Published 28-12-2022
PREGNANCY CARE
क्या आप भी अपने आँगन में बच्चे की किलकारी सुन्ना चाहते हैं। या शादी के कई सालो बाद भी आप को माता पिता बनने का सुख नहीं मिला अगर आप का जवाब "हां" है तो आप बिलकुल चिंता ना करे, आज के बदलते वक़्त में लोग देर से शादी करते है जिसकी वजह से उम्र के साथ उनकी fertility कम होने लगती है जिससे गर्भ धारण करने में दिक्कत होती हैं। WHO के मुताबिक जब एक दम्पति शादी के बाद लगभग एक साल तक असुरक्षित यौन संबंध के बाद भी गर्भधारण करने के लिए सक्षम न हो तो उसे बाँझपन (Infertility) कहते है। यहां हम कुछ आयुर्वेदिक टिप्स के बारे में चर्चा करेंगे जो आपको गर्भ धारण करने में मदद करेंगे |
भारत में बांझपन की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और लोग इस के लिए आयुर्वेदिक उपचार की ओर अधिक झुकाव रखते हैं क्योंकि एलोपैथिक उपचार दर्दनाक और महंगा है और इससे उपचार में शामिल है आईयूआई (IUI) आईवीएफ (IVF) और आईसीएसआई (ICSI) शामिल है जो महंगा है और नेचुरल गर्भ धारण करने की क्षमता नहीं देता देता है। आयुर्वेद प्राकृतिक तरीके से प्रजनन(Fertility) से संबंधित समस्याओं के इलाज में सक्षम है। बांझपन के लिए "गर्भ ठहरने की देशी दवा" आयुर्वेद बिना किसी साइड इफेक्ट के साथ पंचकर्म चिकित्सा और प्राकृतिक जड़ी बूटियों के उपयोग पर आधारित है | शुक्र धातु (Sperm) का बनना पुरुष और महिला के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होता है। शुक्र धातु को अनुचित पोषण यानि सही nutrition ना मिलने के कारण, यह टॉक्सिन्स को जारी करता है जो प्रजनन क्षमता/ fertility को प्रभावित करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, गर्भवती होने से पहले खुद को हर प्रकार से तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। भावी होने वाले माता-पिता के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना ज़रूरी महत्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक उपचार एक holistic approach पर आधारित है। यह माता पिता बनने से पहले दम्पति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की ठीक बनाये रखने पर जोर देता है।
गर्भधारण के लिए पंचकर्म चिकित्सा तनाव(Stress), अवसाद (Depression), चिंता(Anxiety) और अनिद्रा(Insomenia) को ध्यान में रख कर महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। बांझपन के लिए आयुर्वेदिक उपचार सुनिश्चित करता है कि गर्भावस्था पूरी अवधि तक सफलतापूर्वक हो और एक स्वस्थ एवं सामान्य बच्चे का जन्म हो। आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज मनुष्य की स्वस्थ जीवन शैली, उसके अच्छे स्वस्थ और संतुलित आहार, आयुर्वेदिक दवाओं और योग पर निर्भर करता है।
आइए गर्भा धारण करने में उपयोगी कुछ उपायों के बारे में बात करते है -
1. भोजन
आयुर्वेद में आहार बांझपन के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह एक स्वस्थ प्रजनन ऊतक (healthy reproductive tissue) के विकास में मदद करता है। ओज /taqat (Immunity) को कम करने वाले किसी भी भोजन से बचना चाहिए क्योंकि ओज से ही शुक्र धातु का पोषण होता है और यह ओव्यूलेशन के लिए भी जिम्मेदार है। इसके साथ सही भोजन दोषों को संतुलित करके सभी शारीरिक और मानसिक गतिविधियों एवं स्वस्थ्य को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अपने आहार में शामिल करने योग्य भोजन
3. भोजन जिनको खाने से बचना चाहिए -
4. जीवन शैली (Lifestyle)
एक अध्ययन के मुताबिक जीवनशैली प्रजनन क्षमता पर असर डालती है। बैठने की मुद्रा, मुड़कर बैठना, आगे की ओर झुकना, कंधे पर खड़ा होना जैसे योग आसन आपको गर्भधारण करने में मदद कर सकते हैं। किसी भी आसन को अपनाने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक और योग प्रशिक्षक से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है। हम सभी जानते हैं कि मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक तनाव का गर्भधारण पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए रोजाना ध्यान करने से तनाव के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
1- पाचन शक्ति को सुधारे
बिना पचे हुए भोजन से टॉक्सिन्स बनते हैं जो खराब पाचन का कारण होते हैं। इस प्रकार विषाक्त पदार्थों (Toxins) को खत्म करन| सबसे महत्वपूर्ण कदम होना चाहिए। बांझपन के लिए आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार विषाक्त पदार्थों को हटाने और पाचन को सही करने में मदद करता है जिससे ओज (Immunity) को पोषण मिलता है, और गर्भ ठहराने में मदद मिलती हैं ।
2- वात दोष को संतुलित करना
बांझपन में शामिल मुख्य दोष वात दोष है। गर्भधारण में मदद करने के लिए बढे हुए वात दोष को ठीक करना महत्वपूर्ण है। आहार और जीवन शैली (Lifestyle) में बदलाव के साथ आयुर्वेदिक नुस्खे वात को संतुलित करने में मदद करते हैं।
3- शोधन चिकित्सा
शोधन कर्म (purification and detoxification) के पहले कर्म हैं - स्नेहन(Oleation) और स्वेदन(Steaming)। इसमें वमन (Emesis), विरेचन (Purgation)), बस्ती कर्म (Medicated Enema) जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। इन्हें रोगी की स्थिति के अनुसार दिया जाता है। थेरेपी के पूरा होने के बाद खास कर रोगी के खान-पान पर ध्यान दिया जाता है। शोधन चिकित्सा पीरियड्स के चक्र में सुधार करती है, और गर्भाशय (Uterus) की समस्या को ठीक करती है जो बांझपन का कारण होता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का उपयोग बीमारी के कारण को जड़ से ख़तम करने के लिए किया जाता है। पुरुषो के लिए शुक्र धातु (sperm) की क्वालिटी को बनाये रखने के लिए अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी, दशमूल, अशोक, गुडुची, पुनर्नवा आदि उपयोग की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ हैं। ओव्यूलेशन को रेगुलर करने के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ शतावरी, एलोवेरा, अशोका आदि हैं। ये हर्बल फॉर्मूलेशन females ke पीरियड्स को नियंत्रित करता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता, मात्रा और गति में सुधार करता है, जिससे आपको गर्भवती होने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार एक बच्चे के पालन-पोषण के लिए वही 4 कारक (Factor) आवश्यक होते हैं जो एक बीज को एक पौधे में विकसित करने के लिए आवश्यक होते हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में निषेचन (Fertilization) होने के लिए रितु (उचित ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र), क्षेत्रम (स्वस्थ गर्भाशय/healthy uterus), अम्बु (पोषण) और बीज (शुक्राणु और डिंब (female egg) की गुणवत्ता) का उल्लेख किया गया है। आपको गर्भवती होने की अधिकतम संभावना के समय की पहचान करने की आवश्यकता है। इन दिनों में संभोग करने से आपके गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भधारण के लिए आयुर्वेदिक उपचार से गर्भधारण की संभावना काफी बढ़ जाती है। आयुर्वेद ने न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ बांझपन का सफलतापूर्वक इलाज किया है। बांझपन का समग्र उपचार पाने और अपनी बांझपन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए HealthyBazar में आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सक डॉ. असफिया से परामर्श लें।