Published 28-12-2022
CONSTIPATION
जब आपको कब्ज़ होता है, तो आपका शरीर toxins और waste products से पूरी तरह से छुटकारा पाने में सक्षम नहीं होता है। कभी-कभी इसका होना आम बात है, लेकिन यदि 3 महीने या उससेे अधिक समय से आपका पेट साफ़ नहीं हो पा रहा या आप उससे जुड़े लक्षणों से जूझ रहे हैं, तो आपको पुरानी कब्ज़ है। जब आप अपने शरीर से मल को बाहर नहीं निकाल पाते हैं, तो यह आपकी आंतो (Intestine) में चिपकना शुरू कर देता है और वही पर फंस जाता है और रुकावट का कारण बनता है। आपका बृहदान्त्र (Colon) आमतौर पर आपके शरीर से मल को बाहर निकालने का काम करता है और अगर आपका मल वही पर फस जाता है और कठोर हो कर नीकलता नहीं है , इससे आपको दर्द और उल्टी हो सकती है। इसलिए कब्ज़ बवासीर होने का सबसे बड़ा लक्षण और कारण भी हैं, बवासीर को ख़त्म करने के लिए कब्ज़ को ख़त्म करना बहुत ज़रूरी हैं ।
यदि आप पुरानी कब्ज से बीमार हैं और आपको अपनी जीवनशैली (Lifestyle) में बदलाव करने से मदद नहीं मिल रही है, तो आप कब्ज के लिए आयुर्वेदिक उपचार का प्रयोग कर सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार में ऐसी हर्बल दवाइयाँ शामिल हैं जो कब्ज़ को ठीक कर के मल को बहार निकलने में मदद करता हैं और आपके पाचन तंत्र को वापस से ठीक करती हैं। यहाँ कब्ज़ को ठीक करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां दी गयी है जिनके प्रयोग से आप कब्ज़ से छुटकारा पा सकते है
1- Abhayarishta/अभयारिष्ट
यह एक डाइजेस्टिव (Digestive) सिरप है जिसमें मुख्या हर्ब हरीतकी होती है। हरीतकी कब्ज के लिए सबसे गुणकारी जड़ी बूटियों में से एक है। यह पाचन तंत्र (Digestive System) को साफ करने और मल त्याग को सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकता है। यह कब्ज़ का इलाज करने और पेट फूलने, सूजन और ऐंठन को कम करने में भी मदद करता है।
Dose - 2-3 tsp twice daily after food
त्रिफला एक बहुत अच्छा रेचक (Laxative) है जो न केवल आपको कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है बल्कि बहुत सारी गैस्ट्रिक प्रोब्लेम्स का भी इलाज करता है। भोजन के बाद रोजाना 1-2 त्रिफला की गोलियां लेने से कब्ज़ में सुधार हो सकता है और कब्ज से लड़ने के लिए आपके पाचन तंत्र को शक्ति मिलती है।
3- अंजीर
अंजीर को Figs के रूप में भी जाना जाता है, अंजीर अपने फाइबर के साथ एक अच्छा laxative है।रोज रात को सोने से पहले गर्म पानी में भिगोकर खाने से अंजीर पाचन में सुधार कर सकते हैं और कब्ज को रोक सकते हैं।
मुलेठी की जड़ को गुनगुने पानी के साथ पाउडर के रूप में लेने से कब्ज का इलाज होता है और आपके पाचन रस (Digestive Juices) अच्छी तरह से काम करती हैं।
आजकल लोग कब्ज जैसी परेशानियों को बहुत आसानी से लेते है, पर यही कब्ज धीरे-धीरे बवासीर का रूप लेने लगता है वैसे माना जाता है की बवासीर उम्रदराज लोगो को होता है। परंतु आजकल के खान पान और जंक खाना (बरगर, पिज़्ज़ा, तेलिययुक्त पदार्थ) से युवको और बच्चो में भी ये होने लगता है, अच्छे से शौच (Toilet) नहीं होना ये भी बवासीर की तरफ इशारा करता है। शौच करते समय ज्यादा दाब लगाने पर भी शौच ना होना और शौच के के साथ रक्त (Blood) आना यह भी इस रोग का मुख्य कारण है। इसे इंग्लिश में piles और hemorrhoids भी कहते है। इस रोग में गुदा द्वार (Anus) में मस्से निकल आते है, जो शौच करते समय रक्त के साथ में बहार आते है और बहुत पीड़ा देते है, यह अंदरूनी (Internal) और बाहरी (External) दो प्रकार की होती है।
यदि आपको लगता है कि आपको बवासीर है, तो यह समझना ज़रूरी है कि आपको किस प्रकार का बवासीर है और उनका इलाज कैसे करें। शुरुआत में बवासीर का इलाज करना आसान है, लेकिन गंभीर (Severe) स्थितियों में चिकित्सक की आवश्यकता होती है |
पाइल्स कई कारणों से होते हैं, जैसे -
1. मल त्यागते समय अत्यधिक जोर लगाना
अत्यधिक दबाव डालने से गुदा (Anus) के आसपास की नसें सूज जाती हैं और सूजन हो जाती है, जिससे बिना रक्तस्राव या दर्द के मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है।
2. पुरानी कब्ज
कब्ज बवासीर और फिशर के मुख्या कारणों में से एक है। पुरानी कब्ज से जो लोग ज्यादा परेशान होते है जो लोग ज्यादा परेशान होते है उन्हें मुख्या रूप से पाइल्स की दिक्कत हो सकती हैं ।
3. मोटापा
मोटे होने के अनेक नुकसान हैं जैसे उदाहरण के लिए, अधिकांश मोटे लोग जो कब्ज से परेशान हैं, उनमें समय के साथ बवासीर होने की अत्यधिक संभावना होती है।
4. गर्भवती होना
गर्भावस्था के कारण अक्सर कुछ महिलाओ को कब्ज और उससे जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिससे लंबे समय तक मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है, जिससे बवासीर हो सकती है।
5. कम फाइबर वाला आहार खाना
आपके आहार में फाइबर की कमी से आंतों की परत सख्त और सूखी हो जाती है और उनमे पानी की कमी हो जाती हैं । आंतों में fiber और पानी की कमी के कारण, मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है, जिससे बवासीर और फिशर हो जाते हैं।
6. बहुत ज्यादा मसाले खाना
बहुत अधिक मसालेदार खाना बवासीर का एक कारण हो सकता है, उदाहरण के लिए, बहुत अधिक मसालेदार भोजन खाने से मल त्याग के दौरान मलाशय (Anus) में जलन हो सकती है, जिससे अधिक दर्द और परेशानी हो सकती है। Ayurvedic उपचार बवासीर के इलाज में मदद कर सकता है, और साथ ही, उचित निदान (Diagnosis) आपके उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं | यदि आप लक्षणों की पहचान नहीं कर सकते हैं, तो चिकित्सक से परामर्श करने पर विचार करें।
इसके साथ आयुर्वेद के अनुसार, बवासीर, फिशर और पाचन संबंधी परेशानियाँ तीन दोषों वात, पित्त और कफ से जुड़ी होती हैं। जैसा कि आयुर्वेद बताता है, प्रत्येक व्यक्ति की द्वन्दज (Double) प्रकृति होती है, इसलिए दो दोषों के गुण तीसरे की तुलना में अधिक प्रभावी होते हैं। आपके शरीर में इन्ही दोषों की प्रबलता के आधार पर, आपकी पाचन संबंधी समस्या भिन्न हो सकती हैं। पाचन कार्यों की बात करें तो वात दोष शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। इसलिए, शरीर में वात का स्तर निर्णय करता है कि मल त्याग स्वस्थ है या नहीं।मल का सूखा होने के मुख्या कारण, वात का बढ़ना आंतो के सूखापन को बढ़ा सकता है, जिससे कब्ज हो सकती है और यह कब्ज बढ़ने पर दर्दनाक बवासीर हो जाता है।
बवासीर बहुत महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय हो सकता है। इसका इलाज करने के लिए, जीवनशैली में कुछ बदलाव करना और स्वस्थ आहार पर टिके रहना बहुत महत्वपूर्ण है। कब्ज़ और बवासीर के इलाज के लिए हम आपको हमारे एक्सपर्ट (expert) डॉक्टर्स से संपर्क करने की सलाह देते है www.healthybazar.com पर जाए और अपनी हर समस्या का समाधान नेचुरल (natural) तरीके और समस्या को जड़ से ख़तम करने का उपाए हमारे डॉक्टर्स से ले ।