Published 15-03-2023
PREGNANCY CARE
ऐसे दम्पति जो बच्चे लिए के कोशिश कर रहे हैं, उनमे गर्भधारण (Conceive) न कर पाना एक बड़ी समस्या है। जबकि ज्यादातर लोग मॉडर्न चिकित्सा के रास्ते को अपनाते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आयुर्वेद को अपनाने में विश्वास करते हैं और साथ ही यह कम से कम दुष्प्रभावों (Side effects) के साथ बांझपन (Infertility) का इलाज करने के लिए जाना जाता है।
आयुर्वेद में बांझपन की तुलना पौधे के चक्र से की गई है। पूरी प्रक्रिया चार चरणों में होती है जैसे यह पौधों में होती है; एक बीज बोने से लेकर उसकी देखभाल करने और उसे एक पौधे के रूप में विकसित करने तक। यहां बताया गया है कि आयुर्वेदिक बांझपन उपचार और पौधों की तुलना चार्ट कैसा दिखेगा:
(संस्कृत)Condition (Sanskrit) | In Plants/पौधों में | In Human beings/इंसानों में |
Ritu/रितु | Season/मौसम | Proper ovulation & menstrual cycle/उचित ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र |
Kshetram/क्षेत्रं | Fertile land/उपजाऊ भूमि | Healthy uterus/स्वस्थ गर्भाशय |
Ambu/पानी | Proper water & nourishment/उचित पानी और पोषण | Sufficient nutrition/पर्याप्त पोषण |
Beejam/बीज | Quality of Seed/बीज की गुणवत्ता | Quality of Sperm & Ovum/शुक्राणु और डिंब की गुणवत्ता |
यदि आप बिना किसी परेशानी के बांझपन से निपटना चाहते हैं तो आयुर्वेद आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। कोई परेशानी नहीं होगी और आयुर्वेदिक चिकित्सक आपकी प्रजनन समस्या के पीछे कारण की जांच करने के लिए आपका पूरी तरह से निरिक्षण करेंगे। इसलिए, यदि आप आयुर्वेदिक उपचार का विकल्प चुनना चाहते हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाएं।
आयुर्वेद के अनुसार, गर्भाधान तीन महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करता है।पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए, उनका प्रजनन स्वास्थ्य शुक्र धातु (venus metal) या शरीर में मौजूद प्रजनन ऊतक (reproductive tissue) पर निर्भर करता है। अच्छे पाचन के साथ-साथ उचित चयापचय (Proper Metabolism) शरीर को भोजन से पोषक तत्वों को शरीर के रस, रक्त, मांसपेशियों, वसा, हड्डी, अस्थि मज्जा और अंत में शुक्र तक पहुंचाने में मदद करता है। महिलाओं में शुक्र धातु मासिक चक्र (menstrual cycle) के हिस्से के रूप में डिंब (Ovum) का निर्माण करता है और यह पुरुषों में यौन उत्तेजना के कारण बनता है।
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आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज स्वस्थ जीवन शैली, स्वस्थ और संतुलित आहार, विषहरण चिकित्सा (detoxification therapy), आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं और योग पर निर्भर करता है -
आयुर्वेद में आहार बांझपन के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह एक स्वस्थ प्रजनन ऊतक (Healthy reproductive tissue) के विकास में मदद करता है। ओजस (Immunity) को कम करने वाले किसी भी भोजन से बचना चाहिए क्योंकि ओजस शुक्र धातु का उप उत्पाद (by-product) है और ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार है, इसलिए निषेचन (Fertilization) को बढ़ाता है। दोषों को संतुलित करना सभी शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
योग का पालन करें, योगा पोज़ जैसे सिटिंग ट्विस्टेड पोज़, सीटेड फ़ॉरवर्ड बेंड, आपको गर्भ धारण करने में मदद करने में प्रभावी हैं। व्यायाम आपको प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है और योग से बेहतर विकल्प क्या हो सकता है। आप अपने शरीर को शांत करने और तनाव और चिंता से राहत पाने के लिए प्राणायाम कर सकते हैं। शरीर के तापमान को सामान्य करने के लिए शीतली, सुप्त बद्ध कोणासन, शोल्डर स्टैंड (सर्वांगासन), और आपको शांत करने के लिए ध्यान योग का अभ्यास करने के बाद आप निश्चित रूप से अच्छा महसूस करेंगे।
हम सभी जानते हैं कि मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक तनाव का गर्भधारण पर प्रभाव पड़ता है। लगातार तनाव से बांझपन होता है। इस प्रकार रोजाना ध्यान करने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
बिना पचे हुए भोजन से टॉक्सिन्स बनते हैं जो खराब पाचन (Poor Digestion) के कारण होते हैं। इस प्रकार विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का उपचार सबसे महत्वपूर्ण कदम होना चाहिए। बांझपन के लिए आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार विषाक्त पदार्थों को हटाने और पाचन को सही करने में मदद करता है जिससे ओजस (Immunity) को पोषण मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार एक बच्चे के पालन-पोषण के लिए वही 4 कारक आवश्यक होते हैं जो एक बीज को एक पौधे में विकसित करने के लिए आवश्यक होते हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में निषेचन होने के लिए रितु (उचित ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र), क्षेत्रम (स्वस्थ गर्भाशय), अम्बु (पोषण) और बीजम (शुक्राणु और डिंब की गुणवत्ता) का उल्लेख किया गया है। आपको गर्भवती होने की अधिकतम संभावना के समय (Fertile Window) की पहचान करने की आवश्यकता है। इन दिनों में संभोग करने से आपके गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
आयुर्वेदिक दवाइयो का उपयोग बांझपन के कारण को खत्म करने के लिए किया जाता है। अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी, दशमूल, अशोक, गुडुची, पुनर्नवा आदि उपयोग की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ हैं। ओव्यूलेशन विकार (ovulation disorder) के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ शतावरी, एलोवेरा, अशोका आदि हैं। सही हर्बल फॉर्मूलेशन पीरियड्स के चक्र को नियंत्रित करता है, किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता-मात्रा-गतिशीलता में सुधार करता है, तनाव कम करता है, अनिद्रा और दोषों को संतुलित करता है जिससे आपको गर्भवती होने में मदद मिलती है।
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गर्भाधान के लिए आयुर्वेदिक तरीके अपनाने से गर्भवती होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। आयुर्वेद मेे कम से कम साइड इफेक्ट के साथ बांझपन का सफलतापूर्वक इलाज किया है।आयुर्वेदिक में जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है। वे शरीर में ऊर्जा को बढ़ाते हैं और बांझपन के लिए आवश्यक होने वाले अन्य तत्वों को संतुलित करते हैं। HealthyBazar पर Dr. Akshada varpe बांझपन के लिए आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करने वाले बेहतरीन डॉक्टरों में से एक हैं। उन्होंने विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों और उपचारों का उपयोग करके कई मरीजों को सफलतापूर्वक बांझपन से निजात दिलाई है।