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Published 27-10-2022

प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस कब होते हैं ?

PREGNANCY CARE

 प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस कब होते हैं ?

Dr. Shivani Nautiyal

Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.

महिलाओं के लिए गर्भावती होना एक महत्वपूर्ण स्थिति है, जो समाज में परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है और परिवार के साथ एक नया जीवन लाती है।सभी विवाहित महिलाओं के लिए यह एक सामान्य प्रश्न है - की किस महीने में उनके गर्भवती होने की क्या संभावनाएँ हैं? या पीरियड के कितने दिन बाद बच्चा ठहरता है।  ये एक प्रकृति है जिसमें महिला के शरीर में एक नया जीवन विकसित होता है और गर्भावस्था होना महिलाओं के लिए एक आनंदमय और सम्माननीय अनुभव होता है, जो उन्हें मातृत्व की भूमिका में स्थिति प्रदान करता है और उनके जीवन को एक नया अर्थ देता है। भारत में बांझपन का अनुपात महिलाओ में सामान्य रूप से लगभग 10-15% तक हो सकता है। कुछ मुख्य कारण बांझपन में शामिल हैं हार्मोनल असंतुलन, अनियामित पीरियड्स, शरीर रोग का होना, शरीर की वृद्धि मोटापे का अधिक होना, महिला के प्रजनन तंत्र में किसी प्रकार की समस्या, या फिर मानसिक तनाव और चिंता। बांझपन का समाधान होने के लिए महिलाओ को समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और सही उपचार का समर्थन लेना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा विधियों के साथ-साथ आयुर्वेद और योग भी बांझपन का इलाज में सहायक हो सकते हैं। गर्भावती होना एक महिला के जीवन का महत्तवपूर्ण अवसर है, लेकिन बांझपन के मुख्य कारणों को समझकर और सही उपचार के साथ समाधान ढूंढकर ये स्थिति को नियत्रित किया जा सकता है।

पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है ?

महिलाओं में हर महीने एक ओव्यूलेशन चक्र होता है, जिसका एक अंडा (ओवम) मासिक धर्म के बीच में अंडाशय से रिलीज होता है। यदि अंडा शुक्राणुओं के साथ मिलता है और निषेचन होता है, तो गर्भ धारण होता है। ये प्रक्रिया मासिक धर्म के ओव्यूलेशन के समय होती है। यदि हम इस प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं -

1- मासिक धर्म का चक्र: एक महिला का मासिक धर्म का चक्र 28 दिन का होता है, लेकिन हर महिला का चक्र अलग हो सकता है। कुछ महिलाएं 21 से लेकर 35 दिन तक के बीच में साइकिल का समय बता देती हैं। मासिक धर्म का पहला दिन पीरियड्स का दिन माना जाता है।

2- ओव्यूलेशन का समय: ओव्यूलेशन आमतौर पर चक्र के बीच में होता है, खास 14वें दिन के आस-पास, लेकिन ये भी हर महिला के लिए अलग हो सकता है। कुछ महिलाएं ओव्यूलेशन के समय ओव्यूलेशन लक्षण जैसे कि बदन में गरमी महसूस करना, या थोड़ा स्पॉटिंग देखना, महसूस कर सकती हैं।

3- गर्भधारण के लिए समय: गर्भधारण करने के लिए, शादी शुदा जोड़े को ओव्यूलेशन के दिनो में सेक्स करना चाहिए। यानी महिला के ओव्यूलेशन के दिनों में, जो मासिक धर्म का 14वें दिन के आस-पास होता है, सेक्स करना चाहिए। क्या समय शुक्राणु और अंडे का मिलना संभव होता है, जो गर्भ धारण का मुख्य कारण होता है।

4- ओव्यूलेशन के पहले प्रयोग: कुछ शोध के मुताबिक़, ओव्यूलेशन के दिन से 2 दिन पहले और ओव्यूलेशन के दिन पर सेक्स करने से गर्भ धारण की संभावना बढ़ जाती है।

5- नियमित संभोग: अगर महिला और पुरुष स्वस्थ हैं और कोई गर्भ निरोधक उपाय नहीं किया गया है, तो उन्हें निरोधक उपाय के बिना नियमित रूप से सेक्स करना चाहिए, ताकि ओव्यूलेशन के समय शुक्राणु और अंडे का मिलना हो सके।

ये भी पढ़े : प्रेगनेंसी में कितने महीने तक संबंध बनाना चाहिए ।

प्रेग्नेंट होने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है?

1- स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार लेना गर्भास्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। फल, सब्जियां, दाल, अनाज, दूध, दूध से बनी चीजें, हरी सब्जियां, और मेवे जैसे पौष्टिक खाद पदारथो को अपने आहार में शामिल करें। जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।

2- फोलिक एसिड का सेवन: फोलिक एसिड गर्भस्थ के पहले महीने में बच्चे के न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने में मदद करता है। इसलिए, गर्भावस्था होने से पहले और गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह तक फोलिक एसिड की खुराक का सेवन करें।

3- शारीरिक व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना गर्भस्थ के दौरान स्वस्थ रहना और प्रसव में मदद करता है। कुछ हल्का फुल्का व्यायाम और प्रसवपूर्व योग आपके शरीर को फिट और लचीला रखते हैं।

4- ध्यान रखें अपने वजन का: शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सही वजन का ध्यान रखें। कम वजन या अधिक वजन होना दोनों गर्भधारण के लिए ठीक नहीं है। डॉक्टर की सलाह से सही वजन का ध्यान रखें।

5- नशा मुक्ति: धूम्रपान और शराब पीना गर्भस्थ के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए इनका सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।

6- नियमित प्रसवपूर्व जांच: गर्भस्थ के दौरान नियमति रूप से डॉक्टर के पास जाएं और प्रसवपूर्व जांच कराएं। इसे आपके और बच्चों के स्वास्थ्य का पता चलता रहेगा।

7- तनाव कम करें: तनाव गर्भस्थ जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है। ध्यान, प्राणायाम, या किसी हॉबी को पूरा करके तनाव पर काम करें।

8- संबंध बनाएं रखें: अपने पार्टनर के साथ अच्छे संबंध बनाएं रखें और समझदारी से संबंध बनाएं।

9- डॉक्टर की सलाह: कोई भी समस्या या सवाल के लिए हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें और उनकी सलाह का पालन करें।

ये भी पढ़े : Ayurvedic Concept Of Pregnancy: गर्भिणी परिचर्या

निष्कर्ष

गर्भाधारण के लिए महिलाओ को स्वस्थ और सुखद जीवन शैली अपनाना चाहिए। पौष्टिक आहार, शारीरिक व्यायाम, नशा मुक्ति, नियमित प्रसवपूर्व जाँच, और तनाव प्रबंधन जैसे कुछ मुख्य उपाय, पालन करके महिलाएँ अपने शरीर और मानसिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रख सकती हैं। डॉक्टर की सलाह और सहयोग से सही मार्गदर्शन प्राप्त करके, महिलाएं अपने गर्भस्थ को स्वस्थ और सुखदाई बना सकती हैं। यदि आपको Pregnancy या किसी भी शारीरिक या मसंशिक तकलीफ के बारे में जानना है तो उस स्थिति में, हम आपको सलाह देते हैं कि HealthyBazar में हमारी प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. शिवानी नौटियाल से संपर्क करें और अपनी हर समस्या का प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीके से समाधान करें।

Last Updated: Apr 23, 2024

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