बांझपन, यानी कि infertility, एक स्थिति है जिसमें महिला गर्भावती नहीं हो सकती। इसका अर्थ है महिला, जिस परिस्थिती में भी हो, गर्भ धारण नहीं कर सकती। बांझपन महिलाओ के प्रजनन तंत्र की खराबी, ओव्यूलेशन समस्या, शरीरिक रोग, या अन्य काई करणों के कारण से हो सकता है।
"बांझपन" एक स्थिति है जिसमें महिला के प्रजनन तंत्र में ऐसी खराबी होती है कि वह गर्भ धारण नहीं कर सकती। यानी, जब महिला व्यवसायी अवस्था में होने के बावजूद भी कोई बार कोशिश करने पर भी गर्भावस्था नहीं हो पाती है, तो हम स्थिति को बंजपन कहते हैं। इस मुख्य रूप से दो प्रकार के बांझपन होते हैं:
- प्राथमिक या मुख्य बांझपन या Primary Infertility : इस इस्थ्ती में महिला कभी भी गर्भधारण नहीं कर पाती है, जिसे लोग आम भासा में बांझ हो जाना कहते है।
- द्वितीयक बांझपन या Secondary Infertility : इस इस्थ्ती में महिला पहले गर्भावती हुई होती है, लेकिन कोई कारणों से उसके बाद गर्भवती नहीं हो पाती है।
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महिलाओ में बांझपन के कारण
महिलाओ में बांझपन (infertility) के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे कुछ महत्तवपूर्ण बांझपन के करणों की जानकारी दी गई है:
- ओव्यूलेशन समय: ओव्यूलेशन समय एक आम बांझपन का कारण है। इसमे महिला का अंतिम समय पर अंडाशय से नहीं निकलता, जिसे गर्भ धारण करने की संभावना कम हो जाती है।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या जिसे (पीसीओएस) भी कहते है: पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओ के अंडाशय पर छोटी-छोटी सिस्ट का विकास हो जाता है, जिससे ओव्यूलेशन की समस्या हो जाती है। पीसीओएस के साथ-साथ इंसुलिन प्रभावी होता है, जो की बांझपन का कारण बनता है।
- एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस एक स्तम्भ से संबंध रोग है, जिसके गर्भाधान के बाहर का ऊपरी गर्भाशय के अंदर बढ़ने लगता है, जिससे गर्भ धारण करने में समस्या होती है।
- फैलोपियन ट्यूब समस्या: फैलोपियन ट्यूब में खराबी भी माँ बनने में दिक्कत पैदा करता है, जैसे की रुकावट, भी गर्भ धारण करने में रुकावट पैदा कर सकती है।
- गर्भवति होने में दिक्कत: कुछ महिलाएं गर्भवति होने में समस्या झेल सकती हैं, जैसे गर्भवस्था को बनाए रखने में समस्या या गर्भपात।
- गर्भाशय फाइब्रॉएड या गर्भाशय के अंदर के घाव: गर्भाशय में फाइब्रॉएड (गर्भाशय के अंदर के घाव) होने पर भी गर्भ धारण करने में परेशानी होती है।
- हार्मोनल समस्या: हार्मोनल समस्या, जैसे कि थायराइड रोग या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, भी बांझपन का कारण हो सकती है।
- आयु या उम्र: बढ़ती उमर भी बांझपन का एक महत्वपूर्ण करण हो सकता है, क्योंकि महिलाओ की गर्भशाय की क्षमाता उमर के साथ-साथ कम होने लगती है।
- संक्रमण या इनफ़ेक्शन: गर्भशाय या प्रजनन प्रणाली में संक्रमण या इनफ़ेक्शनभी गर्भावती होने की संभावना को कम करता है।
- तनाव: ज़्यादा मानसिक तनाव या तनाव भी ओव्यूलेशन पर प्रभाव डालता है, जिससे गर्भावती होने में महिलाओं को परेशानी होती है।
महिलाओं में बांझपन के कुछ लक्षण
महिलाओ में बांझपन के लक्षण किसी भी महिला के लिए मुश्किल हो सकते हैं, क्यों कि ये अक्सर कुछ समय तक प्राकृतिक रूप से नहीं दिखते हैं। कुछ महिलाएं बांझपन के लक्षणों को समझ पाती हैं, जबकी दूसरी को समय लग सकता है।
बांझपन के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं:
- असमान्य मासिक धर्म (मासिक धर्म की अनियमितता): असमान्य मासिक धर्म, जैसे कि मासिक धर्म के आने में असामान्य ऋतु, बांझपन का एक संकेत हो सकता है। PCOS जैसे रोग भी महिलाओ में असमय मासिक धर्म का कारण हो सकते है |
- अवश्यक प्रयत्न गर्भावती होने में: यदि महिला को गर्भवती होने के लिए बहुत अधिक प्रयत्न करने की आवयशकता पड़ रही है, और फिर भी वो गर्भवति नहीं होती, तो ये बांझपन का संकेत हो सकता है।
- शारीरिक लक्षण: कुछ महिलाएं बांझपन के साथ-साथ शारीरिक लक्षण भी देखती हैं, जैसे कि दर्द या तकलीफ मासिक धर्म के दौरन या ओव्यूलेशन के दौरन।
- फिब्रॉइड्स या अन्य समस्या : कुछ महिलाओ में एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड के लक्षण दिखाई देते हैं, जिनसे गर्भावती होने में परेशानियां पैदा होती है।
- उम्र: उमर भी एक महत्वपूर्ण करण है. उमर बढ़ने पर गर्भाशय की क्षमा काम हो सकती है, जिसे गर्भावती होने में कठिनाई उत्पन्न होती है।
- पिछले गर्भपात: किसी महिला को पिछले गर्भधारण में गर्भपात (गर्भपात) हुआ है या करवाया है, तो ये बांझपन के संकेत हो सकते हैं एक इससे बांझपन की समस्या हो सकती है ।
- गर्भवति रहने के समय समस्या - कुछ महिलाएं गर्भवति रहने में समस्य नहीं झेल पाती हैं, जिससे कि गर्भवस्था को बनाए रखने में परेशानी होती है।
- फैलोपियन ट्यूब समस्या: किसी भी प्रकार की फैलोपियन ट्यूब से जुडी समस्या भी बांझपन का कारण बन सकती है।
- हार्मोनल समस्या: हार्मोनल समस्या, जैसे कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) या थायरॉइड समस्या, भी बांझपन के कारण हो सकती है।
आयुर्विदिक उपचार एवम दवाइयां
आयुर्वेद महिलाओ के बांझपन के उपचार के लिए कई प्रकार की दवाइयाँ और उपचार की सलाह दी जाती है। यदि किसी महिला को बांझपन की समस्या है, तो विशेष से सलाह लेनी चाहिए और किसी को भी आयुर्वेदिक उपचार का इस्तमाल करने से पहले उन्हें सलाह लेनी चाहिए।
यहाँ कुछ आयुर्वेदिक उपचार और दवाइयाँ दी गई है:
- अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा): अश्वगंधा एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर को तनाव से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। इसका सेवन गर्भावस्था होने की संभावना को बढ़ाने में सहायता करता है।
- शतावरी (शतावरी रेसमोसस): शतावरी महिला प्रजनन प्रणाली के लिए महत्तवपूर्ण है। इसका सेवन बांझपन के उपचार में किया जा सकता है, क्यों कि ये गर्भाधान को मज़बूती देता है।
- लोध्र (सिम्प्लोकोस रेसमोसा): लोध्र महिलाओ के गर्भावती होने में सहायक हो सकता है और गर्भाशाय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- गुडूची (टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया): गुडूची एक प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर है, जो महिलाओ के शरीर को रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद कर सकती है।
- चंद्र प्रभा वटी: ये आयुर्वेदिक दवा बांझपन के उपचार में उपयोगी होता है। इसमे कई प्रकार के हर्ब्स का मिश्रण होता है, जो महिलाओ के गर्भावती होने की संभावना को बढ़ाने में सहायता करता है।
- गोक्षुर (ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस): गोक्षुर का सेवन बांझपन के उपचार के लिए किया जा सकता है, क्यों कि इसमे गर्भाधान के कार्यों को सुधारने और गर्भाशय में शुक्रनुओं की गति को बढ़ाने की क्षमाता होती है।
- एलोवेरा: एलोवेरा का सेवन गर्भाश्य को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसका रस, खाने में शामिल करके पिया जा सकता है।
- आयुर्वेदिक बस्ती चिकित्सा: बस्ती चिकित्सा एक प्रकार की आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा है, जिसमे औषधि को गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए महिला के गर्भाशय में प्रवेश किया जाता है।
- प्राणायाम और योग: प्राणायाम और योग, जैसे भ्रामरी प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, और धनुरासन, महिलाओ के शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। ये तनव को काम करने में भी सहायक होते हैं।
- आहार: आपका आहार भी महत्वपूर्ण है। पौष्टिक आहार, जैसे की फल, सब्जी, दाल, और दूध के उत्पादन, गर्भावस्था होने की संभावना को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं।
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निष्कर्ष
आयुर्वेद के अनुसर बांझपन (बांझपन) के उपचार में व्यक्ति को अपनी प्रकृति और शारीरिक स्थिति के आधार पर व्यवस्थित आयुर्वेदिक उपचार का चयन करना चाहिए। इसके लिए पंचकर्म चिकित्सा, वात शामक आहार, जड़ी-बूटियों का सेवन, प्राणायाम और योग, और स्वस्थ जीवन शैली का महत्वपूर्ण है। यदि व्यक्ति आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग करना चाहता है, तो एक विशेष या आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए, ताकि सही उपचार की जानकारी दी जा सके। ध्यान रखें कि हर व्यक्ति के लिए उपचार अलग अलग और टाइम टेकिंग होता है, इसलिए सब्र और संतुष्टि बनी रहे, क्यों कि आयुर्वेदिक उपचार समय लगेगा और धीरे-धीरे असर दिखेगा पर आपको अपनी समस्या से पूरी तरह से निजात मिल सकती है | आप घर पर बैठे ही आसानी से HealthyBazar की वेबसाइट से आपकी आवश्यकता के अनुरूप दवाईयाँ भी खरीद सकते हैं।