Published 17-02-2023
LIFESTYLE DISEASES
सन-लाइट के संपर्क में आने पर शरीर विटामिन-डी को प्रोडूस करता है इसलिए इसे 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है। अंडे की जर्दी, मछली, मछली का तेल और डेयरी उत्पाद विटामिन-डी के कुछ प्राकृतिक स्रोत हैं। हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विटामिन डी आवश्यक है क्योंकि यह आहार से कैल्शियम के अवशोषण में सहायता करता है।
विटामिन-डी की कमी के कारण रिकेट्स रोग हो जाता है, जो हड्डियों और स्केलेटन की बीमारियों की और ले जाता है। विटामिन-डी उच्च रक्तचाप (High Blood pressure), ग्लूकोज असहिष्णुता (Glucose Intolerance), मधुमेह (Diabetes) और मल्टीपल स्केलेरोसिस के साथ बॉडी के और भी काम करने और उसको स्वस्थ बनाने में मदद करता है |
आहार में कमी के अलावा, लीवर, किडनी और त्वचा विकार वाले लोगों में भी विटामिन-डी की कमी होती है। हमारे देश में इस प्रॉब्लम के इतने कॉमन होने के कई कारण हैं -
1. इनडोर लाइफस्टाइल का बढ़ जाना, जिससे पर्याप्त सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पता है और शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाती है |
2. पर्यावरण में बहोत ज्यादा प्रदूषण यूवी किरणों द्वारा त्वचा में विटामिन-डी के बनने को रोक देता है|
3. खाने की आदतों में बदलाव से आहार में कैल्शियम और विटामिन-डी की मात्रा कम हो जाती है
4. फाइबर युक्त आहार में मौजूद फाइटेट्स और फॉस्फेट, विटामिन-डी को कम कर सकते हैं और कैल्शियम की जरुरत को बढ़ा सकते हैं |
5. त्वचा की पिगमेंटेशन में वृद्धि और बहुत ज़्यादा सनस्क्रीन का प्रयोग
6. विटमिन-डी की कमी वाली महिलाओं में अनियोजित (Unplanned) गर्भधारण से मां और बच्चे दोनों में विटामिन-डी की स्थिति बिगड़ सकती है।
पीठ के निचले हिस्से और हड्डियों में दर्द
थकान
घावों का धीमा उपचार (Slow Healing)
बोन डेंसिटी का कम होना
बालों का झड़ना
मांसपेशियों में दर्द
अवसाद (Depression)
विटामिन-डी की कमी से हृदय रोग, कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट इन ओल्डर एडल्ट्स, बच्चों में कैंसर और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं।
अश्वगंधा, हल्दी और शतावरी कर सकते हैं पीसीओएस का उपचार ।
सूखी खांसी: चिकित्सा और घरेलू उपचार
1. विटामिन डी की कमी के कारण विभिन्न प्रकार के बोनस और एक्स्ट्रास्केलेटल से जुडी परेशानिया हो जाती हैं।
2. विटामिन डी की कमी वाले रोगियों को ठीक होने में काफी अधिक समय लग जाता हैं । यह अवसाद (Depression) के इलाज के लिए हाइपोविटामिनोसिस डी के इलाज के लिए इम्पोर्टेन्ट है।
3. पार्किनसन्स रोग (पीडी) के रोगियों में विटामिन-डी की कमी हो जाती हैं ।
4- ट्यूबरक्लोसिस जैसे संक्रामक रोग, श्वसन तंत्र (respiratory tract infections) के संक्रमण, यानी इन्फ्लूएंजा विटामिन-डी की कमी वाले व्यक्तियों में देखे जाते हैं।
श्रिम्प, सार्डिनेस, अंचोवीएस (anchovies).
विटामिन-डी एक आवश्यक पोषक तत्व है जो दुनिया भर के बहुत से लोगों को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है। भारत में भी बहुत से लोग विटामिन-डी की कमी से परेशान हो रहे हैं । आप अधिक सूर्य के संपर्क में आने, विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने या सप्लीमेंट लेने से अपने विटामिन-डी के स्तर को बढ़ा सकते हैं। यदि आपको संदेह है कि आपको भी vitamin D की कमी हैं, तो अपने स्तर की जाँच के Healthybazar पर हमारे डॉरक्टर्स से सलाह लें।