सूखी खांसी एक ऐसी खांसी है जिसमें बलगम या कफ नहीं निकलता | आयुर्वेद में, सूखी खांसी को "वात-कफ" असंतुलन के कारण होने वाली स्थिति माना जाता है। वात वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और इसे शुष्क, हल्का, ठंडा और गतिशील माना जाता है। कफ कफ तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और इसे गीला, भारी, ठंडा और स्थिर माना जाता है। जब वात और कफ असंतुलित होते हैं, तो वे गले और श्वसन मार्ग में शुष्कता (Dryness) और जलन पैदा करते हैं, जिससे सूखी खांसी होती है।
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कुछ मामलों में, सूखी खांसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है, यदि आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण अनुभव होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें:
1. खून वाली खांसी: खांसी के साथ खून आना एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है |
2. तेज बुखार: यदि सूखी खांसी के साथ तेज बुखार (102°F या 38.9°C से अधिक) है, तो यह किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है |
3. सीने में सांस लेने में तकलीफ: सांस लेने में तकलीफ, खासकर सांस लेने में तकलीफ या घरघराहट होना किसी गंभीर श्वसन समस्या का संकेत हो सकता है |
4. दो सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली खांसी: यदि आपकी सूखी खांसी दो सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो यह किसी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का संकेत हो सकता है और डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है |
सूखी खाँसी के लिए आयुर्वेदिक दवाइयाँ बहुत प्रभावी होती हैं। आयुर्वेद में, सूखी खाँसी को दूर करने के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है जो फेफड़ों और गले को शांत करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। यहाँ कुछ सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक दवाइयों और उनके लाभों का विवरण दिया गया है:
1. तुलसी (Holy Basil)
तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो खाँसी और सर्दी को दूर करने में मदद करते हैं। यह गले की सूजन को कम करती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है। तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। तुलसी की चाय भी बनाकर पी सकते हैं।
2. मुलेठी (Licorice Root)
मुलेठी में सूजन-रोधी गुण होते हैं जो गले की सूजन और जलन को कम करते हैं। यह बलगम को पतला करने में मदद करती है और गले की खराश को दूर करती है। मुलेठी की जड़ का पाउडर गर्म पानी में मिलाकर पीएं, या चाय के रूप में इसका सेवन करें।
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3. अदरक (Ginger)
अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो सूजन को कम करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। यह खाँसी और गले की खराश को शांत करती है। अदरक का रस शहद के साथ मिलाकर पीएं, या अदरक की चाय बनाकर सेवन करें।
4. शहद (Honey)
शहद में एंटी-बैक्टीरियल और सुखदायक गुण होते हैं जो गले को आराम देते हैं और सूखी खाँसी को कम करते हैं। एक चम्मच शहद को गर्म पानी या हर्बल चाय में मिलाकर पीएं।
5. हल्दी (Turmeric)
हल्दी में करक्यूमिन नामक यौगिक होता है, जो सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और गले की सूजन को कम करता है। हल्दी दूध या हल्दी चाय बनाकर पीएं।
6. वासा (Malabar Nut)
वासा में सूजन-रोधी और कफ निस्सारक गुण होते हैं जो खाँसी और श्वसन समस्याओं में राहत प्रदान करते हैं। वासा का पाउडर शहद के साथ मिलाकर सेवन करें, या इसका काढ़ा बनाकर पीएं।
7. पिप्पली (Long Pepper)
पिप्पली में कफ को पतला करने और गले की सूजन को कम करने के गुण होते हैं। यह खाँसी को शांत करने में मदद करती है। पिप्पली का पाउडर शहद के साथ मिलाकर सेवन करें, या इसे काढ़े के रूप में पीएं।
8. अजवाइन (Carom Seeds)
अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो खाँसी और गले की सूजन को कम करते हैं। अजवाइन का पानी या काढ़ा बनाकर पीएं।
सूखी खाँसी के लिए आयुर्वेदिक दवाइयाँ अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित समाधान प्रदान करती हैं। आयुर्वेदिक उपचार, जैसे तुलसी, मुलेठी, अदरक, शहद, हल्दी, वासा, पिप्पली, और अजवाइन, प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग करके खाँसी और गले की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इन दवाइयों के एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और इम्यून-बूस्टिंग गुण न केवल खाँसी को शांत करते हैं बल्कि पाचन तंत्र और संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाते हैं।
इन उपायों का नियमित उपयोग गले की सूजन को कम करता है, बलगम को पतला करता है, और इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है। हालाँकि, किसी भी नई चिकित्सा विधि को अपनाने से पहले, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही और उपयुक्त है।सूखी खाँसी के लिए कोई भी आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना उचित है आज ही आए healthybazar पर
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Swarna, also known as Suvarna, is a Sanskrit word that signifies "gold." Bhasmas are medicinal formulations created from pure metals or minerals that are finely powdered. Healing with metals like gold and silver has been Ayurveda's most powerful remedy for addressing various serious health issues. Swarna Bhasma is an ayurvedic medicine that comes in powder form and is gold. It contains colloidal and Nano-gold particles. 98% of its particles are made up of 24-carat gold, making it one of the remedies in Ayurveda with high metal and mineral content.
Hema, Kanchana, and Kanaka are alternative names for this medicine. Rejuvenation (restoring youthful energy), cleaning (blood detoxification), and aphrodisiac properties (to produce arousal) are some of the key qualities of Swarna Bhasma. These qualities of Swarna Bhasma help people live longer and stay younger.
Swarna Bhasma’s benefits are not restricted to one body part but work for the body's overall health and improve the body's natural functions as a whole. It treats the brain, nerves, lungs, mind, heart, blood vessels, eyes, small intestine, big intestine, ovaries, and testicles, to name a few organs. It balances the three doshas (Tridosha) as per Ayurveda, i.e., Vata, Pitta, and Kapha. But it primarily affects the Pitta dosha. Tissues on which it acts in the body are plasma (Rasa), blood (Rakta), muscles (Mamsa), and semen (Shukra).
Swarna Bhasma is beneficial for treating diseases including Asthma, Arthritis, Cardiovascular problems, Infertility, and Nervous system disorders. The benefits of Swarna Bhasma are discussed further.
Swarna Bhasma's benefits are listed below.
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Ingredients:
There are various methods for the preparation of Swarna Bhasma. Refined gold leaf is crushed with lemon juice with a paste of Rasa Sindhura, a mercurial compound. It is then kept in an airtight container and heated in the absence of air at 400-500 degrees Celsius for 4-5 hours. Also, this classical Ayurvedic method is often used to turn it into gold and give it a therapeutic form to remove the unwanted effects of the precious gold.
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