शारीरिक और मानसिक संतुलन से समझ आता है कि व्यक्ति एक पूर्ण रूप से स्वस्थ और समर्थ होना चाहिए। दोनों का आपस में सामंजस्य होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों ही दिशाएं व्यक्ति के जीवन में एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं और एक दूसरे के साथ मेल-जोल में योगदान देते हैं। शारीरिक और मानसिक संतुलन से पूरा स्वास्थ्य आता है। जब शरीर सही तरह से सकारात्मक होता है और मानसिक स्थिति स्थिर होती है, तो व्यक्ति स्वस्थ और साकारात्मक जीवन बिता सकता है।
सही शारीरिक स्थिति और ठीक मानसिक संतुलन व्यक्ति को कार्यशिलता में सुधार करते हैं। व्यक्तित्व के दिमाग में शांति और संवेदना होने पर वह अपने जीवन में अधिक समर्थ होता है। एक व्यक्ति जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है, वह अपने संबंध को भी सुधार सकता है। उसमें अधिक संवेदना, सहयोग, और समानता होती है। मानसिक संतुलन शरीर को स्थितियों का सामना करने में मदद करता है, जिसका तनाव कम होता है। ये व्यक्ति को तनावमुक्त रखता है। मानसिक और शारीरिक समानता व्यक्ति को आत्म-विकास और उच्च आध्यात्मिकता की ओर ले जा सकती है। सही संतुलन से व्यक्ति अपने अंतर्मन की गहराईयों को समझने में समर्थ होता है।
शरीरिक और मानसिक समत्व या संतुलन व्यक्ति के पूर्ण स्वास्थ्य और सामर्थ्य को बनाने में होता है। ये दोनों दिशाएँ एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और व्यक्ति को समग्र विकास में मदद करती हैं। यहां कुछ कारण हैं जिनके मध्यम से शारीरिक और मानसिक समत्व का महत्व साफ होता है।
1. स्वास्थ्य रखने में सहायक: शरीरिक समत्व व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है। सही आहार, प्राकृतिक घरेलू उपचार, और नियमित व्यायाम के माध्यम से शारीरिक समत्व बनाये रखना स्वास्थ्य को सुदृढ बनाता है।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमाता: स्वस्थ शरीर और अच्छे इम्यून सिस्टम के साथ, व्यक्ति को रोगो से लड़ने की शक्ति मिलती है। शरीरिक समन्वय रोग प्रतिरोधक क्षमाता को बढ़ाता है।
3. श्रम शक्ति में सुधार: शारीरिक समन्वय व्यक्ति की श्रम शक्ति में सुधार कर सकता है, जिसे वह दिन भर के कार्यों में अधिक समर्थ हो।
4. स्वस्थ हृदय और हृदय गति में सुधार: शरीरिक समत्व के द्वार, हृदय और धमनि पर पड़ने वाले तनाव पर भी नियंत्रण रखना संभव है, जिससे हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।
1. स्ट्रेस का प्रबंधन : मानसिक समत्व व्यक्ति को जीवन के चुनौतियों का सामना करने में सहायक होता है और स्थितियों का सामना करने में संवेदना शील बनता है। हाँ तनाव को कम करने में भी मदद करता है।
2. संबंध में सुधार: मानसिक समानता व्यक्ति को अपने आस-पास के लोगों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद करता है। ये व्यक्तित्व में संवेदना और संवेदनाशीलता को बढ़ावा मिलता है।
3. आत्म-विकास और आध्यात्मिक प्रगति: मानसिक समत्व व्यक्तित्व को अपने अन्तर्मन की गहराईयों को समझने में और आत्म-विकास में मदद करता है। आध्यात्मिक प्रगति की या इसमें भी सहायता मिलती है।
4. उच्च आत्म-विश्वास और स्वभाविक सुन्दरता: मानसिक समत्व व्यक्तित्व में उच्च आत्म-विश्वास और स्वभाविक सुन्दरता को बढ़ावा मिलता है। ये व्यक्ति को अपने आप में संतुलित और संवेदना शील बना सकता है।
5. मुखौता हटाना: मानसिक समानता व्यक्ति को अपने असली स्वभाव को समझने में और मुखौता हटाने में मदद करता है। ये व्यक्तित्व को असलियत में जीवित होने में और समझदारी से काम करने में सहायक होता है।
1. पूर्ण स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक समत्व से व्यक्ति पूर्ण स्वास्थ्य का अनुभव करता है। ये उसे रोगो से बचाता है और उसे दिन भर के कामों में अधिक एक्टिव बनाता है।
2. सुख और समृद्धि: शारीरिक और मानसिक समानता व्यक्ति जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव करने में मदद करता है। ये हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने में भी सहायक होता है।
3. आध्यात्मिक विकास: मानसिक समत्व व्यक्ति को आध्यात्मिक और पर्सनल विकास में मदद मिलती है। ये जीवन की सार्थकता और गहराई को समझने में सहायक होता है।
4. सम्बन्ध में सुधार : ये समन्वय व्यक्ति को अपने सम्बन्ध में सुधर करने में सहायक होता है | ये उपयोग समझदारी और संवेदनाशील बनाता है।
5. अच्छी सोच और उच्च मनोबल: मानसिक समत्व व्यक्तित्व को अच्छी सोच और उच्च मनोबल का अनुभव करने में मदद करता है। ये व्यक्तित्व को सुधरने और चुनौतियों का सामना करने में सकारात्मक बनाता है।
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आयुर्वेद, जैसे "जीवन का ज्ञान" कहा जाता है, शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए काई शक्तिशाली उपाय प्रस्तुत करता है। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपाय हैं जो आपके शरीर और मन को साथ में स्वस्थ रखते हैं:
1. दिनाचार्य (दैनिक दिनचर्या): दिनाचार्य, या दिन का नियम दिन-भर के कार्यक्रम, आयुर्वेद में एक महत्व पूर्ण हिसा है। ये व्यक्ति को सही समय पर उठने, सोने, खाना खाने, और अन्य दिनचर्या के कामों को नियमित रूप से करने में मदद करता है। दिनाचार्य शारीरिक और मानसिक स्थिति को स्थिर रखता है और दोष को संतुलित रखने में मदद करता है। नियमित आहार और व्यायाम के साथ इसका पालन करके व्यक्ति को दिन भर की गतिविधियों में संवेदना का अनुभव होता है।
2. आहार और पोषण: आयुर्वेद में आहार को एक मूल और रोगी को सुखद जीवन जीने का साधन माना जाता है। सात्विक आहार, जो प्रकृति के अनुकूल होता है, उसे प्रधान रूप से अनुशंसित किया जाता है। इसमें हरी सब्ज़ियां, फल, दाल, दूध, घी, आदि शामिल होती हैं। सात्विक आहार खाने से शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा बनी रहती है, दोष शांत रहता है, और व्यक्ति का मानसिक संतुलन भी सुदृढ होता है।
3. योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम शरीर और मन दोनों के लिए शक्तिशाली उपाय हैं। आसन और प्राणायाम का नियम अभ्यास व्यक्ति को स्वस्थ और संतुलित बनाता है। योग शरीर को चुस्त, और प्रबल बनाता है। प्राणायाम श्वासानुसंधान को सुधारने में मदद करता है, जिसकी मानसिक शांति और संवेदना का अनुभव होता है।
4. जड़ी-बूटियाँ और आयुर्वेदिक दवाइयाँ: आयुर्वेदिक दवाइयाँ और जड़ी-बूटियाँ, जैसे कि अश्वगंधा, ब्राह्मी, शतावरी, आदि, का उपयोग शरीरिक और मानसिक रोगों से बचाव में होता है। ये जड़ी-बूटियां एडाप्टोजेनिक गुणों के साथ आती हैं, जो शरीर को तनाव, थकान, और मानसिक तनाव से बचाने में मदद करते हैं।
5. अभ्यंग (आयुर्वेदिक तेल मालिश): अभ्यंग, या आयुर्वेदिक तेल मालिश, शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने का प्राचीन तरीका। भृंगराज, ब्राह्मी, या सरसों के तेल का उपयोग कर सकते हैं।अभ्यंग से शरीर की मालिश करके रक्त संचार को सुधारा जा सकता है, तनव को काम कर सकते हैं, और शरीरिक दर्द को शांत कर सकते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसर, शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखना व्यक्ति के पूर्ण स्वास्थ्य और सामर्थ्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण है। आयुर्वेदिक उपाय जैसे कि दिनचर्या, सात्विक आहार, योग, प्राणायाम, आयुर्वेदिक दवाइयाँ, और अभ्यंग का नियम अभ्यास व्यक्ति को स्थूल शरीर, प्रबल मन, और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
ये उपाय व्यक्ति को दोष संतुलित रखने में, प्राकृतिक ऊर्जा को बढ़ाने में और शारीरिक रोग से बचाव में मदद करते हैं। साथ ही, इनका नियम पालन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, संवेदना और आत्म-विकास में भी सुधार होता है। हर व्यक्ति के लिए अलग होती है, इसलिए किसी भी नए उपाय को शुरू करने से पहले एक आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श लेना चाहिए।आज ही आए healthybazar पर आए और बेस्ट डॉक्टर्स से कंसल्ट करे।
Dr. Ayush Pandey is a highly skilled Yoga and Naturopathic Consultant with 6 years of invaluable experience. As a Yogacharya expert in Shatkarma Procedures, Meditation, Healing, Diet and Nutrition, Counselling, and Acupressure, Dr. Ayush has a holistic approach to healthcare, focusing on the mind-body connection. With extensive knowledge in Yoga & Pranayama, Naturopathy, Medicine, Rejuvenation, Gastroenterology, Osteology, Psychiatry, and Respiratory Disorders, He offers comprehensive treatment options to address various health concerns. He is renowned for his expertise in Yoga and Pranayama, employing these ancient disciplines to promote physical strength, mental clarity, and spiritual harmony in his patients. Dr. Ayush's journey to becoming a renowned doctor began as a student at the prestigious Patanjali Yogpeeth Haridwar, where he mastered the art of Yoga. With a strong foundation in Yoga philosophy and practice, He went on to earn a Masters in Yoga, further enhancing his knowledge and skills. He is also the founder of Yogipuram wellness located in Block A, Sector 70, Noida, Uttar Pradesh. He has positively impacted the lives of countless patients. His dedication to patient care, combined with his extensive knowledge and expertise, sets him apart as a trusted healthcare professional. He welcomes patients seeking a holistic approach to health and wellness. Whether you're dealing with digestive issues, bone-related concerns, psychiatric conditions, or respiratory disorders, He also provides personalised treatment plans tailored to your unique needs. If you're looking for a compassionate doctor who will empower you to take control of your health, He is the ideal choice. Experience the transformative power of holistic healing under his expert guidance. Take the first step towards a healthier, happier you by scheduling a consultation with Dr. Ayush today.
One of the most important elements determining someone’s physical appearance is hair. Men and women worldwide constantly seek the best Ayurvedic treatment for hair fall to enhance the appearance and health of their hair.
However, due to various causes such as a poor diet, environmental factors, hormonal imbalance, or stress, we often suffer from hair issues. These issues include hair fall, premature greying, and thinning. Moreover, many commercial hair care products use many chemicals that damage not only the hair but also, potentially, the body's nervous system and endocrine system too.
Also, the products we use to treat our damaged hair often have only a superficial effect and leave the underlying causes unanswered. This is why we should consider home remedies and herbal products to take care of our hair from its roots.
A study on Chennai based population on hair fall with hair related problems among males of age 18-50 revealed the following:
Common symptoms of hair loss can vary in men and women. In women, the primary symptom of hair fall is hair loss in the parting of the head and the mid-frontal area of the scalp. For men, hair thinning on the top of the head, along with noticeable bald spots in the front, are clear indications of male pattern hair loss.
Additionally, if you find more hair than usual on the hairbrush after you brush or after washing your hair and on your pillow in the morning, these are also signs of hair loss. You may consider herbal treatment of hair fall to stop hair fall in the initial level to avoid severe loss.
There are various causes of hair fall that may vary from person to person.
Here are some common causes of hair fall:
These factors can lead to excess toxic substances in the body and cause hair fall.
According to Ayurvedic treatment for hair fall, the hair is a direct by-product of your bone tissue (marrow). It is also linked to the central nervous system and gut. This means any weakness in the bone tissue, nervous system, and digestive system’s health will naturally result in hair loss or diminishing hair growth.
In other words, the imbalance in your unique constituency or ratio (Prakriti) of Vata, Pitta, and Kapha Doshas (physical forces) will lead to the underlying issues in bone marrow, nervous and digestive systems. This, in turn, reflects in your scalp and hair.
You can understand your underlying Dosha imbalance or physiological imbalance by assessing your hair texture and the type of hair problems you have.
For example:
The Ayurvedic system is wholly based on balancing the three dosha levels – Vatta, Pitta, and Kapha. According to Ayurveda texts, hair fall occurs when a Dosha imbalance occurs. Thus, it is necessary to know the patient's Prakriti to regrow hair. Diet and lifestyle are also significant factors in promoting hair growth.
There are various home remedies that not only help to control hair fall but also help to keep your hair shiny and beautiful. In addition, these remedies can be performed at home quickly due to the easy availability of the ingredients.
An egg has many ingredients like Sulphur, Phosphorus, Zinc, Iodine, etc., that control hair fall and promote hair growth.
To prepare an egg mask, follow these instructions:
This herb prevents hair loss and maintains hair sustainability. In addition, it helps soothe the scalp and eliminate any dry flakes/dandruff.
The protein and essential fats in coconut milk promote hair growth and prevent hair loss.
To prepare the milk, follow these instructions:
Green tea is rich in antioxidants, which help boost hair growth and prevent hair loss.
Eating healthy and living a balanced lifestyle is essential to keeping your hair healthy. According to Ayurvedic treatment for hair fall, a wholesome and balanced diet enriched with vitamins and minerals helps grow hair.
Following are some diet and lifestyle changes you should adopt in your life to regain your hair:
Along with diet and lifestyle changes, a few herbs help to prevent and control hair fall. These herbs enhance hair quality and make hair shiny. You can use their extracts or powders as hair masks or add them while washing your hair.
Following are the herbs to prevent hair fall:
Shikakai is a magical herb that is very beneficial for hair. It can be considered a natural hair cleanser or shampoo due to its cleansing properties. In addition, it helps to promote hair growth naturally and nourishes hair with its antioxidant properties.
How to use-
Brahmi is a very powerful herb to promote hair growth and hair quality. It is useful in preparing herbal oil that is beneficial to make your hair strong and efficient to relieve stress hormones called ‘cortisol’ and lighten your mood. It is also effective for dry and damaged scalp.
How to use-
Amla is enriched with Vitamin C, an essential element to keep hair and scalp healthy and refreshing. In addition, it is rich in fatty acids and antioxidants that help strengthen hair follicles, and it helps to remove dandruff, dissolve grease and dirt from follicles.
Massaging the scalp with Amla oil can increase blood circulation. It provides essential nutrients to hair follicles to promote hair growth.
How to use-
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In modern medicine, health issues like hair fall, greying hairs, and dandruff are treated symptomatically for months of application. Ayurveda relieves these head disorders in Siraveda at the forehead region to clear obstruction channels. There are various herbs and home remedies available in Ayurveda that help to cleanse the scalp, circulate blood in hair and promote hair growth. Along with Ayurvedic treatment for hair fall, you should also consider healthy diet and lifestyle modifications to ensure speedy hair growth and nourishment. Find lifestyle tips and Ayurvedic products at HealthyBazar. All the products on-site are genuine. To treat hair fall problems and get healthier hair, one can also consult with Dr. Shivani, an Ayurvedic Consultant, and Practitioner with 3 years of experience.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.
Home Remedies and Ayurvedic Treatment For Diarrhea: Diarrhea is the condition described by loose, watery stools that occur more frequently than usual. Diarrhea is a problem of the digestive system in which the patient has to clear the bowels repeatedly. The characteristics of this disease are liquid stool, bloating, gas, and cramping. If the bowel movements do not become regular in a few days, it is necessary to consult a doctor to stop severe dehydration.
As per WHO, “More than 2.3 million annual deaths were reported among children in India, and about 3,34,000 are attributable to diarrhoeal diseases. Rotavirus is the leading cause of severe Diarrhea in children in developed and developing countries.
According to Ayurveda, the causes of Diarrhea are weakened digestive fire, usually caused by excess Pitta. Ayurvedic remedies pacify Pitta and kindle the digestive fire gently. There are various strategies specifically to counter Pitta’s hot, sharp, and liquid qualities. Also, it supports the return of regular bowel movements. It is also related to Jatharagni Mandya (low digestive fire).
According to the Ayurvedic treatment for Diarrhea, weak digestive fire, improper food, impure water, toxins, and mental stress usually cause Diarrhea. Aggravated Vata pulls down the fluid part from various tissues of the body and brings it into the intestine. This fluid mixes with the stool, which then leads to loose, watery motions. Depending upon which particular Dosha is vitiated, Atisaar (Diarrhea) has been classified into Vataj, Pittaj, Kaphaj, Sannipatik,
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Having at least three loose motions in 24 hours is considered to be Diarrhea in modern science, which affects all age groups at one time or another. It can range in severity from slightly watery feces and a brief upset stomach to longer-term to extremely liquid wastes and cramping tummy pains. The following are the symptoms of Diarrhea:
As per Ayurveda, Diarrhea can be caused due to bad dietary and lifestyle habits. Here are symptoms of Diarrhea according to classical Ayurvedic texts:
1. Amatisara: The stool in this kind of Diarrhea is Picchila (slimy) with a foul smell that sinks in water, known as Amatisara.
2. Pakvatisara: Diarrhea with the feeling of lightness in the body and stool that does not sink in water is known as Pakvatisara.
The primary cause of Diarrhea is gastrointestinal tract infections. It can also occur due to various other issues that vary from one person to another. Here are some common causes of Diarrhea:
In most cases, Diarrhea can be managed at home. A patient in a severe case has lost a lot of water due to loose motion, it is essential to seek immediate medical attention. In simple cases, when the patient has 4-5 bouts of loose activity, he or she can be given electrolytes. A straightforward electrolyte form mixes 1 teaspoon sugar and a pinch of salt in a glass of boiled, cooled & filtered water. Similarly, the patient may need Intravenous (I.V) electrolytes which is also sometimes known as ‘Saline Water’ in India.
You can treat Diarrhea with home remedies. Some home remedies include simple kitchen ingredients, and for some, you need some herbs. These herbs are readily available in the market. Here are some simple kitchen and herb-based home remedies for Diarrhea:
1. Take the powder of Indrayava (kurchi seed), Tvak-Dalachini (cinnamon bark), the root of Ushira (Khas), the seed of Jambu (Jamun), and fruit pulp of Bilva (bael) in the same quantity. Consume 3 to 6 gms after mixing with Takra (buttermilk) three times a day.
2. Mix powder of Purana Laja (pop of old paddy), the fruit of Dhanyaka (coriander), and Mocharasa (silk-cotton tree resin) in the same quantity. Add fruit of Śatapuṣpā (fennel) powder to the mixture. Consume 3 to 6 g. of this powder with warm water two times a day.
3. Take Powder of Jatiphala or Jaiphala (nutmeg), the fruit of Jiraka (cumin), and the fruit pulp of Bilva (bael) in equal quantities. Add grounded Churṇodaka (lime water) in the mixture and make pills of 800 mg. Take one pill in the morning with Taṇḍulodaka (water obtained from the washing of raw rice) in the case of Pitta Pradhana Atisara, and with Karpura-Ambu (camphorated water) in case of Kapha Pradhana Atisara.
Along with the home remedies, various Ayurvedic formulations help to treat Diarrhea and its related issues. These Ayurvedic formulations will also help to keep you hydrated and remove stomach infections. Here are the Ayurvedic medicines for Diarrhea:
Diarex Tablet is an Ayurvedic medicine preparation of herbs like Kutaja and Bilwa, which have astringent and antimicrobial properties. It ensures the normal functioning of gastrointestinal health.
This medicine eliminates common microorganisms responsible for acute and chronic infectious Diarrhea. Also, it helps to treat colic, bloating, fungal infections, microbial infections, oxidative stress, fungal infection, diabetes, and other conditions.
Dose – 2 tablets twice a day with plain water.
Ambimap is a unique combination of Ayurvedic herbs in treating Diarrhea, dysentery, and parasitic intestinal disease. It possesses a multi-directional approach to control Diarrhea and Dysentery.
Ambimap is very beneficial in controlling and curing loose stools caused by harmful viruses, bacteria, or parasites. It counteracts parasitic infection and helps to balance the metabolic fire (Agni) and digestion. It effectively controls spasmodic episodes, and the patient gets relief very quickly.
Dose – 1 tablet thrice a day with plain water
As per Ayurveda, a healthy diet and lifestyle help to treat various diseases and disorders. Diarrhea is related to the stomach infection that at some point causes due to unhealthy food and lifestyle. Also, to maintain your digestive health and treat Diarrhea, you should consider these modifications in your diet and lifestyle:
Please find below the infographic on “Home Remedies and Ayurvedic Treatment For Diarrhea”. Feel free to use this infographic but make sure to cite us at www.healthybazar.com.
Ayurvedic Treatment For Diarrhea works on an individual according to the body’s constitution and diet follow-up. Every patient should observe precautions in diet, the time of usage of the medicine, and home remedies to obtain speedy results. Accordingly, the improvement in Agni, electrolytes, administration of antibiotics, and diet management are some Ayurvedic approaches that offer beneficial effects in managing Diarrhea.
Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.