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Published 24-03-2023

पतंजलि की दवा : गैस, कब्ज, बदहजमी, एसिडिटी के लिए ।

ACIDITY/GAS, CONSTIPATION

पतंजलि की दवा : गैस, कब्ज, बदहजमी, एसिडिटी के लिए ।

Dr. Shivani Nautiyal

An Ayurvedic Practitioner and Consultant with a specialization in Panchkarma. My goal is to design an individual treatment plan to help each patient to achieve the best outcome possible. Treats Male and Female Fertility problems, Irregular Menstruation, Leucorrhea, UTI, COPD, Diabetes, Hypertension, Insomnia, Joint Pain, Arthritis, Sciatica, Skin problems, Alopecia, Grey Hairs, Gastric problems and other Lifestyle Disorders with Panchkarma Therapies and Ayurvedic Medicines.

गैस्ट्राइटिस की समस्या पेट की अंदरूनी परत (म्यूकोसा) की सूजन या जलन के होती है, इससे अल्सर भी हो सकता है। आयुर्वेद में इस स्थिति को "ऊर्ध्वगा अमलपित्त"के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यदि आपके शरीर में पित्त दोष बढ़ रहा है, तो आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।

गैस के कारणों में शामिल हैं

  • शराब और एस्पिरिन या स्टेरॉयड जैसी कुछ दवाओं का सेवन।
  • फ्लू, बड़ी सर्जरी, गंभीर जलन या चोट के कारण ।
  • किसी दवा से  एलर्जी या भोजन विषाक्तता।
  • एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस बुजुर्गों में पाए जाने वाले गैस्ट्राइटिस का एक रूप है, जहां पेट की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जिससे संभावित रूप से रक्त की कमी हो जाती है।
  • एक जीवाणु संक्रमण, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, हाल के वर्षों में गैस और कब्ज का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, गंभीर जठरशोथ (Severe Gastritis) को  "उर्ध्वगा अमलपित्त रोग" कहते है। जो मुख्य रूप से मेटाबोलिक विकार या पित्त दोष के बढ़ने के कारण उत्पन्न होता है। अनुचित आहार संबंधी आदतें पेट में पित दोष को प्रभावित करती हैं, जिससे यह अधिक विषाक्त पदार्थ या एसिड पैदा करता है और अधिक पाचन एंजाइम स्रावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप जठरशोथ या गैस  होता है।

ये भी पढ़े : गैस के लिए पतंजलि दवा का उपयोग करने के 5 प्रभावी तरीके ।

आहार में परिवर्तन

यदि आप गैस्ट्राइटिस से पीड़ित हैं, तो आप आहार और जीवन शैली में इन परिवर्तनों को अपना सकते हैं और खुद कोswasth रखने के लिए निम्नलिखित उपाए कर सकते हैं -

  1. आप मिर्च, मसाले और खट्टे भोजन को छोड़कर लगभग सभी खाद्य पदार्थ संयम से ले सकते हैं। मिर्च, मीट सूप, इमली और कच्चे खट्टे फल जैसे संतरा, मौसमी आदि से परहेज करें।
  2. लहसुन, अदरक, धनिया (धनिया), और जीरा (जीरा) का इस्तेमाल सीमित करें।
  3. पापड़, चटनी या अचार से परहेज करें।
  4. आप खाना पकाने में घी का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि यह पित्त को शांत करता है। तले हुए भोजन और रिसाइकिल किए गए खाना पकाने के तेल को band करें, क्योंकि वे पचाने में मुश्किल होते हैं।
  5. नमक का सेवन कम करें क्योंकि यह पेट की परत को नस्ट करता है। नरम आहार जैसे कि खिचड़ी, जिसमें पके हुए चावल और दाल होती है, यह सबसे अच्छा आहार है। हमेशा पुराने चावलों को ही इस्तेमाल करे, जो एक साल तक रखे गए हों।
  6. दूध को हमेशा पेप्टिक अल्सर में होने वाले दर्द से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। हमेशा कॉफी या चाय की जगह दूध का चुनाव करें।
  7. कॉफी, चाय, कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स, चॉकलेट और कई दवाओं में पाया जाने वाला कैफीन पेट के एसिड को बढ़ाता है। इसलिए, इन पदार्थों से परहेज गैस्ट्र्रिटिस के उपचार में सहायता कर सकता है।
  8. कुछ व्यक्तियों मेंखाने से एलर्जी गैस्ट्र्रिटिस का कारण बन सकती है।
  9. जब हेलिकोबैक्टर गैस्ट्राइटिस का कारण बनता है, तो पेट की परत में मुक्त कणों (Free Radicals) का स्तर बढ़ जाता है। ये free radicals सूजन और गैस्ट्राइटिस को बढ़ाने में योगदान करते हैं।
  10. विटामिन सी, एक एंटीऑक्सिडेंट है जो पुराने गैस्ट्राइटिस वाले लोगों के पेट के रस में कम होता है। यही कारण है कि विटामिन सी से भरपूर कुछ फल, जैसे आंवला गैस्ट्राइटिस में मददगार पाए जाते हैं। इस के साथ एंटीऑक्सिडेंट बीटा कैरोटीन भी गैस्ट्राइटिस को कम कर सकता है, और कैरोटीन में उच्च गाजर जैसे खाद्य पदार्थ खाने से क्रोनिक एट्रोफिक गैस्ट्रेटिस से आराम मिलता है।

जीवन शैली में परिवर्तन

  1. तंबाकू से परहेज करें। धूम्रपान पेट की मुलायम परत को नुकसान पहुंचाता है और एसिड स्राव भी बढ़ा सकता है।
  2. शराब से परहेज करें। अल्कोहल प्रोस्टाग्लैंडीन के स्राव को रोकता है, जिससे गैस्ट्राइटिस होता है।
  3. कई दवाएं, जैसे एस्पिरिन और संबंधित दवाएं, पेट में जलन पैदा कर सकती हैं या बढ़ा सकती हैं। गैस्ट्राइटिस वाले लोगों को पहले अपने डॉक्टर के साथ चर्चा किए बिना एस्पिरिन या एस्पिरिन जैसी दवाएं नहीं लेनी चाहिए
  4. मानसिक तनाव आमतौर पर आपके पेट के पाचक क्रिया या गैस्ट्राइटिस से जुड़ा होता है। चिंता, निराशा और असंतोष न केवल आप के गैस्ट्रिटिस को बढ़ता है, बल्किइस के बार बार होने का कारण भी होता हैं ।

गैस के लिए पतंजलि की दवाइयां

1- दिव्य अविपत्तिकर चूर्ण

अविपत्तिकर चूर्ण  पेट में अम्लता को कम करता है, और बेचैनी से राहत देता है। यह गैस बनने को कम करता है और आंतों की गति को प्रेरित करता है जिससे आपको कब्ज से राहत मिलती है।

2- दिव्य एसिडोग्रिट टैबलेट

दिव्या एसिडोग्रिट टैबलेट एक आयुर्वेदिक दवा है जो अपच, कब्ज, पेट फूलना, गैस्ट्रिक शूल, मतली और उल्टी के लिए उपयोगी है और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में सहायता करती है और इम्युनिटी को भी बढाती  है। यह गैस के कारण होने वाली सूजन से राहत देता है और पेट में एसिड स्तर को कम करता है। इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

3- दिव्य गैसहर चूर्ण

दिव्य गैसहर चूर्ण एक बहुत ही प्रभावी पाचक औषधि है जो पाचन में सहायता करती है। यह पाचन एंजाइमों को बढाता है और स्वाभाविक रूप से पाचन संबंधी विकारों को ठीक करता है। गैस केइकठ्ठा होने से सिरदर्द और बेचैनी होती है। ये चूर्ण एंटासिड गुणों वाले हर्बल पाउडर का एक संयोजन है। यह अम्लता को शांत करता है और गैस और  बेचैनी को दबा देता है। दिव्य गैसहर चूर्ण आपके पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भूख बढ़ाता है।

ये भी पढ़े :  पेट की परेशानी के घरेलू उपाय ।

निष्कर्ष

आयुर्वेदिक हर्बल दवाएं, कुछ आहार परिवर्तन और उपचार पेट के एसिड को कम करता है और गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को कम करता है और उपचार पूरा होने के बाद व्यक्ति गैस्ट्राइटिस से स्थायी रूप से ठीक हो सकता है। सेवियर गैस्ट्राइटिस चयापचय प्रक्रियाओं (Metabolic Activities) के सामान्य रूप से नहीं होने का संकेत है। एक ख़राब मेटाबोलिज्म अनेक बीमारियं जैसे गैस्ट्रिक अल्सर, मधुमेह, पीठ दर्द, जोड़ों में दर्द, या यहां तक कि कैंसर को जन्म दे सकता है। इस के लिए आप healthybazar पर हमारे आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले कर ख़राब मेटाबोलिज्म और गैस्ट्रिटिस से छुटकारा पा सकते है ।

Last Updated: Mar 27, 2023

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