोय के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिससे इसके गुणों को बेहतर समझा जा सके।
1 - ज्वर (बुखार): गिलोय ज्वरनाशक गुणों से भरपूर होता है, जिसके ज्वर को काम करता है। ये सर्दी, जुकम, मलेरिया, डेंगू जैसे ज्वार को दूर करने में सहायक होता है।
2- पचन तंत्र संबंधि समास्या (पाचन विकार): गिलोय पेट दर्द, पेट की गैस, एसिडिटी, कब्ज़, और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसका सेवन पेट के रोगो को दूर करने में फ़ायदेमंद होता है।
3- विषम ज्वर ( आतंरिक बुखार): गिलोय का इस्तमाल विषम ज्वार या रिलैप्स वाले ज्वार को डर करने में फ़ायदेमंद होता है। ये शरीर को बुखार से लड़ने की शक्ति देता है |
4- हड्डियों और मस्तिष्क का स्वास्थ्य : गिलोय कैल्शियम और फास्फोरस का स्त्रोत है, जो हड्डियों की ताकत बढ़ाता है। इसका सेवन ब्रेन की शामता को भी बढ़ता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग जैसे कि पार्किंसंस और अल्जाइमर को रोकने में सहायक होता है।
5- रक्त संचार (रक्त परिसंचरण): गिलोय का सेवन रक्त संचार को सुधारने में मदद करता है और रक्त चाप को नियंत्रित करता है, जिसके दिल के रोगो को रोकने में मददगार होता है।
गिलोय एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो अनेक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। इसका नियमित इस्तमाल ज्वार, पचन तंत्र संबंधि समास्या, मधुमेह, यकृत विकार, और अन्य रोगो के इलाज में फ़ायदेमंद हो सकता है । गिलोय के सेवन से रक्त शरकरा के स्टार को नियंत्रित किया जा सकता है, पेट के रोगो को दूर किया जा सकता है, और दिल के स्वास्थ्य को भी सुधारा जा सकता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों के कारण, गिलोय शरीर को रोग प्रतिरोधक शामता प्रदान करता है और शरीर के विशक्त पदार्थ को बाहर निकालता है। ये एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक डॉक्टर आपको शारीरिक स्थिति को समझाएंगे, आपको सही उपाय और खुराक बताएंगे। इसलिए, गिलोय या किसी भी आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करने से पहले, हमेशा अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर या विशेष की सलाह लेनी चाहिए, healthyBazar पर जाएं। वे सही परामर्श प्रदान करेंगे जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते है।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.