Published 25-06-2024
IMMUNITY BOOSTER
प्रतिरक्षा (Immunity) वह शक्ति है जो हमारे शरीर को हानिकारक सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, कवक) और दूसरे हानिकारक पदार्थों से बचाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली में अनेक घटक शामिल होते हैं जैसे श्वेत रक्त कोशिकाएं और एंटीबॉडी । एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली इंसान को इन्फेक्शन और बीमारियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आयुर्वेद, इम्युनिटी को "व्याधिक्षमत्व" या "बल" के रूप में देखा जाता है। इस आर्टिकल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा और इससे जुडी बहुत्त सी और बाते बताई गई हैं।
1. सहज इम्युनिटी (नेचुरल इम्युनिटी) : यह जन्मजात इम्युनिटी है, जो हमें जन्म से मिलती है। इसमें शारीरिक संरचना और इंटरनल कारण शामिल होते हैं।
2. कालज इम्युनिटी (मौसमी इम्युनिटी) : यह इम्युनिटी समय के साथ बदलती रहती है और अलग- अलग मौसम और समय के अनुसार प्रभावती होती है।
3. युक्तिकृत इम्युनिटी (प्राप्त की गयी इम्युनिटी) : यह प्रतिरक्षा वह है जो हम अपने आहार, जीवन शैली और अनेक प्रकार की हर्ब्स और मेडिसिन्स के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
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1. आमलकी (आंवला) : विटामिन सी से भरपूर, आवला एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। प्रतिरक्षा कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है। फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में मदद करता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और नर्वस ब्रेकडाउन का कारण बनते हैं। पाचन तंत्र को मजबूत करता है और व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
2. अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा) : एडेप्टोजेन के रूप में काम करता है, जो शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करता है। कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है, जो इम्युनिटी के कम होने का एक कारण हो सकता है।अश्वगंधा श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है, जो संक्रमण से बचाव में सहायक हैं। शरीर को फिर से एक्टिव करता है और शक्ति को बेहतर बनाता है।
3. तुलसी : तुलसी रोगाणुरोधी और सूजनरोधी गुणों से भरपूर होता है। ये लंग्स को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं। तनाव को कम करने और मेंटल क्लैरिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
4. गुडुची (Giloy) : गुडुची इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों से भरपूर, जो पूरे इम्युनिटी सिस्टम को संतुलित और मजबूत करती हैं। ये ज्वरनाशक (बुखार कम करने वाला) और सूजन को काम करता है और श्वेत रक्त कोशिकाओं की एक्टिविटी को बढ़ाता है, जो संक्रमण से लड़ने में सहायक है। गुडुची लिवर फंक्शन को सपोर्ट करता है और डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया में मदद करता है।
5. नीम (अज़ादिराच्टा इंडिका) : पावरफुल एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर नीम रक्त शोधन में मदद करता है, जो त्वचा और खून को साफ़ करने के लिए फायदेमंद है।प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है और संक्रमण से बचाव में सहायक है।नीम की डिटॉक्सिफाइंग प्रॉपर्टी जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाती हैं।
6. हल्दी : कर्क्यूमिन, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट यौगिक है, से भरपूर है। ये कोशिकाओं के डिफेंस मैकेनिज्म को बेहतर बनाता है। संक्रमण और पुरानी बीमारियों से बचाव में मदद करता है। पाचन स्वास्थ्य को बढ़ाता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
7. शतावरी (एस्पेरेगस रेसमोसस) : शतावरी के एडेप्टोजेनिक गुण जो तनाव को मैनेज करने में मदद करते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य को सहारा देता है और प्रजनन प्रणाली के लिए फायदेमंद है।
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1. हर्बल चाय : जड़ी बूटियों को हर्बल चाय के रूप में सेवन कर सकते हैं। जैसे तुलसी और हल्दी की चाय।
2. पाउडर और कैप्सूल : बाजार में जड़ी-बूटियों के पाउडर और कैप्सूल उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
3. काढ़ा : आमलकी, तुलसी और गुडुची का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
4. आहार : जड़ी बूटियों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें। जैसे, हल्दी को अपने खाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक में, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कई जड़ी-बूटियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, आंवला, और शतावरी प्रमुख हैं। अश्वगंधा तनाव को कम करके और ऊर्जा को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। गिलोय अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से शरीर को रोगों से बचाती है। तुलसी संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है और श्वसन तंत्र को सुधारती है। आंवला विटामिन सी से भरपूर होने के कारण इम्यूनिटी को बूस्ट करती है। शतावरी शरीर को पोषण देकर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारती है। इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का नियमित सेवन न केवल रोगों से बचाव में सहायक है बल्कि यह प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय भी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें। विशेषज्ञ की राय को ध्यान में रखते हुए उचित मार्गदर्शन के साथ सुरक्षित और प्रभावी परिणामों के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है। आज ही डॉक्टर से समपर्क करे healtybazar.com पर