कब्ज लगभग सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। आमतौर पर जब आप एक सप्ताह में तीन या उससे कम बार मल त्याग करते हैं तब आप कब्ज़ से परेशान हो जाते हैं, कब्ज से पीड़ित लोगों को पेट में कठोर मल (Hard Stool) के बहार जाने जैसे अनुभव हो सकता है और अत्यधिक तनाव के कारण पुरानी कब्ज से पेट में ऐंठन, सूजन और मलाशय (Anus) में दर्द भी हो सकता है। अनियमित मल त्याग होना, सूखा, गांठदार या सख्त मल त्यागना, और मल त्याग करने में सामान्य से अधिक समय लेना - कब्ज के होने पर यह परेशानियाँ किसी के लिए भी कठिन होती है।
कब्ज का मतलब है कि आपकी मल त्याग अनियमित या सख्त है। यह स्थिति असुविधाजनक और चिंताजनक हो सकती है अगर इसे ठीक न किया जाए। इस स्थिति के लगातार एपिसोड के परिणामस्वरूप पुरानी कब्ज भी हो सकती है जो पाचन तंत्र को खराब कर सकती है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
आयुर्वेद के अनुसार, कब्ज मुख्य रूप से वात दोष के बढ़ जाने और शरीर में विषाक्त पदार्थों (Toxins) के इकठ्ठा हो जाने के कारण होता है। आजकल के डाइट और लाइफस्टाइल के कारण यह एक बहुत ही आम समस्या है। आयुर्वेद के अनुसार कब्ज़ केवल कठोर मल त्याग नहीं है, यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का मूल कारण है और यदि इसका इलाज ना किया जाए तो यह बवासीर, फिस्टुला, फिशर, यकृत रोग और अन्य विकारों जैसे गंभीर विकार पैदा कर सकता है।
कब्ज कई कारणों से हो सकता है। कब्ज के कारणों को जानने से आपको मदद मिल सकती है। तो, आइए एक नजर डालते हैं।
कब्ज़ के कारण निम्नलिखित परेशानियाँ हो सकती हैं -
यदि आप पुरानी कब्ज से बीमार हैं और जीवनशैली में बदलाव करने से मदद नहीं मिल रही है, तो आप कब्ज के लिए आयुर्वेदिक उपचार कर सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार में हर्बल दवाईया शामिल हैं जो मल त्याग को बढ़ाती हैं और आपके पाचन तंत्र को बढ़ा देती हैं।
1. Abhayarishta
यह एक डाइजेस्टिव सिरप है जिसमे हरीतकी होती है। हरीतकी कब्ज के लिए सबसे गुणकारी जड़ी बूटियों में से एक है। यह पाचन तंत्र को साफ करने और मल त्याग को आरामदायक बनाने में मदद कर सकता है। यह अपच का इलाज करने और पेट फूलने, सूजन और ऐंठन को कम करने में भी मदद करता है।
2. खूब फल खाए
फल हाइड्रेटिंग, फाइबर से भरपूर और वात को शांत करने वाला होता है। फलो में पके केले, छिलके वाले सेब, भीगी हुई किशमिश, भीगे हुए प्रून और आड़ू शामिल हैं। फलो को खाना खाने से कम से कम एक घंटे पहले या बाद में खाये और अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें अच्छी तरह से चबाएं।
3- दूध के साथ घी या अलसी के बीज लें
सोने से पहले, या तो एक कप उबले हुए दूध में 1-2 चम्मच घी डालकर पीने की कोशिश करें, या 1 चम्मच अलसी के बीज को लगभग एक कप पानी में 2-3 मिनट के लिए उबालें और इसे ठंडा करके पिएं।
4- वात को शांत करने वाली जड़ी-बूटियों का सेवन करें
त्रिफला, एक पारंपरिक आयुर्वेदिक हर्ब है जिसमें तीन फल शामिल हैं, जो तीनों दोषों को संतुलित करता है | सोने से लगभग आधा घंटा पहले, या तो त्रिफला की 2 गोलियां एक गिलास गर्म पानी के साथ लें, या यदि आप पाउडर पसंद करते हैं, तो 10 मिनट के लिए एक कप ताजे उबले पानी में 1/2-1 चम्मच त्रिफला पाउडर डालें और ठंडा करके पियें।
Psyllium (इसबगोल की भूसी ) फाइबर का एक प्राकृतिक स्रोत है और कोलन (Colon) में एक प्रभावी डिमलसेंट और बल्किंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। 1 या 2 चम्मच इसबगोल की भूसी को या तो गर्म पानी या गर्म दूध में भिगोया जा सकता है और इसके साथ पर्याप्त पानी भी पीना चाहिए।
इससे पहले कि आप इन हर्ब्स को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, आप या तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से या तो अपने डॉक्टर्स से कंसल्ट कर ले, बिना आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलह के कोई भी दवाई का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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कब्ज की समस्या हर दिन आपकी सुबह खराब कर सकता है। यदि आपको कब्ज के लिए घरेलू उपचार से कोई सुधार नहीं दिखता है, तो आप healthybazar पर आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श कर के कब्ज़ की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं ।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.