सिरदर्द एक आम समस्या है, जिससे किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय हो सकता है। इस रोग के पीछे कई कारण हो सकते हैं, और कभी-कभी हमारी जीवनशैली और आहार के परिवर्तन सिरदर्द का मुख्य कारण बन सकते हैं। यह समस्या ज्यादातर तब होती है जब हम ज्यादा समय तक काम करते हैं, खराब आदतों को अपनाते हैं और अधिकतम स्क्रीन टाइम का उपयोग करते हैं। लोग आमतौर पर सिरदर्द से निजात पाने के लिए पहले घरेलू उपचारों का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें तेजी से आराम मिल सकता है।
सिरदर्द को आमतौर पर सिर में होने वाले दर्द के रूप में जाना जाता है, और इसके कई कारण हो सकते हैं। यह दर्द हल्के से शुरू होकर धीरे-धीरे बढ़ सकता है और अक्सर असहनीय स्तर तक पहुंच जाता है, जिसे हम सिरदर्द कहते हैं। सिरदर्द जीवन के किसी भी समय हो सकता है और इसे सिर के किसी भाग में महसूस किया जा सकता है। यह दर्द एक निश्चित स्थान पर या पूरे सिर में व्याप्त हो सकता है, और इसकी तीव्रता भी विभिन्न हो सकती है, कुछ लोगों को तेज और कुछ को हल्का दर्द महसूस होता है। सिरदर्द कभी-कभी अचानक उत्पन्न होते हैं और कई घंटों से लेकर कुछ दिनों तक बना रह सकते हैं।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से वात, पित्त, और कफ के असंतुलन या एक से अधिक दोषों की प्रधानता के कारण हो सकते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के सिरदर्द के लक्षण दिए गए हैं:
बिना किसी कारण के सिर में दर्द होता है.
रात के समय में यह दर्द विशेष रूप से होता है.
सिर को बांधने से आराम मिलता है.
सिर में जलन और दर्द होती है.
आंखों में जलन होती है.
ठंडा उपचार या ठंडे पानी से नहाने से आराम मिलता है.
सिर और गला कफ से भरा हुआ महसूस होता है.
आंख और चेहरा सूजा होता है.
सिरदर्द कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे प्राथमिक सिरदर्द, माइग्रेन, क्लस्टर सिरदर्द, तनाव सिरदर्द, माध्यमिक सिरदर्द, चोट के कारन होने वाला सर दर्द आदि। सिरदर्द के इन लक्षणों के आधार पर उपचार की योजना बनाई जा सकती है।
अब आपने सिरदर्द और माइग्रेन के लक्षण और कारणों के बारे में जान लिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने दैनिक जीवन में मात्र कुछ ही परिवर्तन करके इन समस्याओं से आराम पा सकते हैं। यहां कुछ आसान दैनिक नियम दिए गए हैं जो आपको ना सिर्फ सिरदर्द बल्कि कई बीमारियों से भी राहत दिलाएगा:
1. शराब (Sharab): ज्यादा मात्रा में शराब पीने और बिना पानी के शराब का सेवन करने से सिरदर्द हो सकता है, इसलिए मात्रा में सीमित रहें और पानी के साथ पीएं।
2. निकोटीन (Nicotin): तम्बाकू का सेवन सिरदर्द का कारण हो सकता है, इसलिए तम्बाकू से दूर रहें।
3. नींद (Neend): नियमित और पर्याप्त नींद लें, और दिन में 7-8 घंटे की नींद का पालन करें।
4. तनाव (Tanav): तनाव को न्यूनतम करने के लिए योग और प्राणायाम का प्रयास करें, और अधिक चिंता और तनाव से बचाव करें।
5. पानी (Paani): नियमित रूप से पानी पीने का पालन करें और अपने शरीर को पानी की कमी से बचाएं। दिन में 10-12 गिलास पानी पीने का प्रयास करें।
6. नियमित व्यायाम (Niyamit Vyayam): रोजाना मेडिटेशन और व्यायाम करें, जो तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
7. टीवी और कंप्यूटर (TV Aur Computer): लंबे समय तक टीवी और कंप्यूटर देखने से बचें और नियमित आवश्यक आवश्यकता के अनुसार तरीके से आराम करें।
8. सांस लेना (Saans Lena): गहरी सांस लेने का अभ्यास करें, जो सिरदर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
9. खाना (Khana): समय पर खाना खाने का पालन करें और सही पोषण प्राप्त करें।
10. दवा (Dava): किसी दवा को बिना चिकित्सक की सलाह के लेने या बंद करने से सिरदर्द बढ़ सकता है, इसलिए दवा का सेवन केवल चिकित्सक के सुझाव पर करें।
सिरदर्द को कम करने के लिए आमतौर पर घरेलू उपाय ही प्राथमिक रूप से अपनाए जाते हैं। ये उपाय आसानी से घर पर ही उपलब्ध होते हैं और उनका इस्तेमाल करना सरल होता है। चलिए, इन उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
एक शक्तिशाली और स्वास्थ्यकर पौष्टिक खाद्य है जिसमें विभिन्न प्रकार के विटामिन्स और खनिज पाए जाते हैं। यह विटामिन ए, सी, और बी काम्प्लेक्स का अच्छा स्रोत होता है, साथ ही मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सिलिकॉन, सोडियम, लौह, जस्ता, कैल्शियम, और बीटा-कैरोटीन जैसे खनिजों का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। अदरक के उपयोग से प्रोस्टाग्लैंडिन के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे रक्त वाहिनियों में दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, यह माइग्रेन या सिरदर्द से पीड़ित व्यक्तियों को आराम प्रदान करने में मदद कर सकता है।
अदरक और नींबू का जूस: एक साथ बराबर मात्रा में अदरक का जूस और नींबू का जूस मिलाएं और इस मिश्रण को पूरे दिन में एक या दो बार पीएं।
अदरक का पाउडर: एक चम्मच अदरक के पाउडर में दो चम्मच पानी मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इसे माथे पर कुछ मिनटों तक लगाएं।
अदरक का उबाल: अदरक के पाउडर या कच्चे अदरक को पानी में उबालें और फिर इस पानी से कुछ मिनट तक भाप लें।
सोंठ का उपयोग: सोंठ को बहुत बारीक पीसकर बकरी के दूध में घोलकर नाक के छिद्रों में बूंद-बूंद टपकाएं और ऊपर सांस नाक से खींचें।
थकी हुई मांसपेशियों के कारण होने वाले सिरदर्द को तुलसी से आराम मिल सकता है। तुलसी में आराम देने के गुण होते हैं, जो थकी हुई मांसपेशियों को शांति प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी में एनाल्जेसिक (pain-relieving) गुण भी हो सकते हैं, जो सिरदर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए, आप एक कप पानी में सबसे पहले तीन या चार तुलसी की पत्तियों को कुछ मिनट तक उबालने के लिए रख सकते हैं। इसमें थोड़ी मात्रा में शहद भी मिला सकते हैं। एक कटोरे के पानी में एक चम्मच तुलसी की पत्तियां या कुछ बूँदें तुलसी के तेल के साथ मिला दें और फिर उस पानी से भाप लें। यह घरेलू नुस्खा दवा की तरह काम कर सकता है।
सिरदर्द से राहत पाने के लिए कुछ तुलसी की पत्तियों को चबाने या तुलसी के तेल को किसी अन्य तेल के साथ मिलाकर माथे पर मसाज करने का भी तरीका हो सकता है। इससे तुरंत आराम मिल सकता है।
गोदांती मिश्रण (Godanti Mishran) एक आयुर्वेदिक दवा है जो मस्तिष्क के दर्द या सिरदर्द के इलाज में प्रयुक्त की जाती है। यह दवा मुख्य रूप से शीतल गुणों के कारण उत्पन्न होने वाले सिरदर्द को कम करने में मदद करती है, खासतर सर्दियों के मौसम में होने वाले सिरदर्द के लिए इसका उपयोग किया जाता है। गोदांती मिश्रण में गोदांती भस्म , मोती पिष्टी, जवाहर मोहरा, जवाहर मोहरा पिष्टी, अबरक भस्म , यशाद भस्म, तंतूल्याश्मा, शंख भस्म, गंधक, जीरकाद्यारिष्ट, वचारिष्ट, नियोद रस, तालीसाद्यारिष्ट, गोधूमगंधक और महायोगराज गुग्गुल जैसे औषधियाँ होती हैं, जो सिरदर्द को कम करने में मदद कर सकती हैं। यदि सिरदर्द की समस्या है, तो आपको इसे एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श के बाद ही उपयोग करना चाहिए, और आपको डॉक्टर के सुझाव और निर्देशों का पालन करना चाहिए।
इसकी खुराक का निर्धारण चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श के बाद करना चाहिए, क्योंकि यह दवा व्यक्ति की आयु, रोग की प्रकृति, और रोग की गंभीरता के आधार पर निर्धारित की जाती है। आमतौर पर, इसका सुझाव हो सकता है:
वयस्क: आयु 16 साल से ऊपर के व्यक्तियों के लिए 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक की दिन में दो बार खुराक दी जा सकती है।
बच्चे: बच्चों के लिए इसकी खुराक आयु और रोग के आधार पर निर्धारित की जाती है। आपके चिकित्सक द्वारा सुझाई गई खुराक का पालन करें।
इसलिए, सर्वप्रथम अपने चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैद्य से संपर्क करें और वे आपके स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सही खुराक और उपयोग की सलाह देंगे।
सिरदर्द का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार बहुत प्रभावी हो सकते हैं। इन उपायों का नियमित अनुसरण करके सिरदर्द से राहत पाई जा सकती है। आयुर्वेदिक दवाओं और प्राकृतिक उपचारों का सही तरीके से इस्तेमाल करने से सिर के दर्द को कम किया जा सकता है और यह समस्या आने वाले दिनों में भी नहीं बढ़ेगी । हालांकि, हमें ध्यान देना चाहिए कि यदि सिरदर्द गंभीर होता है या बार-बार होता है, तो हमें तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। सिरदर्द का इलाज करने के लिए यह अच्छा होता है कि हम प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचारों का सही तरीके से इस्तेमाल करें और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें, ताकि हम सिरदर्द से छुटकारा पा सकें और स्वस्थ रह सकें।
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
Kidney stones are one of the most common lifestyle diseases people are suffering from these days. However, the good news is that, with the help of some home and herbal remedies, you can treat it naturally!.
In the western world, the annual incidence of Kidney Stone is about 0.5%, where a lifetime risk of developing it is about 10-15%, and it increases by 20-25% in the Middle East. In the Indian population, about 12% are expected to have urinary stones and out of which, 50% may end up with a loss of kidney functions.
Kidney stone is made of hard minerals and salt deposits that form inside the kidneys. They are also known as Urolithiasis or Nephrolithiasis. It has been a global problem affecting human beings since ancient times. It is a condition in which the crystals of uroliths/stones are present in the urinary tract and form uneven calculi.
Kidney stone is also known as calculi. These calculi can differ in size and shape, found anywhere in the urinary tract from the kidney to the bladder. Kidney stone is a significant problem in India and other developing countries. Kidney stones have generally affected 10-12% of the industrialized population.
The Patient does not identify whether he is suffering from kidney stones. After leaving the stone through the kidney, it passes to the bladder with the help of ureters. At the same time, some of the stones remain in the ureters. Further, they block the urine flow out of the kidneys and make it swell; this condition is called Hydronephrosis.
Some of the common symptoms of kidney stones are as follows:
The common causes of kidney stones include:
A slight reduction in urinary oxalate is associated with a significant decrease in the formation of calcium oxalate stones. Hence, one should avoid oxalate-rich foods like Cucumber, Green Peppers, Beetroot, Spinach, Soya Bean, Chocolate, Popcorn, and Sweet Potato. Mainly kidney stones affect the parts of the body like the kidney ureters and urethra.
More critical, kidney stone is a recurrent disorder with lifetime recurrence risk reported as high as 50%. Therefore, there is a higher chance of developing heart diseases due to kidney stones. In addition, kidney stones reduce the formation of minerals and essential elements for bone formation.
In Ayurveda, we can compare this disease with "Ashmari." Ashmari (calculi) comprises two words, i.e., 'Ashma' (stone) and 'Ari' (enemy). Ashman (calculi), called Moothrashmari (Urolithiasis), is a disease of Moothravahasrotas (urinary tract) and involves the formation of a stone. Kidney stone resulting in severe pain as given by an enemy.
Charaka, Sushrut, and Vagbhata describe it in Ashmari Vyadhi. In Asanshodhil (regular not doing Panchkarma) and Adhikari (Unwholesome Diet), person aggravated Kapha dosha mix up with Mutra (urine), enter in Basti (Kidney, Ureter, Bladder), obstruct the urinary tract, and create Ashmari. Sushrut has mentioned that those who do not undergo Panchkarma Treatment regularly, take an unhealthy diet, and follow a faulty lifestyle, are prone to recurrent kidney stones.
Ashmari is one of the diseases under Asthamahagad, i.e., challenging to cure. Ashmari is Vyadhi of Mutravaha Strotas. As Basti comes under Trimarma (three-fold of life).
There are 4 types of Ashmari described in Ayurveda:
1) Vataj Ashmari (Calcium Oxalate Stone): Vataj Ashmari is blackish, hard, irregular, rough structure, and like Kadamb flower, full of a spike. The symptoms of this kind of Ashmari are intense pain in the abdomen and anal region. In addition, they cause burning in the penis, making it difficult to excrete Vata, Mutra, and stool.
2) Pittaj Ashmari (Uric Acid Stone): Pittaj Ashmari looks like Bhallatak. Its symptoms are burning micturition and yellow urine.
3) Kaphaj Ashmari (Oxalate/ Phosphate stone): It is slimy, big, and looks Light green or white in colour. The symptoms are pain in the Urinary bladder and thighs. Acharya Sushruta, the world-first surgeon, described various types of treatment in Ashmari like Ghrut (Ghee/ Clarified butter), Kashaya (Decoction), and Kshara Bhedan (Scratching).
4) Shukra Ashmari (Spermolith) – This stone develops in the seminal vesicle due to the suppression of semen. If semen flow (Shukra Vega) is suppressed, it takes transit movement (Vimargagamana) and lodges in between penis (Medhra) and testis (Vrushana).
Ayurvedic treatment of renal stones has various therapies, including plant-based medicine, diet, and lifestyle changes.
Here are the Ayurvedic home remedies and diet recommendations to treat Kidney stones naturally:
Some Home Remedies for Kidney Stones
Include any fluid such as water, coffee, and lemonade in your diet except for grapefruit juice and soda. They are known to have a beneficial effect. This will help produce less concentrated urine and ensure at least 2.5L/day a good urine volume.
It would be best if you eliminated spinach, berries, chocolate, wheat bran, nuts, beets, and tea from your diet.
Three servings of dairy per day will help lower the risk of calcium stone formation.
Take calcium supplements regularly but only after consulting with your physician and registered kidney dietitian.
High protein intake will cause the kidneys to excrete more calcium which may cause more stones to form in the kidney. So, one should eat a moderate amount of protein.
High sodium intake increases calcium in the urine, increasing the chances of developing stones. Therefore, it would help if one had a low salt diet, and it is also important to control blood pressure.
It is recommended to take 60mg/day of vitamin C because the excess amounts of Vitamin C helps produce more oxalate in the body.
Along with the diet and lifestyle changes, you should also consider some Ayurvedic medicines. These medicines will not only help you to treat kidney stones but also help to avoid recurrence.
The following are some medicines you may consider to treat kidney stones:
The active ingredients include Hajrul Yahud Bhasma (silicate of lime), Yavakshar, Shwet Parppati, and Pashanbhed Churna. Anupan of this Kwath is Kulthi Kadha which has Kaphahar and Bhedan properties.
Dosage– 2 tsp. twice a day with water.
The active ingredients included are Nagarmotha (Root), Sounth (Rhizome), Kali Marich (Seed), Pippali (Fruit), Haritaki (Fruit), Bibhitaki (Fruit), Amla (Fruit), Shudh Guggul, Gokharu (Panchang). In addition, Gokshuradi Guggulu acts as an Antispasmodic and an Antibiotic. It has a Diuretic (Mutral) property.
Dosage – 2 tablets twice a day with water.
Its active ingredients include Varun, Pashanbheda, Sunthi, and Gokshura. Varunadi Kwath is Diuretic in action. In addition, it has a penetration (Bhedan) activity. So, it helps to disintegrate the stone.
Dosage – 2 tsp thrice a day with a half cup of water.
Dos and Don'ts
Also Read: Constipation: Causes, Triggers, and Treatment with Ayurveda
According to Ayurveda, lifestyle modification through diet, internal medicines, and Basti therapy is highly effective in managing renal stones. In addition, proper counseling and guidance should be provided to kidney stone patients, including Pathya – Apathya (dietary management) correlation with Ashmari management. Furthermore, home Remedies for Kidney Stones can help prevent further complications and recurrence of the disease. Find lifestyle tips and Ayurvedic products at HealthyBazar. All the products on-site are genuine, and one can also consult with the best Ayurvedic and Unani doctors.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
Every person who fulfills his or her potential can cope with the everyday stresses of life, work productively, and contribute to his or her community. Mental health is the foundation for an individual’s effective communication, learning, emotions, thinking, and self-esteem. It is integral to all aspects of human life, whether in interpersonal relationships, emotional well-being, or effective contribution to society. There are various Ayurvedic tips for improving physical and mental health that help to keep the mind and body healthy.
The word mental illness is often used as an umbrella term for all diagnostic mental disorders involving significant behavior changes. These changes include thought processes, emotions, behavior, and functional problems.
A study was conducted by the Neuropsychiatry branch of medicine dealing with mental disorders on April 6, 2020, on people who were in lockdown. The study estimated that 40.5% of the participants had either anxiety or depression. About three-fourths (74.1%) of the participants reported a moderate stress level, and 71.7% reported poor well-being.
Mental well-being is defined in Ayurveda as ‘Swasthya’ that includes physical and spiritual well-being. Life, according to Ayurveda, is a conglomeration of the four interdependent components. These components are the body (Shareera), the sensory & motor faculties (Indriya), the mind (Satva), and the soul (Atma). A healthy life needs excellent complementary support for all these factors. Thus, the concept of health encompasses physical, mental, sensory, and spiritual domains.
It also indicates that a person with Swastha Mana (healthy mental state), Prasanna Aatmendriya (delighted soul with the proper functioning of sense organs), Sama Agni (proper metabolism), Sama Dhatu (proportionate body organs and tissues), and Sama Kriya (good physiology) is perfectly healthy.
Manas is derived from the root ‘man,’ adding the suffix ‘Asuna’ having the meaning, ‘to perceive,’ ‘to lead to knowledge,’ and ‘to analyze by special knowledge’. There are various synonyms of Mana such as Chitta, Chetas, Hrit, Hridd, Manas, and Satva.
“Chittam chetah hrdayam svantam hrnmanasam manah iti”. (Amarakosha 1/4/3)
The meaning of the above shloka is, “Mana is the entity through which knowledge is obtained, which is closely related with Atma. Through Atma, one can perceive. Mana is the superior analyzing faculty, the seat of soul or Atma, and controls the whole body. It accommodates the special senses and is the seat of knowledge.
Ayurveda proves that the existence of the mind is the existence of knowledge (Lakshanam Manaso Jnana). Ayurvedic tips for mental health helps to maintain the brain’s health and improve its functionality.
While explaining the concept of Swasthya, Ayurveda has also included the following attributes of mental health:
It is known even from earlier times that body and mind influence each other. Psychological suffering is often expressed through somatic problems. In individuals with difficulty recognizing and expressing emotions, physical manifestations are often seen. These manifestations include loss of sleep, decreased/increased appetite, loss of libido, vague aches, pains in the body, etc.
Some physical diseases such as eczema, psoriasis, autoimmune diseases, blood pressure, etc., are thought to worsen by mental factors such as anxiety and stress.
The current mental state of a person can influence how bad a physical disease is at a particular time. Hypochondriasis, Conversion disorder, Somatization disorder, etc., are believed to be rooted in mental problems. Certain chronic conditions and life-threatening conditions, such as Cancers, Renal Diseases, etc., also affect the mind retrospectively.
The mind can also exert a positive or negative impact on the effect of a treatment on the body. The positive effect of a placebo on treatment is due to the impact on the mind. The innate positivity also guides the positive response of a patient to therapy.
The concept of Satvavajaya Chikitsa in Ayurveda is centered on the mind by promoting positive vibes to the individual. Ayurveda believes in the individual as a whole, encompassing body and mind together, and treatment is also aimed for both.
Ayurveda believes that it is essential for an individual to have a healthy mind and body for overall well-being. So, people suffering from a disease can counter that disease with the power of reason and willingness.
Here are some of the Ayurvedic tips that you can follow to keep your mind healthy:
According to Ayurveda, good health foundations include a nutritious diet, adequate sleep, and a balanced lifestyle. In Ayurveda, the management of digestive and metabolic fire is the starting point to achieve dosha balance for mental and physical health.
Align with natural rhythms; spring could be an anxious time with Vata Dosha imbalance and winter with Kapha Dosha imbalance.
Here are some tips on balancing these Doshas:
Medhya Rasayana or brain tonics inherently boost immunity. Some other herbs also are beneficial for brain health to improve memory, concentration, and other brain functions.
These herbs include:
Try Abhyanga (self-massage), Nasya (oil or herb application in the nostrils), Shirodhara (pouring of warm medicated oil on the forehead), and a full Panchakarma (a comprehensive, individualized therapeutic cleanse). These therapies will help to remove mental and physical fatigue. They also cure various psychological and physical diseases like stress, anxiety, joint pain, headache, insomnia, etc.
Ayurvedic scholars attribute the decline in our collective physical and psychological immunity to losing our connection with nature and the ability to withstand stress. Ayurveda also encourages healing relationships with nature and commitment to sustainability.
According to Ayurveda, undigested food is the root cause of toxins spread across the body. These toxins are making the body unhealthy and sick. It may cause infections, illnesses and finally weakens the immune system. Hence, detoxification is essential, and you can do it by regularly consuming lots of fresh fruits, vegetables, and juices.
Please find below the infographic on “6 Easy Tips For Improving Physical And Mental Health – HealthyBazar”. Feel free to use this infographic but make sure to cite us at www.healthybazar.com.
Ayurveda has many benefits. There is nothing better than going the Ayurveda way of eating healthy and taking care of physical and emotional health. Being the oldest medicinal system globally, Ayurveda helps build internal power and strength. Holistic healing helps to increase immunity for the body to combat many diseases and infections. There are many causes of mental and physical health loss, including genetic factors, poor mental health, pollution, poor diet, lifestyle, and metabolic issues. You can overcome all these problems with the help of the above self-care tips for mental and physical health that are easy to follow.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.