search

Published 11-07-2023

उच्च रक्तचाप में कौन- कौन से अंग प्रभावित होते है ?

HIGH BLOOD PRESSURE/HYPERTENSION

उच्च रक्तचाप में कौन- कौन से अंग प्रभावित होते है ?

Dr. Shivani Nautiyal

Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.

उच्च रक्तचाप, जिसे हाइपरटेंशन के रूप में भी जाना जाता है, एक लम्बे समय तक चलने वाली  स्थिति है जो वेन्स और आर्टरीज  में ऊंचे दबाव के कारण होती है। यह तब होता है जब आर्टरीज़  की दीवारों पर रक्त का दबाव लगातार बहुत अधिक होता है।  ब्लड प्रेशर  में दो संख्याओं का उपयोग करके मापा जाता है: सिस्टोलिक प्रेशर और डायस्टोलिक प्रेशर । सिस्टोलिक दबाव हृदय के सिकुड़ने पर आर्टरीज़ की दीवारों पर लगने वाले बल को दर्शाता है, जबकि डायस्टोलिक दबाव हृदय के आराम करने पर दिल की धड़कनों के बीच के प्रेशर को दर्शाता है।

 

सामान्य रक्तचाप आमतौर पर 120/80 mmHg होता है। जब रक्तचाप लगातार 130/80 mmHg से अधिक हो जाता है, तो इसे हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। हाई ब्लड प्रेशर एक चिंता का कारण  है क्योंकि यह हृदय और रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की समस्याएं और अन्य हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

 

हाई ब्लड प्रेशर दो प्रकार का होता हैं: प्राथमिक (Primary) और द्वितीयक (Secondary)। प्राइमरी ब्लड प्रेशर सबसे आम प्रकार है और आमतौर पर बिना किसी लक्षणों के समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। यह अक्सर उम्र, फॅमिली हिस्ट्री, लाइफस्टाइल और अनेक बीमारियों जैसे कारणों से प्रभावित होता है। दूसरी ओर, सेकेंडरी ब्लड प्रेशर, गुर्दो की बीमारी, हार्मोनल विकार या लम्बे समय तक दवाओं पर रहने के  कारण होता है।

 

ब्लड प्रेशर के अक्सर कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं, जिससे इसे "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है। इसका पता आमतौर पर नियमित ब्लड प्रेशर जांच के माध्यम से किया जाता है। खाने पीने और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके, जैसे कम सोडियम वाला खाना खाना, नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना, योग करना, स्ट्रेस मैनेजमेंट करना और तंबाकू और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना, उच्च रक्तचाप को कम करने और रोकने में मदद कर सकता है। कुछ मामलों में, रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दवा का सेवन भी किया जाता है।

 

ये भी पढ़े : उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) से कैसे छुटकारा पाएं ?

 

उच्च रक्तचाप से कौन से अंग प्रभावित होते हैं और कैसे?

 

उच्च रक्तचाप शरीर के कई अंगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हम यहां शरीर के उन अंगों के बारे में बात करेंगे जो आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर से प्रभावित होते हैं:

1- हृदय (Heart)  - हृदय हाई ब्लड प्रेशर से प्रभावित होने वाला एक प्रमुख अंग है। बढ़ा हुआ दबाव हृदय को ज्यादा मेहनत से रक्त पंप करने के लिए मजबूर करता है, जिससे हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं (बाएं वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी) और संभावित रूप से हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है। समय के साथ, इस वजह से हार्ट फेलियर, कोरोनरी आर्टरी से होने वाले रोग, दिल का दौरा और अनियमित हृदय गति का खतरा बढ़ सकता है।

 

2- धमनियां (Arteries) - उच्च रक्तचाप धमनियों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाता है, जिससे प्लाक का संचय बढ़ जाता है, जो वसा, कोलेस्ट्रॉल से बना  है। इससे एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का नैरो होना) हो सकता है और हृदय रोग, स्ट्रोक और धमनी रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

 

3- मस्तिष्क (Brain) - क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक, टीआईए, या small vessel disease का खतरा बढ़ सकता है। लंबे समय तक उच्च रक्तचाप का होना मेमोरी लॉस और बेहोशी का कारण होता  है।

 

4- गुर्दे (Kidney)-  गुर्दे रक्तचाप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उच्च रक्तचाप गुर्दे में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे रक्त से टॉक्सिन्स और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ़िल्टर करने की उनकी क्षमता ख़राब हो सकती है। इससे किडनी की बीमारी हो सकती है या किडनी की कार्यक्षमता कम हो सकती है या किडनी फेल भी हो सकती है।

 

5- आंखें (Eyes) - उच्च रक्तचाप आंखों में छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे रेटिना को नुकसान हो सकता है (हाई ब्लड प्रेशर रेटिनोपैथी)। यह स्थिति आँखों की समस्याओं का कारण बन सकती है, जिसमें धुंधली दृष्टि, दृष्टि हानि, या यहां तक कि अंधापन भी शामिल है।

 

6- रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels) - बढ़ा हुआ रक्तचाप पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे विभिन्न अंगों में रक्त परिसंचरण प्रभावित हो सकता है। इससे धमनी रोग, अंगों में रक्त का प्रवाह कम होना और घाव ठीक न होना जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

ये भी पढ़े : Panchakarma in Ayurveda: Rejuvenating the Body, Mind, and Spirit

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न अंगों पर उच्च रक्तचाप का प्रभाव अलग अलग व्यक्तियों के बीच अलग-अलग हो सकता है और यह हाई ब्लड प्रेशर का समय और गंभीरता, संपूर्ण स्वास्थ्य और जैसे कारकों पर निर्भर करता है। खान पान और जीवनशैली में बदलाव, दवा और नियमित चिकित्सा देखभाल के माध्यम से रक्तचाप को नियंत्रित करने से सभी अंग और संबंधित परेशानियों के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। उच्च रक्तचाप इलाज करने के लिए ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी और चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है, यदि आप किसी विशिष्ट समस्या के बारे में चर्चा करना चाहते हैं, तो आप हमारे  website www.healthybazar.com पर डॉक्टर्स से परामर्श ले सकते हैं।

Last Updated: Jul 11, 2023

Related Articles

Urinary Tract Infection , Kidney Stones , Liver and Kidneys , Stomach Ache

Herbal and Home Remedies For Kidney Stones

Stress Anxiety

Tips For Improving Physical And Mental Health

Diarrhea/Dysentery

Home Remedies and Ayurvedic Treatment For Diarrhea