क्या आपने पेशाब करते समय तेज दर्द या जलन का अनुभव किया है? अगर हाँ तो आप जानते हैं कि पेशाब में जलन का मतलब क्या होता है। यदि ये लक्षण आपको कभी-कभी होता है, तो आप अपने गुर्दे (Kidney), मूत्राशय (Bladder) या मूत्रमार्ग (Urethra) में विकार से पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि पेशाब में जलन का लक्षण महिलाओं में अधिक होता है, लेकिन यह पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है। यहाँ पेशाब में जलन के कुछ कारणों और लक्षणों पर एक नज़र डाली गई है। यूटीआई संक्रमण एक चिंता का विषय है जो मूत्रमार्ग (Urinary tract), मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (urinary bladder) और गुर्दे (Kindey) को प्रभावित कर सकता है। यूटीआई के सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब करने की इच्छा, पेशाब के दौरान दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द शामिल हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमारा पेशाब बैक्टीरिया और इन्फेक्शन से मुक्त होना चाहिए। जब गुर्दे (Kidneys) हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों (toxins) और अतिरिक्त पानी को काम करता हैं, और मूत्र को साफ़ करता है तब ये आपके शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकलता है। हालांकि, कुछ बैक्टीरिया मूत्र में प्रवेश कर सकते हैं और संक्रमण और सूजन पैदा कर सकते हैं। ये आमतौर पर त्वचा (Skin) या मलाशय (Anus) से मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं। हालांकि संक्रमण मूत्र से जुड़े सभी अंगो को प्रभावित कर सकता है, मूत्राशय संक्रमण (Cystitis) सबसे आम है।
1- मूत्र संक्रमण या यूटीआई (गुर्दे, मूत्राशय या मूत्रमार्ग का संक्रमण)।
2- गुर्दे की पथरी।
3- यौन संचारित रोग (Sexually transmitted disease) मूत्रमार्ग के संक्रमण का कारण बनते हैं।
4- गर्मी के मौसम में पेशाब में जलन भी हो सकती है।
5- पेशाब में जलन तब भी हो सकती है जब पेशाब बहुत अधिक अम्लीय (Acidic) हो।
1- पेशाब करने के बाद जलन महसूस होना
2- पेशाब करने की लगातार या तीव्र इच्छा, भले ही आप ऐसा करते समय बहुत कम पेशाब करते हैं
3- पेशाब जो झागदार , काला, लाल या अजीब गंध वाला हो
4- कमजोरी या थकान महसूस होना
5- सर्दी या बुखार (संकेत है कि संक्रमण आपके गुर्दों में फैल गया है)
6- साइड (फ्लैंक), पेट, या पेल्विक दर्द
7- पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना
पेशाब में जलन या संक्रमण पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। आइए विभिन्न आयु समूहों और लिंगों में यूटीआई को समझें।
यूटीआई आम हैं, खासकर महिलाओं में पुरुषों की तुलना में यूटीआई होने के लिए अधिक चांस होती हैं। क्योंकि एक महिला का मूत्रमार्ग छोटा और सीधा होता है, इसलिए कीटाणुओं के लिए मूत्राशय में प्रवेश करना आसान होता है। यूटीआई कुछ महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन से हो सकता है। कुछ महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र के दिंनो में संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील (Sensitive) होती हैं, जैसे कि उनके मासिक धर्म से पहले के दिन या प्रेग्नेंसी के समय पर।
पुरुष भी यूटीआई के लिए काफी संवेदनशील (Sensitive) होते हैं, जिससे पुरुषों को भी पेशाब करने में समस्या होती हैं। प्रोस्टेटाइटिस, प्रोस्टेट की सूजन, वृद्ध पुरुषों को प्रभावित करने की अधिक संभावना है। अगर मूत्राशय से मूत्र संचय के कारण पूरी तरह से नहीं निकल पा रहा है तो यूटीआई का इलाज करना अधिक कठिन होता है, बहुत कम युवा पुरुषों में यूटीआई हो सकता है। आमतौर पर, यौन संचारित रोग (Sexually transmitted disease) पुरुषों में यूटीआई का कारण बनता है।
मधुमेह वाले लोगों में यूटीआई विकसित होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनके मूत्र में उच्च ग्लूकोज (चीनी) बैक्टीरिया के बढ़ने को आसान बना सकता है। मधुमेह शरीर की प्रतिरक्षा (immunity) को बदल सकता है, जिससे यूटीआई से लड़ना अधिक मुश्किल हो जाता है। मधुमेह बिगड़ने पर यूटीआई होने की संभावना बढ़ जाती है।
पुरानी बीमारियाँ, एलोपैथिक दवाओं पर लम्बे समय से रेहने के कारण वृद्ध व्यक्तियों को यूटीआई होने की अधिक संभावना होती है। इसके अतिरिक्त, जो लोग कैथेटर का उपयोग करते हैं उनमें यूटीआई होने का खतरा अधिक होता है।
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पेट में सूजन हो तो कैसे पता चलता है?
1- खूब पानी पिएं नहीं तो शरीर में पानी की कमी हो जाएगी और पेशाब पीला दिखाई देने लगेगा। दिन में कुछ घंटों के भीतर 2-3 गिलास पानी पिएं। इस के बाद भी यदि आपको पेशाब करने के बाद लंबे समय तक जलन महसूस होती है, तो आपको मूत्र मार्ग में संक्रमण है |
2- सिट्रस फल यानी खट्टे फल खाए जैसे लेमन, ऑरेंज, ग्रेपफ्रूट, बेरीज क्योंकि इसमें साइट्रस एसिड होता है जो यूरिनरी इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारता है।
3- आंवले का रस भी पेशाब की जलन को ठीक करने में सहायक होता है। आप 30ml अमले का रस दिन में तीन बार बराबर मात्रा में पानी मिलकर पि सकते है |
4- नारियल पानी शरीर में पानी की कमी और पेशाब की जलन को ठीक करता है। आप चाहें तो नारिल के पानी में चम्मच गुड और धनिया पाउडर भी मिला सकते हैं।
5- एक गिलास पानी में 1 चम्मच धनिया पाउडर मिलाकर रात भर के लिए भिगो दें। सुबह इसे छानकर चीनी या गुड मिलाकर पिएं।
6- सेब के सिरके में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो पेशाब की जलन को दूर करने में मदद करते हैं। यूरिन में जलन और दर्द के घरेलू उपाय के तौर पर आप सेब के सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए आपको सेब के सिरके का इस्तेमाल दिन में दो बार करना है। एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
7- अगर आप दिन में दो बार नींबू पानी का सेवन करते हैं तो आपको इस समस्या से राहत मिल सकती है। इसके लिए आप सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आप इसके लिए गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें। पेशाब में दर्द और जलन का इलाज इस एक घरेलू नुस्खे से किया जा सकता है।
8- खीरे का सेवन करने से आप पेशाब में होने वाली जलन और दर्द को नियंत्रित कर सकते हैं। आप रोज सुबह एक कप खीरे के रस में एक चम्मच शहद और एक नींबू का रस मिलाकर पी सकते हैं। यह कमाल का घरेलू नुस्खा न सिर्फ आपको यूरिन संबंधी समस्याओं से निजात दिला सकता है बल्कि और भी कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है। इसे आप दिन में दो बार भी पी सकते हैं।
लगभग 25 में से 10 महिलाओं और 25 में से 3 पुरुषों में अपने जीवनकाल के दौरान यूटीआई के लक्षण होंगे। आयुर्वेद पूर्ण समग्र दृष्टिकोण पर काम करता है, HealthyBazar में, हम अपने अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर चित्रांशु द्वारा समग्र दृष्टिकोण के साथ आपके यूटीआई लक्षणों को ठीक करने से शुरुआत करते हैं। हमारे अनुभवी डॉक्टर आपकी डिटॉक्स थेरेपी दवाओं, आहार और जीवनशैली को समझेंगे और डिज़ाइन करेंगे। अगर आप या आपका कोई परिचित यूटीआई से छुटकारा पाना चाहता है तो आज ही हमारे डॉक्टरों से सलाह लें।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
One of the most important elements determining someone’s physical appearance is hair. Men and women worldwide constantly seek the best Ayurvedic treatment for hair fall to enhance the appearance and health of their hair.
However, due to various causes such as a poor diet, environmental factors, hormonal imbalance, or stress, we often suffer from hair issues. These issues include hair fall, premature greying, and thinning. Moreover, many commercial hair care products use many chemicals that damage not only the hair but also, potentially, the body's nervous system and endocrine system too.
Also, the products we use to treat our damaged hair often have only a superficial effect and leave the underlying causes unanswered. This is why we should consider home remedies and herbal products to take care of our hair from its roots.
A study on Chennai based population on hair fall with hair related problems among males of age 18-50 revealed the following:
Common symptoms of hair loss can vary in men and women. In women, the primary symptom of hair fall is hair loss in the parting of the head and the mid-frontal area of the scalp. For men, hair thinning on the top of the head, along with noticeable bald spots in the front, are clear indications of male pattern hair loss.
Additionally, if you find more hair than usual on the hairbrush after you brush or after washing your hair and on your pillow in the morning, these are also signs of hair loss. You may consider herbal treatment of hair fall to stop hair fall in the initial level to avoid severe loss.
There are various causes of hair fall that may vary from person to person.
Here are some common causes of hair fall:
These factors can lead to excess toxic substances in the body and cause hair fall.
According to Ayurvedic treatment for hair fall, the hair is a direct by-product of your bone tissue (marrow). It is also linked to the central nervous system and gut. This means any weakness in the bone tissue, nervous system, and digestive system’s health will naturally result in hair loss or diminishing hair growth.
In other words, the imbalance in your unique constituency or ratio (Prakriti) of Vata, Pitta, and Kapha Doshas (physical forces) will lead to the underlying issues in bone marrow, nervous and digestive systems. This, in turn, reflects in your scalp and hair.
You can understand your underlying Dosha imbalance or physiological imbalance by assessing your hair texture and the type of hair problems you have.
For example:
The Ayurvedic system is wholly based on balancing the three dosha levels – Vatta, Pitta, and Kapha. According to Ayurveda texts, hair fall occurs when a Dosha imbalance occurs. Thus, it is necessary to know the patient's Prakriti to regrow hair. Diet and lifestyle are also significant factors in promoting hair growth.
There are various home remedies that not only help to control hair fall but also help to keep your hair shiny and beautiful. In addition, these remedies can be performed at home quickly due to the easy availability of the ingredients.
An egg has many ingredients like Sulphur, Phosphorus, Zinc, Iodine, etc., that control hair fall and promote hair growth.
To prepare an egg mask, follow these instructions:
This herb prevents hair loss and maintains hair sustainability. In addition, it helps soothe the scalp and eliminate any dry flakes/dandruff.
The protein and essential fats in coconut milk promote hair growth and prevent hair loss.
To prepare the milk, follow these instructions:
Green tea is rich in antioxidants, which help boost hair growth and prevent hair loss.
Eating healthy and living a balanced lifestyle is essential to keeping your hair healthy. According to Ayurvedic treatment for hair fall, a wholesome and balanced diet enriched with vitamins and minerals helps grow hair.
Following are some diet and lifestyle changes you should adopt in your life to regain your hair:
Along with diet and lifestyle changes, a few herbs help to prevent and control hair fall. These herbs enhance hair quality and make hair shiny. You can use their extracts or powders as hair masks or add them while washing your hair.
Following are the herbs to prevent hair fall:
Shikakai is a magical herb that is very beneficial for hair. It can be considered a natural hair cleanser or shampoo due to its cleansing properties. In addition, it helps to promote hair growth naturally and nourishes hair with its antioxidant properties.
How to use-
Brahmi is a very powerful herb to promote hair growth and hair quality. It is useful in preparing herbal oil that is beneficial to make your hair strong and efficient to relieve stress hormones called ‘cortisol’ and lighten your mood. It is also effective for dry and damaged scalp.
How to use-
Amla is enriched with Vitamin C, an essential element to keep hair and scalp healthy and refreshing. In addition, it is rich in fatty acids and antioxidants that help strengthen hair follicles, and it helps to remove dandruff, dissolve grease and dirt from follicles.
Massaging the scalp with Amla oil can increase blood circulation. It provides essential nutrients to hair follicles to promote hair growth.
How to use-
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In modern medicine, health issues like hair fall, greying hairs, and dandruff are treated symptomatically for months of application. Ayurveda relieves these head disorders in Siraveda at the forehead region to clear obstruction channels. There are various herbs and home remedies available in Ayurveda that help to cleanse the scalp, circulate blood in hair and promote hair growth. Along with Ayurvedic treatment for hair fall, you should also consider healthy diet and lifestyle modifications to ensure speedy hair growth and nourishment. Find lifestyle tips and Ayurvedic products at HealthyBazar. All the products on-site are genuine. To treat hair fall problems and get healthier hair, one can also consult with Dr. Shivani, an Ayurvedic Consultant, and Practitioner with 3 years of experience.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
शीघ्रपतन यौन बीमारियों से जुड़ी एक आम और गंभीर समस्या है। जब भी कोई पुरुष संभोग के दौरान दो या तीन मिनट के अंदर ही स्खलित हो जाता है, उसे शीघ्रपतन का रोगी माना जाता है। दुनिया में 30 से 40 % पुरुष इस बीमारी से ग्रसित है और यह भी माना जाता है कि प्रत्येक पुरुष अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी न कभी इस बीमारी का सामना अवश्य करता है। स्खलन व्यक्ति की इच्छाओं के खिलाफ होता है, जिसके दौरान यां तो कम उत्तेजना होती है यां फिर होती ही नहीं है। यह दोनों भागीदारों को असंतुष्ट और निराश महसूस करवा सकता है।
मानसिक और शारीरिक दोनों कारण शीघ्रपतन में भूमिका निभाते हैं। सामान्य तौर पर पुरुषों को इसके बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन शीघ्रपतन एक उपचार योग्य समस्या है। उचित दवाएं और परामर्श यौन स्खलन में देरी करके संभोग की चरम सीमा की प्राप्ति कराते है। अगर आप भी इस प्रकार की बीमारी से जूझ रहे है तो सबसे पहले इसके लक्षणों को पहचानें और संबंधित चिकित्सक से इलाज या सलाह ले।
अधिक समय के बाद पहली बार सम्भोग करने पर अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो यह सामान्य प्रक्रिया है परन्तु अगर हर बार आप सम्भोग के दौरान जल्दी ही स्खलित हो जाते है तो यह समस्या का विषय है। सम्भोग के अनुभव की कमी, शारीरिक कमी यां मानसिक तनाव शीघ्रपतन के मुख्य कारणों में से एक है। बहुत सी एलोपैथिक दवाओं के साइड-इफेक्ट्स से भी ऐसा हो सकता है। ऑफिस के काम के बोझ या अन्य किसी व्यावसायिक तनाव के कारण भी ऐसा हो सकता है।
निम्नलिखित अवस्थाएं मनोवैज्ञानिक कारणों में शामिल हैं:
कई जैविक कारण शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
इसके अलावा निचे दिए हुए अन्य कारण शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न कर सकते है :
आयुर्वेद शुक्र धातु की शुद्ध मखन से तुलना करता है। जैसे शुद्ध मक्खन गर्मी की उपस्थिति में पिघलता है, वैसे ही शरीर में पित्त (अग्नि) अधिक होने पर वीर्य अपनी स्थिरता खो देता है। बढ़ी हुई पित्त वीर्य ले जाने वाली प्रणाली के माध्यम से यात्रा करती है, जिससे वीर्य के बल में कमी आती है| यह समयपूर्व स्खलन, मनोवैज्ञानिक, जैविक और कुछ अन्य सामान्य कारणों से हो सकता है|
आयुर्वेद में इस स्थिति को शुक्र आवृत वात (वात द्वारा उत्पन्न शुक्राणु) के रूप में परिभाषित किया गया है। रोगी को शुक्रांग आवेग (खराब स्खलन), शुक्र अतिवेग (जल्दी / शीघ्र स्खलन) और निश्फाल्वम (संसेचन करने में असमर्थता) में परिभाषित किया जाता है।
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आयुर्वेद में शीघ्रपतन के कुछ घरेलू उपाय बताये गए है जो कि ना ही पुरुष को स्खलन को देर तक बनाए रखने में सहायक होते है बल्कि उसकी यौन उत्तेजना और कामेच्छा को भी बनाये रखते है। घरेलू उपाय कुछ इस प्रकार है :
केसर और बादाम: केसर कामेच्छा में सुधार करने में मदद करता है। रात भर दस बादाम पानी में भिगो दे। सुबह बादाम के छिलके हटा दे, बादाम को ब्लेंडर में रखें और एक चम्मच दूध, अदरक, इलायची, और केसर की एक चुटकी मिलाये और साथ में पीस लें। इसे सोने से पहले रात में एक गिलास दूध के साथ लें।
लहसुन: लहसुन शीघ्रपतन की समस्या को ठीक करने में एक टॉनिक के रूप में कार्य करता है। प्रतिदिन, लहसुन के 3-4 कलियाँ सुबह खाली पेट खाने से यह शीघ्रपतन की समस्या को दूर करता है।
गाजर और शहद: लगभग 150 ग्राम बारीक कटा हुआ गाजर, आधा उबला हुआ अंडा और शहद का एक बड़ा चमचा मिलाएं। यह समयपूर्व स्खलन के लिए एक आम घरेलू उपाय है। इस मिश्रण को 2-3 महीने के लिए दिन में एक बार लें।
शीघ्रपतन के इलाज के लिए आयुर्वेद का दृष्टिकोण अलग है। आयुर्वेद का सुझाव है कि रोगियों को बेहतर परिणाम के लिए कुछ जड़ी-बूटियों और उनके काढ़े के साथ-साथ उपचारों पर विचार करना चाहिए। यह जड़ी बूटियाँ पुरुषो की कमचा को बनाये रखने या बढ़ाने में मदद करती है।
आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटी है। इसका नाम इसकी जड़ों की गंध के कारण रखा गया है जो घोड़े के मूत्र की तरह है। परंपरागत रूप से यह दर्शाया जाता है कि अश्वगंधा घोड़े सी ताकत प्रदान कर सकता है और मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।
यह कामेच्छा को बढ़ावा देने, सहनशक्ति में सुधार करने और शीघ्रपतन को रोकने में मदद करता है। अश्वगंधा की जड़ो के पाउडर को सीमित मात्रा में लेने पर यह मानसिक तनाव को कम करता है, थकान, दीर्घायु को बढ़ावा देता है, और प्रभावी रूप से शीघ्रपतन का इलाज करता है।
खुराक
अश्वगंधा गोली – 1 गोली दिन में तीन बार दूध या गर्म पानी के साथ
शतावरी को ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ के रूप में पहचाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम एसपैरागस रेसमोसस (Asparagus racemosus) है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन स्वास्थ्य में सुधार के लिए उल्लेखनीय रूप से फायदेमंद है। शतावरी पाउडर जब नियमित रूप से लिया जाता है, तो यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और मन में शांति बनाए रखता है।
शतावरी शुक्राणु के निर्माण के उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, और महिलाओं में स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में लिया जाता है, क्योंकि यह रजोनिवृत्ति यानी अनियमित मासिक धर्म के लक्षणों का इलाज करते समय अंडे की परिपक्वता और ओव्यूलेशन (Ovulation) में सुधार करता है।
खुराक
शतावरी चूर्ण – 1 चम्मच दिन में दो बार दूध या गर्म पानी के साथ
इसे भारतीय वियाग्रा या ‘हर्बल वियाग्रा’ भी कहा जाता है और इसका उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में विभिन्न यौन समस्या और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। मूसली से प्राप्त यह पीला-सफेद जड़ जैसा पदार्थ एक शक्तिशाली वाजीकरण (पुनर्जीवित और यौन कल्याण बढ़ाने वाली) जड़ी बूटी है। सफेद मूसली का उपयोग टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन के निर्माण के लिए किया जाता है। यह तनाव का इलाज कर उससे बनने वाले कॉर्टिकॉस्टरॉन हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। क्युकी कॉर्टिकॉस्टरॉन हार्मोन के बढ़ने से टेस्टोस्ट्रोन हॉर्मोन का उत्पादन कम हो जाता है। इसलिए सफ़ेद मूसली तनाव को दूर कर टेस्टोस्ट्रोन के बनने में मदद करती है।
खुराक
मूसली पाक – 1/2 चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ
कपिकाचू या कौंच बीज आयुर्वेद की एक बहुत ही प्रसिद्ध बहुआयामी जड़ी बूटी है जिसमें अपार स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह व्यापक रूप से पुरुष यौन संबंधी विकारों के इलाज में उपयोग किया जाता है। कापिकाचू मस्तिष्क में डोपामाइन (एक प्रकार का रसायन) में सुधार करता है, और टेस्टोस्टेरोन के स्तर (पुरुष हार्मोन) को भी बढ़ाता है।
यह अपने शक्तिशाली कामोद्दीपक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह मुख्य रूप से शरीर में शुक्राणुओं की संख्या और शुक्राणु की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
खुराक
कौंच बीज पाउडर – गर्म दूध या पानी के साथ 1/2 से 1 बड़ा चम्मच
गोक्षुरा अपने पुरुष सेक्स पावर बढ़ाने की संपत्ति के कारण सबसे लोकप्रिय जड़ी बूटियों में से एक है। यह गोक्षुरा वृक्ष के सूखे फल से प्राप्त होता है, जो कि वनस्पति नाम ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस द्वारा जाना जाता है, एक ऐसा पौधा जो ठंडे और गर्म तापमान दोनों में पनपता है। गोक्षुरा का फल पुरुषों और महिलाओं में यौन रोगों और बांझपन के लिए उपयोग किया जाता है। गोक्षुरा ने काचीना शुक्रा (ओलिगोज़ोस्पर्मिया) के प्रबंधन में बेहतर परिणाम दिखाए हैं।
इसके चूर्ण में शक्तिशाली शुक्राणुजन्य गुण होते हैं जो शुक्राणु से संबंधित सभी मुद्दों के उपचार में उच्च महत्व रखते हैं क्योंकि यह शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करता है।
खुराक
गोखरू चूर्ण – 1/2 चम्मच दिन में दो बार गर्म दूध या पानी के साथ
“शीघ्रपतन का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार” पर इन्फोग्राफिक कृपया नीचे देखें। आप इस इन्फोग्राफिक का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन www.healthybazar.com पर हमारा उल्लेख करना ना भूले।
आयुर्वेद में, वात को जीवन और जीवन शक्ति के रूप में समझाया गया है, जो सभी मनुष्यों को बल देता है और लंबे जीवन को विकार से मुक्त रखता है। शुक्र शरीर का ऊतक तत्व है, जिसे अन्य सभी ऊतक तत्वों का सार माना जाता है और यह सर्वोच्च महत्वपूर्ण सार (ओजस) का पोषण होता है। दोनों अवधारणाओं को आयुर्वेद में बेहतर विचार प्राप्त हुए है।
आयुर्वेद में चिकित्सा की प्राचीन अनूठी प्रणाली का उद्देश्य न केवल इलाज करना है, बल्कि बीमारी को फिर होने से रोकना भी है। शीघ्रपतन के उपचार की रेखा वातहर चिकित्सा (वात शांत करने वाला उपचार), वाजीकरण (कामोत्तेजक) और शुक्रस्तम्भक की चिकित्सा (शीघ्रपतन में देरी) है।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.